पिछले कुछ दिनों से भारतीय क्रिकेट में खेल के अलावा हर मुद्दा चर्चा में है. कोच-कप्तान की लड़ाई, एक नए कोच के लिए कप्तान की जिद, बड़े खिलाड़ियों का अपमान सबकुछ. लेकिन अंत में वही हुआ जो कप्तान विराट कोहली चाहते थे. रवि शास्त्री को भारतीय टीम का कोच बना दिया गया, उसके बाद रवि शास्त्री को भी पूरी छूट के साथ उनकी टीम चुनने का अधिकार मिला और भरत अरुण, श्रीधर टीम के साथ बतौर गेंदबाजी और फील्डिंग कोच के रूप में जुड़े थे.
लेकिन इस पूरे विवाद के बीच बीसीसीआई एक बड़ी भूल कर बैठा. बीसीसीआई ने जिस सलाहकार समिति को क्रिकेट का सुधार करने और बड़े फैसले लेने के लिए बनाया था वह समिति सिर्फ एक कप्तान की जिद के आगे बौनी साबित हुई. बीसीसीआई यह भूल गया कि अगर भारत में क्रिकेट को एक धर्म की तरह पूजा जाता है कि उसकी एक बड़ी वजह ये महान क्रिकेटर ही हैं. अनिल कुंबले के इस्तीफे से लेकर रवि शास्त्री के कोच बनने तक सभी ने भारत के महानतम खिलाड़ियों को खारिज होते हुए देखा.
1. सलाहकार समिति खारिज
सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण से सजी सलाहकार समिति को अधिकार था कि वह क्रिकेट के हित में कोई भी फैसला ले सकती है. समिति ने ही पिछले साल कुंबले को कोच के रूप में चुना था, लेकिन वहीं बाद में भी कुंबले के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला किया था. लेकिन ड्रेसिंग रूम में इस तरह का माहौल बनाया गया कि कुंबले को अपना इस्तीफा देना पड़ा.
2. अनिल कुंबले खारिज
अनिल कुंबले भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक हैं, यही कारण था कि उन्हें भारतीय टीम का कोच बनाया गया था. अपने एक साल के कार्यकाल में कुंबले ने बतौर कोच शानदार प्रदर्शन भी किया, पर क्योंकि कप्तान और टीम के खिलाड़ियों को एक रुटीन को फॉलो करने को कहा जाता था यही कारण से उनकी कप्तान से नहीं बनी. और वो इस्तीफा देने को मजबूर हुए. कुंबले ने अपने इस्तीफे में भी कहा था कि शायद टीम को मेरा तरीका पसंद नहीं आया.
3. वीरेंद्र सहवाग भी खारिज
भारत के महान ओपनरों में से एक वीरेंद्र सहवाग को सलाहकार समिति की तरफ से ही कोच पद के लिए अप्लाई करने को कहा गया था. लेकिन क्योंकि कप्तान कोहली शुरू से ही शास्त्री को ही कोच के रूप में चाहते थे यही कारण रहा है कि सहवाग को तव्ज्जो नहीं दी गई. इंटरव्यू में किस आधार पर सहवाग को खारिज किया गया था इस पर भी कोई साफ कारण नहीं बताया गया है.
4. जहीर-द्रविड़ भी खारिज
सलाहकार समिति ने जहीर खान और राहुल द्रविड़ को बतौर गेंदबाजी और बल्लेबाजी सलाहकार कोच नियुक्त किया था. लेकिन शास्त्री ने बीसीसीआई से अपनी पसंद की टीम की मांग की और बीसीसीआई ने उसे पूरा भी किया. साफ है कि अपने करियर में 610 विकेट लेने वाले जहीर खान पर 6 विकेट लेने वाले भरत अरुण भारी पड़ गए. और जो राहुल द्रविड़ भारत के भविष्य को तराशते हैं वह भी इस ड्रेसिंग रूम में आने से कतरा रहे हैं. द्रविड़ ने कहा है कि वह टीम के साथ ट्रैवल नहीं कर पाएंगे लेकिन कैंप में जाकर उनकी सहायता जरुर करेंगे.
साफ है कि राहुल द्रविड़, जहीर खान, वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक रहे हैं. अगर कभी भी भारत की ड्रीम टीम चुनने की बात आएगी, तो इनके रिकॉर्ड और प्रदर्शन के आधार पर ये सभी खिलाड़ी उस टीम का हिस्सा जरुर होंगे. लेकिन शायद BCCI एक कप्तान और कोच की जिद के आगे ये सब कुछ भुला बैठा.