मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मानसून से हो रहे नुकसान को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को फील्ड स्टाफ को सक्रिय करने के निर्देश, ताकि सेब सीज़न के दौरान यातायात को सुचारू बनाया रखा जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी प्रकार के खतरे की चेतावनी तत्काल दी जानी चाहिए और ग्रामीण क्षेत्रों सहित सभी सड़कों की युद्ध स्तर पर पुनर्बहाली सुनिश्चित बनाई जाए और वैकल्पिक मार्गों को क्रियाशील करने की नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को पाईप लाईनों की तुरन्त मुरम्मत सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
श्री वीरभद्र सिंह ने कृषि व बागवानी विभाग को भारी वर्षा के कारण हुए नुकसान का आंकलन करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को बारिश से हुए नुकसान की रिपोर्ट तुरन्त तैयार करनी चाहिए, ताकि राज्य स्तर पर इसे संकलित कर समय पर केन्द्र सरकार को भेजा जा सके। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को जल जनित रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने के भी निर्देश दिए और ऐसा कोई मामला सामने आने पर तत्काल प्रभावी कदम उठाने को भी कहा।
मुख्यमंत्री ने आपातकाल में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बचाव उपकरण व प्रशिक्षित श्रमशक्ति तैयार रखने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलों में त्वरित कार्रवाई दलों को क्रियाशील करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि सभी मार्गों पर यातायात को सुचारू बनाए रखें तथा लोगों व सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जब कोई मुख्य मार्ग अवरूद्ध हो तो पर्यटकों तथा आम लोगों को जिला मुख्यालय में ही रोका जाना चाहिए, ताकि उच्च मार्गों पर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था पैदा न हो।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सभी जल विद्युत परियोजनाओं के अधिकारियों को यह सुनिश्चित बनाना होगा कि पूर्व चेतावनी के बाद ही जलाशय से पानी छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि जलाशयों व बांधों से पानी छोड़ने के चौबीस घण्टे पूर्व चेतावनी व सतर्कता का उचित प्रकार से प्रचार सुनिश्चित बनाना होगा। उन्होंने कहा कि उपायुक्तों, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य व विद्युत इत्यादि विभागों को कार्यों की तत्काल पुनर्बहाली के लिए 64 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है और आवश्यकता के अनुसार और राशि उपलब्ध करवाई जाएगी तथा कहा कि इस कार्य के लिए धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व व आपदा प्रबन्धन) श्री तरूण श्रीधर ने इस दौरान वर्षा से हुए नुकसान बारे अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि गत सप्ताह के दौरान हुई भारी बारिश से प्रदेश में जनजीवन व सम्पत्ति का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान कुल 173 मौतें हुई, जिनमें 20 मौतें बाढ़, भू-स्खलन व बादल आदि फटने के कारण हुई है और शेष 153 मौतें सड़क दुर्घटना इत्यादि के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि इस दौरान 124 भेड़ों बकरियां, गायों भैंसों व घोडां़े आदि पशुओं की भी मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि मॉनसून के दौरान प्रदेश में सड़क नेटवर्क व पुलों व कल्वर्ट को हुए नुकसान को 291 करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि पेयजल व सिंचाई योजनाओं का नुकसान 80 करोड़ रुपये और विद्युत अधोसंरचना को 3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अनुमानित तौर पर इस मॉनसून के दौरान 380 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।
श्रीधर ने कहा कि दो-तीन दिनों के दौरान 280 सड़कें क्षतिग्रस्त व अवरूद्ध हुई है, जिनमें से आज 200 यातायात के लिए खोल दी गई हैं। उन्होंने कहा कि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग की 740 योजनाएं अवरूद्ध हुई हैं, जिनमें से 540 को पुनर्बहाल कर दिया गया है।
निदेशक बागवानी ने इस अवसर पर बताया कि सेबों की पेटियों की ढुलाई का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है और अब तक विभिन्न मण्डियों को 19 लाख से अधिक सेब की पेटियां भेजी जा चुकी हैं।
आईएमडी के प्रतिनिधि ने प्रदेश में हुई बारिश के बारे अवगत करवाया तथा कहा कि आगामी 5 दिनों के दौरान प्रदेश के विभिन्न भागों में भारी बारिश की संभावना है।
मुख्य सचिव श्री वी.सी. फारका, पुलिस महानिदेशक श्री सुमेश गोयल, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा विभाग के डी.जी. श्री एस.आर. मरढ़ी, मुख्य मंत्री के प्रधान सलाहकार श्री टी.जी.नेगी, सचिव स्वास्थ्य श्री प्रबोध सक्सेना, नगर निगम के आयुक्त श्री जी.सी. नेगी, विशेष सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन श्री डी.डी. शर्मा, विशेष सचिव लोक निर्माण विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग, निदेशक पशु पालन व कृषि विभाग के अतिरिक्त अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।