बुधवार को संसद के दोनों सदनों में मायावती के इस्तीफे का मुद्दा छाये रहने की संभावना है. इसके साथ ही राज्यसभा में मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीट मार डालने की घटनाएं) और दलितों के मुद्दे पर भी बहस होने की संभावना है. कांग्रेस ने भी कहा है कि वह मॉब लिंचिंग और किसानों के पलायन के मुद्दे को उठाएगी. दरअसल मंगलवार को यूपी के सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा को लेकर अपनी बात जल्द खत्म करने को कहे जाने से नाराज बसपा प्रमुख मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इस्तीफा राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को सौंप दिया है.
मायावती ने कहा, मैं शोषितों, मजदूरों, किसानों और खासकर दलितों के उत्पीड़न की बात सदन में रखना चाहती थी. सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में जो दलित उत्पीड़न हुआ है, मैं उसकी बात उठाना चाहती थी, लेकिन सत्ता पक्ष के सभी लोग एक साथ खड़े हो गए और मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया. बसपा प्रमुख ने कहा, मैं दलित समाज से आती हूं और जब मैं अपने समाज की बात नहीं रख सकती हूं, तो मेरे यहां होने का क्या लाभ है. राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि मायावती का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्णय सभापति करेंगे. नियम के अनुसार त्यागपत्र संक्षिप्त होना चाहिए और इसमें कारणों का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.
इस बीच बसपा अध्यक्ष मायावती के राज्यसभा से इस्तीफे को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने वाजिब और स्वभाविक बताते हुए कहा कि बीजेपी दलित विरोधी पार्टी है. लालू ने यह भी कहा, ‘मायावती चाहेंगी तो हम बिहार से उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजेंगे.’
वहीं, बीजेपी ने राज्यसभा से इस्तीफा देने पर मायावती को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उनका यह कदम ‘ड्रामा’ है, जिसका मकसद भावुकता के जरिये ‘भ्रम’ पैदा करना है. नई दिल्ली में बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि लोग अब मायावती से गुमराह नहीं होने वाले हैं.
भूपेंद्र यादव ने कहा कि मायावती जनाधार खो चुकी हैं और राज्यसभा में उनका छह वर्षों का कार्यकाल वैसे भी संसद के अगले सत्र में खत्म होना था. उन्होंने संकेतों में कहा कि मायावती ने ‘हताशा’ में यह कदम उठाया.