मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भौतिक समृद्धि मात्र से आंतरिक खुशी और शांति नहीं मिलती। अधोसंरचना रचनात्मक विकास करना सरकार का प्राथमिक काम है लेकिन ऐसे वातावरण का निर्माण करना भी सरकार का दायित्व है जिसमें नागरिकों को आनन्द की अनुभूति हो सके। उन्होंने कहा कि प्रसन्नता के संकेतक तैयार करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। अगले साल तक आनंद विभाग का रोड मेप बनकर तैयार हो जायेगा। श्री चौहान आज यहाँ मंत्रालय में राज्य आनंद संस्थान की साधारण सभा की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि वे सामान्य सभा के अध्यक्ष हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि जल्द ही स्वेच्छा से आनंद विभाग से जुड़े आनंदकों द्वारा बच्चों के खिलौने इकट्ठे करने का काम भी शुरू किया जायेगा और इन्हें उन बच्चों को दिया जायेगा जिनके माता-पिता खिलौने नहीं ले पाते।
अब तक स्व-प्रेरणा से 33 हजार आनन्दकों ने पंजीयन कराया है। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आनंद विभाग के गठन के एक साल के भीतर ही वृहद स्तर पर आनंद देने वाली गतिविधियों का संचालन किया गया। करीब सात हजार स्थानों में आनंद उत्सव आयोजित किये गये। मुख्यमंत्री ने कहा कि साधारण सभा के सदस्य मूर्धन्य विद्वानों के सुझावों को शामिल करते हुए आनंद विभाग का रोडमेप बनाया जायेगा।
विद्वानों ने की मुख्यमंत्री की प्रशंसा
आनंद संस्थान की साधारण सभा के मूर्धन्य सदस्यों ने आनंद विभाग गठित करने की मुख्यमंत्री की पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सदस्यों ने आनंद विभाग की गतिविधियों के विस्तार के लिये बहुमूल्य सुझाव दिये।
वेद शिक्षा से जुड़े स्वामी गोविंददेव गिरि जी ने आनंद विभाग गठित करने की पहल की सराहना करते हुए इसे रचनात्मक प्रकल्प बताया और कहा कि इसके लिये आनंद विभाग और संस्थान टीम बधाई की पात्र हैं। उन्होंने सर्वधर्म आनंद कथा के आयोजन करने का सुझाव दिया। उन्होंने आनंद विभाग को राज्य की जनता के लिये मुख्यमंत्री की ओर से दिया गया उत्कष्ट उपहार बताया।
बच्चों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास के प्रकल्पों से जुड़ी सुश्री इंदुमति काटदरे ने सुझाव दिया कि प्रसन्नता के सूचकांक तैयार करते समय भारतीय दृष्टि और दर्शन का ध्यान रखना उचित होगा।
योगाचार्य डॉ. एच.आर. नागेन्द्र ने सुझाव दिया कि स्कूली और कॉलेजी बच्चों में भी प्रसन्नता के स्तर का आंकलन करने के लिये योग क्रियाओं और अभ्यास की शुरूआत करना चाहिये। इस दिशा में योग और आनंद के परस्पर संबंध को समझने के लिये अनुसंधान भी होना चाहिये। प्रसन्नता के विभिन्न आयामों पर लेखन करने वाले श्री राज रघुनाथन ने मुख्यमंत्री को आनंद विभाग गठित करने के लिये बधाई देते हुए कहा कि एक वर्ष के अंदर आनंद विभाग की रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन प्रशंसनीय हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश को भारत का हैप्पीनेस स्टेट के रूप में स्थापित करने की पहल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि लोगों में आपस में विश्वास बढ़ने को भी प्रसन्नता के सूचकांक में शामिल किया जाना चाहिये।
सुश्री सोनल मानसिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश ने आनंद विभाग स्थापित कर एक अदभुत कार्य किया है। इसे पूरे देश में विस्तारित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि आनंद क्लब की गतिविधियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिये। इसके लिये सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग होना चाहिये।
श्री ब्रह्मदेव शर्माजी ने कहा कि स्कूलों में आनंद सभा के साथ ही शाला की प्रार्थना सभा में भी बच्चों को अपनी कृतज्ञता, मदद, सीखना और जागरूकता के संबंध में अपने अनुभव साझा करने की व्यवस्था होना चाहिये। उन्होंने कहा कि आनंद संस्थान की गतिविधियों को पंचायत-स्तर पर होना चाहिये। सेवानिवृत्त व्यक्तियों को जोड़ा जाना चाहिये। बच्चों में 10 वर्ष की आयु से ही सम्बन्ध, क्षमता, मदद, सीखना जैसे गुणों का समावेश करने के लिये गतिविधियों को किया जाना चाहिये।
बैठक में बताया गया कि अगले साल से शहरों में भी आनंद विभाग की गतिविधियाँ शुरू हो जायेंगी। आनंद और प्रसन्नता के सूचकांक तैयार हो जायेंगे और उनके क्रियान्वयन भी शुरू हो जायेंगे। बैठक में बताया गया कि ग्वालियर, छतरपुर, मंडला और विदिशा जिलों ने आनंद विभाग की गतिविधियों के संचालन में उत्कृष्ट कार्य किया है।
इस दिशा में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये आनंद फैलोशिप दी जायेगी। अल्प विराम कार्यक्रम का विस्तार किया जायेगा। बैठक में आनंद विभाग के कार्यालय बजट एवं प्रशासनिक कार्यों का अनुमोदन किया गया। आर्ट ऑफ लिविंग फाउन्डेशन, पंचगनी, ईशा फाउन्डेशन कोयम्बटूर, एनिशियेटिव ऑफ़ चेंज संस्थान के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जायेगा।
बैठक में मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह, अपर मुख्य सचिव आनंद विभाग श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव वन श्री दीपक खांडेकर, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा श्री संजय बंदोपाध्याय एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
साधारण सभा के उपाध्यक्ष श्री लालसिंह आर्य, वन मंत्री श्री गौरीशंकर शेजवार, उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया, स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह, महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस उपस्थित थीं।