गुरु की वंदना, आराधना का दिन गुरु पूर्णिमा 9 जुलाई को है। वैसे तो हर दिन साईं बाबा की समाधि के दर्शन के लिए हजारों लोग शिर्डी पहुंचते हैं। पर गुरु पूर्णिमा को ये संख्या 10 लाख से ज्यादा तक पहुंच जाती है। साईं बाबा के लिए कहा जाता है कि उन्होंने अपने भक्तों को अपनी मृत्यु की तारीख पहले ही बता दी थी। बाबा हिंदू थे या मुसलमान…
– शिर्डी के सांई बाबा के भक्त दुनियाभर में फैले हैं। उनके फकीर स्वभाव और चमत्कारों की कई कथाएं है।
– बाबा के भक्त उनके चित्र और मूर्तियों को अपने घरों में अवश्य रखते हैं। साईं बाबा की ये फोटोज तकरीबन 100 साल पुरानी बताई जाती हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि किसने इन फोटोज को खींचा है।
– बाबा के भक्त उनके चित्र और मूर्तियों को अपने घरों में अवश्य रखते हैं। साईं बाबा की ये फोटोज तकरीबन 100 साल पुरानी बताई जाती हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि किसने इन फोटोज को खींचा है।
लोक कल्याण में समर्पित था जीवन…
– साईं ने अपना पूरा जीवन जनसेवा में ही व्यतीत किया। वे हर पल दूसरों के दुख दर्द दूर करते रहे।
– बाबा के जन्म के संबंध में कोई सटीक उल्लेख नहीं मिलता है।
– साईं के सारे चमत्कारों का रहस्य उनके सिद्धांतों में मिलता है, उन्होंने कुछ ऐसे सूत्र दिए हैं जिन्हें जीवन में उतारकर सफल हुआ जा सकता है।
– खुद शक्ति सम्पन्न होते हुए भी उन्होंने कभी अपने लिए शक्ति का उपयोग नहीं किया।
– सभी साधनों को जुटाने की क्षमता होते हुए भी वे हमेशा सादा जीवन जीते रहे और यही शिक्षा उन्होंने संसार को भी दी।
– साईं बाबा शिर्डी में एक सामान्य इंसान की भांति रहते थे।
– साईं ने अपना पूरा जीवन जनसेवा में ही व्यतीत किया। वे हर पल दूसरों के दुख दर्द दूर करते रहे।
– बाबा के जन्म के संबंध में कोई सटीक उल्लेख नहीं मिलता है।
– साईं के सारे चमत्कारों का रहस्य उनके सिद्धांतों में मिलता है, उन्होंने कुछ ऐसे सूत्र दिए हैं जिन्हें जीवन में उतारकर सफल हुआ जा सकता है।
– खुद शक्ति सम्पन्न होते हुए भी उन्होंने कभी अपने लिए शक्ति का उपयोग नहीं किया।
– सभी साधनों को जुटाने की क्षमता होते हुए भी वे हमेशा सादा जीवन जीते रहे और यही शिक्षा उन्होंने संसार को भी दी।
– साईं बाबा शिर्डी में एक सामान्य इंसान की भांति रहते थे।
बाबा के फ्यूनरल के लिए हुई थी वोटिंग
– शिर्डी के साईं बाबा का निधन 15 अक्टूबर 1918 (दशहरा के दिन) हुआ था।
– साईं ने दुनिया छोड़ने का संकेत पहले ही दे दिया था, उनका कहना था कि दशहरा का दिन धरती से विदा होने का सबसे अच्छा दिन है।
– शिर्डी में बाबा के जीवन काल में मुसलमान उन्हें यवन फकीर मानते थे और हिंदू उनकी पूजा भगवान की तरह ही किया करते थे।
– बाबा के निधन के बाद उनकी फ्यूनरल किस तरह की जाए, इसको लेकर दोनों पक्षों में टेंशन था।
– सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में वोटिंग कराई गई थी। मतदान में बाबा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से किया जाए वाला पक्ष विजयी रहा था।
– इसके बाद दूसरा पक्ष बाबा का शव कब्रिस्तान में दफन करने के पक्ष में था।
– शिर्डी के साईं बाबा का निधन 15 अक्टूबर 1918 (दशहरा के दिन) हुआ था।
– साईं ने दुनिया छोड़ने का संकेत पहले ही दे दिया था, उनका कहना था कि दशहरा का दिन धरती से विदा होने का सबसे अच्छा दिन है।
– शिर्डी में बाबा के जीवन काल में मुसलमान उन्हें यवन फकीर मानते थे और हिंदू उनकी पूजा भगवान की तरह ही किया करते थे।
– बाबा के निधन के बाद उनकी फ्यूनरल किस तरह की जाए, इसको लेकर दोनों पक्षों में टेंशन था।
– सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में वोटिंग कराई गई थी। मतदान में बाबा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से किया जाए वाला पक्ष विजयी रहा था।
– इसके बाद दूसरा पक्ष बाबा का शव कब्रिस्तान में दफन करने के पक्ष में था।
निधन से पूर्व सुनाए गए थे धार्मिक ग्रंथ
– साईं बाबा को लोग अवतार मनाते थे। इसके बाद भी उन्होंने अपने निधन से पूर्व धार्मिक ग्रंथ सुनने की इच्छा व्यक्त की थी।
– उन्होंने शिर्डी के ही एक वझे नाम के व्यक्ति से राम विजय प्रकरण सुनाने को कहा था। वझे ने बाबा को एक सप्ताह तक यह पाठ सुनाया।
– इसके बाद बाबा ने उन्हें हर समय पाठ करने कहा। जब वह पाठ करते-करते थक गए तो बाबा ने उनको आराम करने की सलाह दी थी।
– साईं बाबा को लोग अवतार मनाते थे। इसके बाद भी उन्होंने अपने निधन से पूर्व धार्मिक ग्रंथ सुनने की इच्छा व्यक्त की थी।
– उन्होंने शिर्डी के ही एक वझे नाम के व्यक्ति से राम विजय प्रकरण सुनाने को कहा था। वझे ने बाबा को एक सप्ताह तक यह पाठ सुनाया।
– इसके बाद बाबा ने उन्हें हर समय पाठ करने कहा। जब वह पाठ करते-करते थक गए तो बाबा ने उनको आराम करने की सलाह दी थी।