नई दिल्ली. पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर पर यूनाइटेड नेशंस (यूएन) से बैन लगवाने की कोशिशों को एक बार फिर झटका लगा है। यूके, यूएस और फ्रांस ने बैन लगाने का प्रपोजल रखा था। चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर प्रपोजल पर तीन महीने का टेक्निकल होल्ड लगा दिया। इससे पहले फरवरी में भी चीन ने अजहर को ग्लोबल आतंकवादियों की लिस्ट में मसूद का नाम शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। उस वक्त के फॉरेन सेक्रेटरी एस. जयशंकर ने कहा था कि इंटरनेशनल लेवल पर कई देश मसूद पर बैन लगाने के फेवर में हैं। सिर्फ चीन राजी नहीं है, इसलिए इस पर आम राय नहीं बन पा रही है। बता दें कि अजहर पाकिस्तानी आतंकी है। उसे 1999 में कंधार प्लेन हाईजैकिंग केस के वक्त छोड़ा गया था।
चीन यूनाइटेड नेशन्स (यूएन) में मसूद अजहर पर बैन लगाने के प्रपोजल को बार-बार अटका देता है। चीन हर बार अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर यूएन की 1267 कमेटी में अजहर के खिलाफ प्रपोजल को टेक्निकल होल्ड पर डाल देता है। बता दें कि आतंकियों और आतंकी संगठनों पर बैन लगाने का फैसला यूएनएससी की 1267 कमेटी ही करती है। अक्टूबर 1999 में यूएन सिक्युरिटी काउंसिल ने 1267 रेजोल्यू्शन पास किया था। इसी के तहत ओसामा बिन लादेन को आतंकी घोषित करने के बाद उस पर और उसके संगठन अल कायदा पर बैन लगाया गया था। भारत ने पिछले साल मार्च में अजहर पर बैन लगाने के लिए यूनाइटेड नेशंस में प्रपोजल रखा था। उस वक्त चीन ने इसे 6 महीने (सितंबर तक ) के लिए रोक दिया था। 15 सदस्यों वाली सिक्युरिटी काउंसिल में चीन इकलौता देश था, जिसने विरोध किया था। काउंसिल के बाकी 14 मेंबर ने इस प्रपोजल का सपोर्ट किया था। फिर सितंबर में इसे 3 और महीने के लिए रोक दिया था। पिछले साल 31 दिसंबर को यह रोक खत्म हुई थी। इसके बाद अमेरिका, फ्रांस और यूके ने मिलकर फिर से एक नया प्रपोजल लाए थे।