प्रणब मुखर्जी ने सोमवार शाम को बतौर राष्ट्रपति आखिरी बार देश को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा- ” मैंने अपनी डयूटी को निभाने के पूरी कोशिश की। मेरे लिए संविधान ही सब कुछ रहा। सियासी दलों ने जो मेरा सहयोग किया है, उसका मैं शुक्रगुजार हूं। मैं इस देश की जनता का हमेशा कर्जदार रहूंगा।” इस दौरान उन्होंने देश में हो रही हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा- “हम हर दिन अपने आसपास बढ़ती हिंसा देख रहे हैं। इसकी बुनियाद में अंधेरा, डर और आपसी भरोसा खो देने का माहौल है।”
– प्रणब मुखर्जी ने कहा- “मैंने देश को जितना दिया उससे कहीं ज्यादा पाया। राष्ट्रपति बनने जा रहे रामनाथ कोविंद का स्वागत करता हूं। देश ने सोशल और कल्चरल रिवॉल्यूशन को देखा है। आधुनिक भारत डेमोक्रेसी, सभी के लिए समान हक, समान आर्थिक अवसरों पर बना है।”
– ”पांच साल पहले जब मैंने राष्ट्रपति पद संभाला था, तब मैंने संविधान की रक्षा करने की शपथ ली थी। बीते पांच साल के दौरान हर दिन मैं अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक रहा। मैंने युवा लोगों के साथ वक्त बताया। साइंटिस्ट्स, इनोवेटर्स, आर्टिस्ट्स, लीडर्स और ऑथर्स के साथ बातचीत। इससे मुझे फोकस रहने में मदद मिली। इतिहास बताएगा कि मैं इस पर कितना सफल रहा।”
मैं यहां कोई उपदेश नहीं देना चाहता
– प्रणब मुखर्जी ने कहा- ”आमतौर पर देखा जाता है कि उम्र के साथ व्यक्ति की उपदेश देने की आदत बढ़ती जाती है, लेकिन मैं यहां कोई उपदेश नहीं देना चाहता। बीते 50 साल में मेरा एक ही फलसफा है- भारत का संविधान। ये मेरे लिए पवित्र ग्रंथ और संसद मेरे लिए मंदिर जैसी थी।”
– ”मैं कुछ सच्चाइयों को साझा करना चाहूंगा, जिसे मैंने राजनीतिक सफर के दौरान आत्मसात किया है। भारत की आत्मा प्लूरजिज्म, टॉलरेंस में बसती है। संस्कृति, पंथ, भाषा की विविधिता ही हमें खास बनाती है। टॉलरेंस हमें ताकत देता है। एक अहिंसक समाज ही लोकतंत्र में पिछड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। गांधी चाहते थे कि हमें गरीब से गरीब नागरिक को सशक्त बनाना होगा। आखिरी लाइन में खड़े लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना होगा।”
– ”पब्लिक डायलॉग के अलग-अलग पहलू हैं। हम तर्क-वितर्क कर सकते हैं। हम रजामंद हो सकते हैं या नहीं हो सकते। लेकिन अलग-अलग विचारों की मौजूदगी जरूरी है जिसे हम नकार नहीं सकते। खुला दिल रखने अौर टॉलरेंस की ताकत ही हमारे देश की सच्ची नींव है। लेकिन हम हर दिन अपने आसपास बढ़ती हिंसा देख रहे हैं। इसकी बुनियाद में अंधेरा, डर और आपसी भरोसा खो देने का माहौल है। अहिंसक समाज ही लाेकतांत्रिक समाज में सभी वर्ग के लोगों की भागीदारी तय कर सकता है। हमें एक सहानुभूतिपूर्ण समाज के लिए अहिंसा की ताकत को दोबारा जगाना होगा।”
– ”मैं कुछ सच्चाइयों को साझा करना चाहूंगा, जिसे मैंने राजनीतिक सफर के दौरान आत्मसात किया है। भारत की आत्मा प्लूरजिज्म, टॉलरेंस में बसती है। संस्कृति, पंथ, भाषा की विविधिता ही हमें खास बनाती है। टॉलरेंस हमें ताकत देता है। एक अहिंसक समाज ही लोकतंत्र में पिछड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। गांधी चाहते थे कि हमें गरीब से गरीब नागरिक को सशक्त बनाना होगा। आखिरी लाइन में खड़े लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना होगा।”
– ”पब्लिक डायलॉग के अलग-अलग पहलू हैं। हम तर्क-वितर्क कर सकते हैं। हम रजामंद हो सकते हैं या नहीं हो सकते। लेकिन अलग-अलग विचारों की मौजूदगी जरूरी है जिसे हम नकार नहीं सकते। खुला दिल रखने अौर टॉलरेंस की ताकत ही हमारे देश की सच्ची नींव है। लेकिन हम हर दिन अपने आसपास बढ़ती हिंसा देख रहे हैं। इसकी बुनियाद में अंधेरा, डर और आपसी भरोसा खो देने का माहौल है। अहिंसक समाज ही लाेकतांत्रिक समाज में सभी वर्ग के लोगों की भागीदारी तय कर सकता है। हमें एक सहानुभूतिपूर्ण समाज के लिए अहिंसा की ताकत को दोबारा जगाना होगा।”
एक ऐसा समाज जिसमें सभी के लिए समानता हो
– प्रणब मुखर्जी ने कहा- ‘क्रिएटिव और साइंटिफिक मिजाज को एजुकेशन के हमारे हायर सेंटर्स में प्रमोट किया जाना चाहिए। हमारे लिए समावेशी समाज को बनाने का लक्ष्य होना चाहिए। गांधीजी भी यही चाहते थे। ऐसा समाज जिसमें सभी के लिए समानता हो, सभी को समान मौके मिलें। फाइनेंशियल इनक्लूजन भी इसी का हिस्सा है। हमें सभी तरह की हिंसा, वह फिजिकल हो या वर्बल, उसे खत्म कर देना चाहिए।”
– 2012 में मैंने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते वक्त कहा था कि हमें अपने इंस्टीट्यूट्स को वर्ल्ड क्लास बनाना होगा। जहां स्टूडेंट्स विषयों को रटे नहीं, बल्कि ऐसा माहौल बनाना होगा, जहां उनके मन में एक जिज्ञासा पैदा हो।
– ”बीते पांच साल में हमने हैप्पीनेस पर जोर दिया है। जिंदगी में हंसना, नेचर से कनेक्ट होना और कम्युनिटी के साथ इनवॉल्व होना जरूरी है। यह सफर जारी रहना चाहिए। मैं पद छोड़ने जा रहा हूं। जब मैं कल आपसे बात करूंगा, मैं राष्ट्रपति नहीं रहूंगा, लेकिन एक नागरिक रहूंगा। हम सभी देश को महानता की ओर ले जाएंगे। कल में आपसे एक राष्ट्रपति नहीं बल्कि ऐसे व्यक्ति के रूप में बात करूंगा, जो भारत की विकास यात्रा के पथ का एक मुसाफिर होगा। शुक्रिया।”
– 2012 में मैंने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते वक्त कहा था कि हमें अपने इंस्टीट्यूट्स को वर्ल्ड क्लास बनाना होगा। जहां स्टूडेंट्स विषयों को रटे नहीं, बल्कि ऐसा माहौल बनाना होगा, जहां उनके मन में एक जिज्ञासा पैदा हो।
– ”बीते पांच साल में हमने हैप्पीनेस पर जोर दिया है। जिंदगी में हंसना, नेचर से कनेक्ट होना और कम्युनिटी के साथ इनवॉल्व होना जरूरी है। यह सफर जारी रहना चाहिए। मैं पद छोड़ने जा रहा हूं। जब मैं कल आपसे बात करूंगा, मैं राष्ट्रपति नहीं रहूंगा, लेकिन एक नागरिक रहूंगा। हम सभी देश को महानता की ओर ले जाएंगे। कल में आपसे एक राष्ट्रपति नहीं बल्कि ऐसे व्यक्ति के रूप में बात करूंगा, जो भारत की विकास यात्रा के पथ का एक मुसाफिर होगा। शुक्रिया।”
मोदी ने कहा- प्रणब से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला
– इससे पहले, राष्ट्रपति भवन में प्रणब के स्पीच की एक बुक को लॉन्च किया गया।
– इस मौके पर नरेंद्र मोदी ने कहा- “मुझे प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी से मार्गदर्शन मिला है, जो मुझे बेहद मदद करेगा। मैं यह कह सकता हू कि जिसने भी उनके (प्रणब) साथ काम किया है, उन्होंने मेरे जैसा ही महसूस किया होगा। प्रणब के पास बहुत नॉलेज है और वह बहुत ही सादगीभरे हैं। प्रणब मुखर्जी के रहते ही राष्ट्रपति भवन लोक भवन में बदल गया।”
शपथ ग्रहण में ये होगा खास
– मंगलवार को कोविंद और प्रणब एक साथ राष्ट्रपति की शाही बग्घी में शपथ ग्रहण के लिए संसद पहुंचेंगे। सेंट्रल हॉल में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर कोविंद को राष्ट्रपति के रूप में संविधान की रक्षा की शपथ दिलाएंगे।
– इस दौरान प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति की सीट पर बैठेंगे और कोविंद के शपथ लेने के बाद कुर्सियों की अदला-बदली होगी। इसके बाद कोविंद कार से प्रणब को उनके नए घर 10 राजाजी मार्ग तक छोड़ेंगे। यहां पहले एपीजे अब्दुल कलाम रहते थे।
– इसके बाद तीनों सेनाओं के दस्ते कोविंद को लेने उनके पुराने घर जाएंगे। उन्हें बग्गी में बैठाकर राष्ट्रपति भवन तक लाया जाएगा। इस समारोह के लिए शनिवार को जवानों ने फुल ड्रेस रिहर्सल की।