देश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई एनडीए के बढ़ते जनाधार को देखते हुए कई विपक्षी नेताओं के सामने अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया है. ऐसे में विपक्षी दलों के नेता कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन बनाने की तैयारी में हैं. हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के कई बड़े नेता एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का साथ देने की बात कर चुके हैं, ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या 2019 लोकसभा चुनाव से पहले क्या विपक्ष महागठबंधन बना पाएगा? पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक और अब उत्तर प्रदेश की राजनीति के कद्दावर चेहरा मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव ने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का मन बना लिया है. वोटों के गणित के हिसाब से विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार वैसे ही पिछड़ती दिख रही हैं, वहीं विपक्ष के इन कद्दावर नेताओं के पाला बदलने के चलते उनकी दावेदारी और भी कमजोर होती दिख रही है.
अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उनके विधायक चाचा शिवपाल भी मुलायम का अनुसरण करने का खुला एलान कर चुके हैं. उनका कहना है ‘नेताजी (मुलायम) जो कहेंगे, वहीं होगा.’ शिवपाल के वफादार कहे जाने वाले दीपक मिश्र ने कोविंद के खुले समर्थन का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री को उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर बधाई दी थी. हालांकि मिश्र किसी सदन के सदस्य नहीं हैं.
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल आगामी 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. नये राष्ट्रपति का चुनाव 17 जुलाई को होना है.
मालूम हो कि पिछले साल सितम्बर में अखिलेश को सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद पार्टी में ‘शह और मात का खेल’ शुरू हो गया था. मुलायम द्वारा प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये शिवपाल इस खेल में अखिलेश के प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरे थे.
हालांकि गत एक जनवरी को सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम को पार्टी का ‘सर्वोच्च रहनुमा’ बनाते हुए उनके स्थान पर अखिलेश को सपा का अध्यक्ष बना दिया गया था, जबकि शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. उसके बाद से पार्टी में दो फाड़ नजर आ रहे हैं.