हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह को दिल्ली हाई कोर्ट ने झटका दिया है। अदालत में उनके खिलाफ चल रह आय से अधिक सम्पति और काले धन को सफेद करने के मामले में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है। हाई कोर्ट के जज जस्टिस आर के गोवा ने वीरभद्र सिंह और अन्य की तरफ से एफआईआर रद्द करने की यचिका को ख़ारिज कर दिया है।
याचिका ख़ारिज होने के बाद वीरभद्र सिंह और उनके परिवार पर आय से अधिक सम्पति रकने का मुक़दमा चलेगा. भारतीय जनतापार्टी इस मामले को लेकर उनके खिलाफ़ लगातार आक्रमक बनी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में इस साल चुनाव भी होने वाले है। इस मामले में वीरभद्र सिंह की पत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह के अलावा उनका बेटा भी आरोपी है। प्रवर्तन निदेशालय, ईडी ने इस मामले में ८३ साल के वीरभद्र सिंह के कई ठिकानों पर छापा मारा था। उनके ऊपर आरोप है कि जब वे मनमोहन सिंह की केंद्र सरकार में इस्पात मंत्री थे, तब उन्होंने आय के ज्ञात स्त्रोतों की तुलना ६.३ करोड़ रुपय अधिक इकठ्ठा किये। वे वर्ष २००९ से २०११ तक इस्पात मंत्री थे।
सीबीआई ने पिछले साल सितम्बर में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और शिमला व दिल्ली सहित १३ जगहों पर छापेमारी भी की थी। सीबीआई की एफआईआर के बाद ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की थी। मार्च २०१५ में वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उन्होंने अपनी याचिका में एफआईआर को राजनीतिक बदला बताया था और इसे रद्द करने का आग्रह किया था , लेकिन हाई कोर्ट ने इसे ख़ारिज कर दिया।