बदलाव की संवाहक साफ नीयत और दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है। खासतौर से तब जब प्रकृति में पैदा असंतुलन को दूर कर उसका नैसर्गिक रूप देना हो या नदियों को सदानीरा बनाना हो। मध्यप्रदेश ‘नमामि देवि नर्मदे- सेवा यात्रा’ के माध्यम से पिछले छह माह में इस बात का गवाह रहा है कि कैसे प्रकृति को बचाने , नदियों को बचाने की कोशिश जन-आंदोलन में बदलती है। न केवल मध्यप्रदेश बल्कि सारे देश और विश्व ने इसे देखा और सराहा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में संचालित ‘नमामि देवि नर्मदे’ सेवा यात्रा ने विश्व मानवता को यह संदेश दिया कि नदियाँ बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण और जलवायु परिवर्तन के नित नये खतरों के बावजूद बचायी जा सकती है। इस यात्रा के दौरान न केवल जनमानस नदी के संरक्षण के खातिर जागरूक हुआ बल्कि उसमें नदी को प्रदूषित करने वाले, उसके अविरल प्रवाह को रोकने वाले स्वयं के व्यवहार में भी बदलाव आया। जनमानस समझ गया कि नदी है तो वह है, उसकी संतति है और है भावी पीढ़ियों का संरक्षित जीवन।
2 जुलाई को 6 करोड़ से ज्यादा पौधों का रोपण
नदी संरक्षण खासतौर से नर्मदा नदी के संरक्षण की मुहिम को पुख्ता आधार देने के लिये नर्मदा यात्रा के बाद अब 2 जुलाई को मध्यप्रदेश में नर्मदा के दोनों तट के किनारों और नदी के जलग्रहण क्षेत्र वाले कुल 24 जिलों में 6 करोड़ पौधे लगाने का सदी का सबसे बड़ा महावृक्षारोपण कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अब तक सरकार द्वारा किये जाते रहे पौधा रोपण कार्य को भी नर्मदा यात्रा की तर्ज पर जन-अभियान के रूप में ही संचालित करने का फैसला लिया है। इस फैसले के अनुरूप ही 2 जुलाई के महावृक्षारोपण की तैयारियाँ की गई। यह तैयारियाँ 2 जुलाई को वृक्षारोपण के विश्व रिकार्ड के रूप में परिणत होगी, जब एक साथ एक दिन 6 करोड़ पौधे लगेंगे। माँ नर्मदा इन पौधों के साल-दर साल वृक्ष बनने के साथ न केवल हरियाली चूनर से आच्छादित होगी बल्कि उसका अविरल प्रवाह भी भावी पीढ़ियों के लिये वरदान बनेगा।
नर्मदा बेसिन क्षेत्र
नर्मदा नदी की कुल लम्बाई 1312 किलोमीटर की है। मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी की कुल लम्बाई 1079 किलोमीटर है, जो कुल लम्बाई का 82.24 प्रतिशत है। इस सांख्यिकी से साफ जाहिर है कि नर्मदा के संरक्षण का महती कार्य मध्यप्रदेश में ही होना है और मध्यप्रदेश को ही
करना है। नर्मदा नदी का बेसिन 98 हजार 796 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसमें भी मध्यप्रदेश का हिस्सा 86.19 प्रतिशत अर्थात कुल 85 हजार 149 वर्ग किलोमीटर का है।
मध्यप्रदेश नर्मदा बेसिन के 24 जिले में होगा वृक्षारोपण
नर्मदा बेसिन में मध्यप्रदेश के 24 जिले आते हैं। इनमें डिंडौरी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, रायसेन, सीहोर, हरदा, देवास, खण्डवा, खरगोन, धार, बड़वानी,अलीराजपुर, अनूपपुर, बालाघाट, कटनी, दमोह, सागर, सिवनी, छिन्दवाड़ा, बैतूल, इन्दौर और बुरहानपुर जिला शामिल है।
नर्मदा नदी के कैचमेन्ट एरिया के इन्हीं जिलों में 2 जुलाई, 2017 को एक दिवसीय वृक्षारोपण में 6 करोड़ पौधों का रोपण किया जाना है। वृक्षारोपण का यह महती कार्य वन क्षेत्रों में, स्कूल, कॉलेज, शासकीय कार्यालयों के प्रांगण, अन्य सामुदायिक भूमियों और निजी भूमियों पर किया जायेगा।
सरकार और समाज की भागीदारी से होगा वृक्षारोपण
वृक्षारोपण में वन, ग्रामीण विकास, कृषि उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा विभाग, जन-अभियान परिषद और अन्य शासकीय विभाग की भूमिका रहेगी। एक दिवसीय इस वृक्षारोपण में शासन के सभी विभागों के समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों को भाग लेने के लिये प्रेरित किया गया है। भोपाल मुख्यालय, जिला मुख्यालय स्तर, विकास खण्ड एवं ग्राम स्तर पर पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी का वृक्षारोण में भाग लेना सुनिश्चित किया गया है। वृक्षारोपण में भाग लेने हेतु online रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई। इसके अनुसार www.namamidevinarmade.mp.gov.in पर निजी व्यक्ति, शासकीय संस्थाएँ, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएँ, महिला मंडल, क्लब्स ने आदि ने वृक्षारोण में शामिल होने के लिये रजिस्ट्रशन करवाया। दिनांक 28 जून 2017 की स्थिति में 5 लाख 89 हजार लोगों द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण करवाया जा चुका था।
रोपण के लिये आवश्यक पौधों की व्यवस्था वन विभाग, उद्यानिकी विभाग एवं निजी रोपणियों से की जा रही है। आवश्यक फलदार पौधे अन्य राज्यों से भी प्राप्त किये जा रहे हैं। पौधा लगाने के लिये गढ्ढा खुदाई कार्य सभी विभागों ने अपने-अपने लक्ष्यों के अनुसार लगभग पूर्ण कर लिया है। रोपित पौधों के सत्यापन के लिये प्रत्येक रोपण स्थल पर अधिकारी/कर्मचारी तैनात किये गये हैं।
रोपी जाने वाली मुख्य प्रजातियाँ
वृक्षारोपण में सागौन लगभग 20 प्रतिशत, बॉस 15 प्रतिशत,औषधीय पौधे यथा ऑवला, अर्जुन, बेल, नीम हर्रा, बहेड़ा आदि 20 प्रतिशत, फलदार पौधे यथा जामुन, जाम, सीताफल, नींबू, आम, अनार, शहतूत आदि 5 प्रतिशत क्षेत्र में, अन्य लघु वनोपज प्रजातियाँ जैसे महुआ, इमली, अचार, कुल्लू, कुसुम आदि 5 प्रतिशत क्षेत्र में और साजा, सिरस, सुरजना, कटहल, पीपल, बरगद, कदम्ब आदि प्रजातियाँ 35 प्रतिशत क्षेत्र में रोपी जायेंगी।
बनेगा विश्व रिकार्ड
नर्मदा बेसिन क्षेत्र/कैचमेंट क्षेत्र के जिलों में 2 जुलाई को किये जाने वाले वृक्षारोपण कार्य का विश्व रिकार्ड बनाये जाने के लिये तैयारियाँ की गयी हैं। विश्व रिकार्ड के Category Most trees Planted in 12 hours (team)- multiple locations में रोपण कार्य किया जायेगा। रोपण कार्य सुबह 7.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक 12 घन्टे की अवधि में होगा । प्रत्येक रोपण-स्थल की जी.पी.एस. रीडिंग ली जायेगी । साथ ही प्रत्येक रोपण-स्थल पर रोपित पौधे के सत्यापन के लिये 4-4 घंटे के लिये दो-दो विटनेस एवं रोपण में भाग ले रहे प्रत्येक 50 व्यक्तियों के सत्यापन के लिये एक-एक स्टीवर्ड की नियुक्ति जिले के विभिन्न विभागों के शासकीय अधिकारी/कर्मचारियों में से कलेक्टर द्वारा की गई।
प्रत्येक जिले में नियुक्त इन विटनेस एवं स्टीवर्डस को प्रशिक्षण भी दिया गया है। प्रत्येक रोपण-स्थल के लिये जिला स्तर पर कोड नम्बर एवं राज्य स्तरीय सीरियल नम्बर दिये गये हैं। रोपण-स्थल पर रोपण दिनांक को रोपण कार्य की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने की व्यवस्था भी की गई है।
पौधारोपण मूल्यांकन एवं निगरानी व्यवस्था
इस महावृक्षारोण कार्यक्रम में लगाये जाने वाले पौधों के रोपण के बाद उनके मूल्यांकन और निगरानी की व्यवस्था भी की गई है। इस व्यवस्था में महात्मा गाँधी नरेगा योजना के जॉबकार्डधारी परिवारों को पौध रक्षक बनाया गया है। पौधरक्षक को पौधे के संधारण एवं जीवित रखने के लिए 03 से 05 वर्ष तक मजदूरी का भुगतान किया जायेगा। ग्राम पंचायतों को पर्यवेक्षण के लिये राशि का प्रावधान किया गया है। साथ ही पौध-रोपण कार्यों का क्वालिटी मॉनिटर्स के माध्यम से निरीक्षण भी करवाया जायेगा। वन विभाग, विभागीय योजना के माध्यम से पौधों का नियमित संधारण करेगा। इसके अलावा एनजीओ, स्व-सहायता समूह, स्कूल्स एवं सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से भी पौधों के संरक्षण का कार्य किया जायेगा।
जिलेवार वृक्षारोपण लक्ष्य
2 जुलाई, 2017 को नर्मदा कैचमेन्ट के 24 जिलों में 667 लाख 50 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है इनमें से अनुपपूर जिले में 10.50 लाख पौधे, डिण्डौरी में 33 लाख, मण्डला में 50 लाख, जबलपुर में 42 लाख, कटनी में 6 लाख, इन्दौर में 15 लाख, धार में 37 लाख, अलीराजपुर में 30 लाख, देवास में 45 लाख, सीहोर में 25 लाख, रायसेन में 35 लाख, होशंगाबाद में 55 लाख, हरदा में 46.50 लाख, बैतूल में 25 लाख, छिन्दवाड़ा में 16 लाख, सिवनी में 30 लाख, नरसिंहपुर में 50 लाख, खण्डवा में 35 लाख, बुरहानपुर में एक लाख, खरगोन में 48 लाख, बड़वानी में 25 लाख, दमोह में 2 लाख, सागर में 2 लाख और बालाघाट जिले में 3.50 लाख पौधे लगाये जायेंगे।
प्रकृति प्रदत्त वन आवरण का तो प्रदेश को ईश्वरीय वरदान मिला ही हुआ है। दिनांक 2 जुलाई को मध्यप्रदेश मानव निर्मित हरीतिमा का इतिहास रचने जा रहा है। यह ऐसी क्रांति का आगाज है, जो माँ नर्मदा को सदानीरा बनाने के लिये हैं, नदी संरक्षण के प्रति जागरूकता और उसे कार्यरूप में परिणत करने की है। पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण की रोकथाम और जलवायु परिवर्तन जनित खबरों के प्रति मध्यप्रदेश की सरकार और समाज की यह पहल नर्मदा घाटी को उसका हरित और जैव विविधीय वैभव लौटाने का माध्यम बनने के साथ सच्चे अर्थों में नर्मदा को प्रदेश की जीवन-रेखा बनायेगा। यही विश्वास है और कामना भी।