भूटान की सीमा पर भारत और चीन के बीच गतिरोध पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली के बयान का चीन के विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है. चीन ने कहा है कि ये 1962 वाला चीन नहीं है. इससे पहले अरुण जेटली ने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान इसी गतिरोध पर अपने एक बयान में कहा था कि ये 1962 वाला भारत नहीं है. इस पर चीन ने जवाब दिया है.
चीन ने ये भी कहा है कि भारत-भूटान सीमा के पास डोक ला से अपनी सेना हटाए. चीन के मुताबिक सिक्किम सेक्टर पर भारत और चीन की सीमाएं पूरी तरह स्पष्ट हैं और वहां भारतीय सेना की कार्रवाई भारत की अभी तक की सरकारों के रुख़ के साथ धोखा है.
चीन ने कहा है कि सिक्किम पर 1890 की चीन और ब्रिटेन की संधि का भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी समर्थन किया था. चीन के तब के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई को भेजे ख़त में उन्होंने ये समर्थन किया था. चीन का कहना है कि भारत इस संधि का सम्मान करे और डोक ला से अपनी सेना को वापस बुलाए. आपको बता दें कि डोक ला इलाके में भारत और चीन के जवान नॉन कॉम्बैटिव मोड में आमने-सामने हैं और 1962 के बाद से दोनों देशों के बीच ये सबसे लंबा गतिरोध है.
चीन ने कहा कि सिक्किम सेक्टर में चीन-भारत की सीमा सुस्पष्ट है और वहां भारतीय सेना का कदम विभिन्न भारतीय सरकारों द्वारा अपनाए गए रुख का ‘उल्लंघन’ है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, ‘भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1959 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री चाउ एनलाई को लिखे पत्र में सिक्किम पर 1890 की चीन-ब्रिटिश संधि को स्वीकार किया. बाद की सरकारों ने भी इसका अनुमोदन किया है.’ उन्होंने कहा कि भारत को संधि का सम्मान करते हुए तुरंत सेना को डोकलाम से हटाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘सिक्किम में भारत-चीन सीमा सुस्पष्ट रूप से सीमांकित है. भारत द्वारा उठाया गया कदम भारतीय सरकारों द्वारा अपनाए गए रूखों का उल्लंघन है.’