भोपाल केंद्रीय जेल में रक्षाबंधन के दिन बंदियों से मुलाकात करने आए बच्चों के चेहरे पर सील लगाने के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। गुरुवार को परिजनों के साथ दोबारा जेल पहुंचे बच्चों ने जेल प्रबंधन से महिला प्रहरी को सस्पेंड न करने की रिक्वेस्ट की है। गौरतलब है कि जेल प्रबंधन ने इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद महिला प्रहरी को सस्पेंड कर दिया था।
गुरुवार को पीड़ित परिवार को पड़ोसियों ने बताया था कि बच्चों के चेहरे पर सील लगाने के मामले में डीजी जेल संजय चौधरी ने एक महिला प्रहरी रोशनी राजपूत को सस्पेंड कर दिया है। खबर से दुखी परिजन और बच्चे गुरुवार को सेंट्रल जेल पहुंचे और उन्होंने अपनी तरफ जेल प्रबंधन को एक हलफनामा दिया है, जिसमें उन्होंने महिला प्रहरी रोशनी राजपूत को सस्पेंड न करने की रिक्वेस्ट की है। वहीं, बच्चों के परिजनों ने यह भी कहा है कि उन्हें चेहरे पर सील लगाने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। इसीलिए महिला प्रहरी को सस्पेंड न किया जाए।
यह था मामला…
गौरतलब है कि रक्षाबंधन के दिन भोपाल जेल में दो बच्चे परिजनों के साथ जेल में बंद अपने पिता से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान जेलकर्मियों द्वारा पहचान के लिए कैदियों के परिजनों के हाथ पर मुहर लगाई जा रही थी। लेकिन जैसे ही बच्चों की बारी आई, एक महिला प्रहरी ने उनके हाथ के बजाए चेहरे पर सील लगा दी थी।
इसलिए लगाई जाती है हाथ पर मोहर
-तीज-त्योहार या अन्य दिनों में भी जेल में बंद कैदियों से मिलने जाने वाले परिजनों या परिचितों के हाथ पर पहचान के लिए जेल कर्मियों द्वारा मोहर लगा दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कैदी भीड़ का फायदा उठाकर भाग न निकले। यह केवल सुरक्षा की दृष्टि से किया जाता है।
-तीज-त्योहार या अन्य दिनों में भी जेल में बंद कैदियों से मिलने जाने वाले परिजनों या परिचितों के हाथ पर पहचान के लिए जेल कर्मियों द्वारा मोहर लगा दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कैदी भीड़ का फायदा उठाकर भाग न निकले। यह केवल सुरक्षा की दृष्टि से किया जाता है।