Home राष्ट्रीय राष्ट्रपति चुनाव 2017 के वोटों की गिनती जारी….

राष्ट्रपति चुनाव 2017 के वोटों की गिनती जारी….

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देश का 14वां राष्ट्रपति कौन होगा, इसका फैसला गुरुवार को हो जाएगा। इसके लिए संसद भवन में काउंटिंग जारी है। एनडीए कैंडिडेट रामनाथ कोविंद और यूपीए की मीरा कुमार में से एक नेता अगला प्रेसिडेंट होगा। दोनों में से कोई भी जीते, देश को केआर नारायणन के बाद दूसरा दलित राष्ट्रपति मिलना तय है। वे 1997 में चुने गए थे। वैसे, पलड़ा कोविंद का भारी है। वोटिंग से पहले उन्हें 63% वोटों का सपोर्ट था। लेकिन उम्मीद से ज्यादा करीब 70% वोटिंग उनके फेवर में होने का अनुमान है। बता दें कि वोटिंग बीते सोमवार को हुई थी। इस दौरान 65 साल में सबसे ज्यादा 99% वोट डाले गए।

– लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल और इस इलेक्शन के रिटर्निंग अफसर अनूप मिश्रा ने बताया कि वोटों की काउंटिंग 11 बजे से शुरू होने की बात कही थी।
– उधर, कोविंद के गांव परौंख (कानपुर देहात ) में उनकी जीत के लिए बुधवार शाम से हवन और पूजा की जा रही है। उनका परिवार और रिश्तेदार दिल्ली पहुंच गए हैं।
किस तरह होगी काउंटिंग?
– सबसे पहले पार्लियामेंट का बैलेट बॉक्स खोला जाएगा। उसके बाद दूसरे राज्यों से आए बैलेट बॉक्स खोले जाएंगे। राज्यों के वोट की काउंटिंग अल्फाबेटिकल बेस पर होगी।
– वोट की काउंटिंग चार अलग-अलग टेबल पर की जाएगी। करीब 8 राउंड में यह पूरी की जाएगी।
कब होगा नतीजों का एलान
-पिछले दो प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के दौरान मौजूद रहे इलेक्शन कमीशन के अफसर ने बताया कि रिजल्ट आमतौर पर शाम को पांच बजे घोषित किया जाता है।
राष्ट्रपति चुनाव में हुई थी 99% वोटिंग
– राष्ट्रपति इलेक्शन में सोमवार को करीब 99% वोटिंग हुई थी। रिटर्निंग अधिकारी अनूप मिश्रा ने बताया कि यह अब तक की सबसे ज्यादा वोटिंग है।
– लोकसभा (543) और राज्यसभा (233) में कुल 776 सांसद हैं। लोकसभा और राज्यसभा से दो-दो सीट खाली हैं। बिहार के सासाराम से बीजेपी के सांसद छेदी पासवान के पास वोटिंग का अधिकार नहीं था। इस तरह 771 सांसदों को वोट डालना था, लेकिन 768 सांसदों ने ही वोटिंग की। वहीं टीएमसी के तापस पाल, बीजेडी के रामचंद्र हंसदह और पीएमके के अंबुमणि रामदौस ने वोट नहीं डाले। ये सभी लोकसभा सांसद हैं। दोनों सदनों में 99.61% वोटिंग हुई।
– देश में 31 विधानसभाएंं हैं। इनमें 4120 एमएलए हैं। इनमें 10 सीट खाली है और एक विधायक अयोग्य है। इस तरह, 4,109 विधायकों को वोट डालना था, लेकिन 4,083 ने वोटिंग की। यानी कुल 99.37% वोटिंग हुई।
क्यों मायने रखता है इस बार का राष्ट्रपति चुनाव?
1) दलित: इस बार दोनों कैंडिडेट मीरा कुमार और कोविंद दलित हैं। दोनों में से कोई भी जीते, देश को केआर नारायणन के बाद दूसरा दलित राष्ट्रपति मिलना तय है।
2) एनडीए: अगर कोविंद जीत जाते हैं तो देश को एपीजे अब्दुल कलाम के बाद दूसरी बार एनडीए की पसंद का राष्ट्रपति मिलेगा।
3) यूपीए: अगर मीरा कुमार जीत जाती हैं तो यूपीए को प्रतिभा पाटिल के बाद दूसरी महिला राष्ट्रपति बनवाने का क्रेडिट जाएगा।
4) बीजेपी: 37 साल में पहली बार सर्वोच्च पद पर उसका नेता रहेगा। 6 अप्रैल 1980 को पार्टी बनी थी। 1990 में पहली सरकार राजस्थान में बनी। 1996 में देश में उसकी केंद्र में पहली सरकार बनी। अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने थे। कलाम एनडीए की पसंद के राष्ट्रपति बने थे, लेकिन वे भाजपा के नहीं थे। भैरोंसिंह शेखावत बीजेपी के थे जो उपराष्ट्रपति थे। कोविंद के रूप में सर्वोच्च पद ऐसा नेता संभालेगा जो बीजेपी से जुड़ा रहा है।
5) यूपी:कोविंद के जीतने की स्थिति में 9 प्रधानमंत्री देने वाले यूपी से देश को पहला प्रेसिडेंट मिलेगा। हालांकि, मीरा कुमार का भी यूपी से कनेक्शन है। 1985 में जब उन्होंने यूपी के बिजनौर से ही पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने मायावती और रामविलास पासवान जैसे मजबूत दलित नेताओं को हराया था।
कौन हैं रामनाथ कोविंद: ऐसे प्रवक्ता रहे जो कभी टीवी पर नहीं आए
– कोविंद (71) एक अक्टूबर 1945 को कानपुर की डेरापुर तहसील के परौंख गांव में जन्मे। 1978 में SC में वकील के तौर पर अप्वाइंट हुए। 1980 से 1993 के बीच SC में केंद्र की स्टैंडिंग काउंसिल में भी रहे।
– कोविंद 1977 में तब पीएम रहे मोरारजी देसाई के पर्सनल सेक्रेटरी बने।
– बीजेपी का दलित चेहरा हैं। पार्टी ने बिहार इलेक्शन में गवर्नर के तौर पर उनके दलित चेहरे को प्रोजेक्ट किया था। कोविंद दलित बीजेपी मोर्चा के अध्यक्ष रहे। ऑल इंडिया कोली समाज के प्रेसिडेंट हैं।
– कोविंद 1994 से 2000 तक और उसके बाद 2000 से 2006 तक राज्यसभा सदस्य रहे। अगस्त 2015 में बिहार के गवर्नर अप्वाइंट हुए।
– वे 1990 में घाटमपुर से एमपी का इलेक्शन लड़े, लेकिन हार गए। इसके बाद वे 2007 में यूपी की भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़े, पर ये चुनाव भी वे हार गए। उनके परिवार में पत्नी सविता, एक बेटा और एक बेटी है।
– कोविंद बीजेपी के नेशनल स्पोक्सपर्सन रह चुके हैं, लेकिन वे लाइमलाइट से इतने दूर रहते हैं कि प्रवक्ता रहने के दौरान कभी भी टीवी पर नहीं आए।
कौन हैं मीरा कुमार: जिन्होंने 32 साल पहले मायावती को हराया
– मीरा (72) का जन्म 31 मार्च 1945 को बिहार के आरा जिले में हुआ। देहरादून और जयपुर में स्कूली पढ़ाई की। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और मिरांडा हाउस की पासआउट हैं। वे एमए और एलएलबी हैं।
– 1973 में इंडियन फॉरेन सर्विस ज्वाइन की। वे भारत-मॉरिशस ज्वाइंट कमीशन की मेंबर रहीं। ब्रिटेन और स्पेन में इंडियन हाई कमीशन में भी काम किया।
– 1980 के बाद वे राजनीति में आईं। 1985 में जब उन्होंने यूपी के बिजनौर से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था तो मायावती और रामविलास पासवान जैसे मजबूत दलित नेताओं को हराया था।
– यूपीए-1 सरकार में बिहार के सासाराम से चुनकर आने के बाद उन्हें मनमोहन सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बनाया गया।
– यूपीए-2 के वक्त 2009 में उन्हें स्पीकर बनाया गया। वे पहली महिला स्पीकर रहीं।
– मीरा 8वीं, 11वीं, 12वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा की सदस्य रही हैं। स्पीकर बनने वाली वे जीएमसी बालयोगी के बाद दूसरी दलित रहीं। पहली बार सांसद बनीं तो वे सदन में सबसे पीछे की बेंच पर बैठती थीं। स्पीकर बनने के बाद उन्होंने खुद यह बात बताई थी।
– मीरा के पति मंजुल कुमार सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। परिवार में दो बेटियां स्वाति-देवांगना और एक बेटा अंशुल है।
कब पद संभालेंगे नए राष्ट्रपति?
– प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को पद संभालेंगे। उसी दिन प्रणब का फेयरवेल संसद के सेंट्रल हॉल में होगा। स्पीकर सुमित्रा महाजन स्पीच देंगी। वे प्रणब को एक स्मृति चिह्न और सभी सांसदों के सिग्नेचर वाली बुक देंगी। इसके बाद हाई-टी होगी।
– रिटायरमेंट के बाद प्रणब उसी बंगले में शिफ्ट होंगे, जहां पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम रहते थे। बताया जाता है कि प्रणब रिटायरमेंट के बाद अपनी ऑटोबायोग्राफी का तीसरा पार्ट लिखना चाहते हैं।
कौन चुनता है राष्ट्रपति? क्या है जीत का गणित?
लोकसभा सांसद: कुल 543
राज्यसभा सांसद: कुल 233
31 विधानसभा के विधायक: कुल 4120
MLAs की टोटल वोट वैल्यू:5,49,474
MPs की टोटल वोट वैल्यू: 5,48,408
टोटल वोट वैल्यू: 10,98,882
जीत के लिए जरूरी: 50% से एक ज्यादा यानी 5,49,442 वोट
कैसे निकालते हैं वोट वैल्यू?
– राष्ट्रपति चुनाव में डाले जाने वाले वोट की वैल्यू तय होती है। इसमें राज्य की आबादी का अहम रोल होता है। विधायकों और सांसदों की वोट वैल्यू निकालने के लिए दो अलग-अलग फॉर्मूले इस्तेमाल किए जाते हैं।
a) विधायक
– इनके वोट की वैल्यू तय करने के लिए कुल विधायकों की संख्या में 1000 का मल्टीप्लाई किया जाता है। फिर इससे राज्य की 1971 में रही कुल आबादी को डिवाइड कर दिया जाता है। देशभर के विधायकों के वोटों की टोटल वैल्यू 5,43,218 है। विधायकों की संख्या बीच में कम होने पर किसी राज्य में एक विधायक की वोट वैल्यू नहीं बदलती।
– जैसे मध्य प्रदेश की 1971 में कुल आबादी 30,017,180 थी। इसलिए मध्य प्रदेश में एक विधायक की वोट वैल्यू 30,017,180/230X1000 = 30,017,180/2310000 = 131 है।
b) सांसद
इनके वोट की वैल्यू निकालने के लिए सभी विधायकों की वोट वैल्यू को सांसदों की संख्या से डिवाइड कर देते हैं। यानी विधायकों की टोटल वैल्यू 5,43,218 को 776 से डिवाइड करेंगे। इससे एक सांसद की वोट वैल्यू 708 निकलेगी। सांसदों की संख्या बीच में कम होने पर यह वोट वैल्यू नहीं बदलती।
वोटिंग से पहले भी आंकड़े NDA के फेवर में थे
– राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए 50% वोट चाहिए। 16 दल और 6 अपोजिशन पार्टियां कोविंद के साथ हैं। AIADMK, BJD, TRS, JDU, वाईएसआर कांग्रेस और इनेलो ने कोविंद को सपोर्ट किया था।
– एनडीए के पास 48% वोट हैं। एनडीए को जो पार्टियां समर्थन दे रही हैं, उनके 15% वोट हैं। इस तरह कोविंद के लिए 63% वोटों का सपोर्ट पहले से था।
मीरा के लिए सपोर्ट बेस घट गया था
– कोविंद के एलान से पहले अगर सभी अपोजिशन पार्टियां एक हो जातीं तो टोटल वोट 5,68,148 होता, यानी यूपीए के पास करीब 51.90% वोट होते।
– कांग्रेस के साथ बसपा, आरजेडी, लेफ्ट पार्टियां, आप, डीएमके, एनसीपी सहित 18 दल हैं। टीएमसी और सपा ने भी मीरा को सपोर्ट किया था। लेकिन दोनों दलों की तरफ से क्रॉस वोटिंग हुई।
– वोटिंग से पहले यूपीए+विपक्ष के पास 34% वोट थे।
किसे राष्ट्रपति को कितने वोट मिले?
ईयर उम्मीदवार वोट
2012 प्रणब मुखर्जी 7,13,763
2007 प्रतिभा पाटिल 6,38,116
2002 अब्दुल कलाम 9,22,884
1997 के. आर. नारायणन 9,56,290
1992 शंकर दयाल शर्मा 6,75,864
1987 आर. वेंकटरमण 7,40,148
1982 नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध
1974 फखरुद्दीन अली अहमद 754,113
1969 वी. वी. गिरि 4,20,515
1962 जाकिर हुसैन 4,71,244
1962 डॉ. एस. राधाकृष्णन 5,53,067
1957 डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 4,59,698
1952 डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 507,400

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