किसी भी फिल्म का ‘फर्स्ट डे फर्स्ट शो’ काफी कुछ कह जाता है. आज भी ऐसा हुआ. पुरानी दिल्ली के एक सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर में टॉयलेटः एक प्रेम कथा का साढे नौ बजे का शो था. लेकिन सिनेमाघर के बाहर अच्छी चहल-पहल नजर आ रही थी. दर्शकों की कतार अंदर जाने के लिए खड़ी थी. फिल्म देखने आए दर्शकों में अधिकतर युवा थे, और सब में इस बात को लेकर उत्सुकता थी कि टॉयलेट… किस तरह की होगी क्योंकि विषय ही इतना दिलचस्प था. कॉलेज गोल करके आए एक छात्र ने बताया, “टॉयलेट का इस तरह का इस्तेमाल पहले कभी नहीं किया गया है. मैं मथुरा का रहने वाला हूं…इसलिए कुछ ज्यादा एक्साइटेड हूं.” उसके साथ आए लड़के ने कहा, “अक्षय देसी लौंडा है. उसका स्टाइल भी देसी है.”
हॉल के अंदर दर्शकों की संख्या यही कोई 25-30 प्रतिशत रही होगी लेकिन पहले सीन से ही हॉल में सीटियां बजनी शुरू हो गई थीं. अक्षय के डायलॉग और टॉयलेट सीन का दर्शकों ने भरपूर मजा लिया. ज्यादा सीटियां उस समय बजती थीं, जब भूमि पेडणेकर टॉयलेट के लिए अक्षय की धज्जियां उड़ाती थीं. सीटियां बजाने वालों में अधिकतर पुरुष ही थे. इंटरवेल तक तो हॉल में खूब धूम-धाम रही. अक्षय के डायलॉग और भूमि के साथ उनके सीन्स को दर्शकों ने खूब इंजॉय किया. हाफ टाइम के बाद यह सीटियां और शोर थोड़ा कम हो गया. फिल्म में भाषण ज्यादा सुनाई देने लगा. लेकिन दर्शकों ने कुछ ऐसे पल ढूंढ ही लिए जो सीटी बजाने के लिए काफी थे. फिर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं का जिक्र आता तो उस समय भी दर्शक कुछ एक्साइटेड हो जाते थे.
फिल्म का सेकंड हाफ कुछ स्लो और भाषण टाइप का ज्यादा था लेकिन दर्शकों को फिल्म का कंटेंट और स्टाइल शायद अच्छा लगा. हॉल से बाहर निकल रहे एक शख्स से जब फिल्म के बारे में पूछा गया तो उसने कहा, “औरतों के बारे में पहले कभी किसी हीरो ने इस तरह नहीं सोचा…अक्षय को सैल्यूट.” वाकई फिल्म में सरकारी बात चाहे ठूंसी गई हो लेकिन औरतों की इस समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं गया. जब एक महिला दर्शक से फिल्म पर उनकी राय मांगी गई तो उन्होंने इतना ही कहा, “अक्षय ने हमारी बात कही है…अब इंतजार पैडमैन का है…”
अक्षय कुमार के पास चार दिन का समय है क्योंकि वीकेंड के अलावा 14 तारीख को जन्माष्टमी की छुट्टी है तो उसके बाद 15 अगस्त है, यानी फिल्म जनता से कनेक्शन बनाने में कामयाब रही तो अक्षय की चांदी ही चांदी है.