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कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में सर्वोपरि….

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किसानों की अथक मेहनत से आज प्रदेश कृषि विकास के क्षेत्र में सर्वोपरि है। प्रदेश को निरंतर पाँच कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुए हैं। पिछले पाँच वर्षों से प्रदेश की कृषि विकास दर औसतन 20 प्रतिशत प्रतिवर्ष रही है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है। प्रदेश आज दलहन-तिलहन उत्पादन, चना, मसूर, सोयाबीन, अमरूद, टमाटर, लहसुन उत्पादन में देश में प्रथम है। गेहूँ, अरहर, सरसों, आँवला, संतरा, मटर, धनिया उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है। सम्पूर्ण खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में प्रदेश का देश में तीसरा स्थान है।

पाँच वर्ष में किसान की आय को दोगुना करने का रोड-मेप तैयार

मध्यप्रदेश ने देश में सबसे पहले किसानों की आय पाँच वर्षों में दोगुनी करने का रोड-मेप बनाकर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। रोड़-मेप के अंतर्गत मुख्यत: पाँच आधार बिन्दु क्रमश: कृषि लागत में कमी, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, कृषि विविधीकरण, उत्पाद का बेहतर मूल्य और कृषि क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर कार्य किया जा रहा है। कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछलीपालन, वानिकी, सिंचाई विस्तार, रेशम, कुटीर एवं ग्रामोद्योग आदि विभागों द्वारा रोड-मेप पर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। जिला स्तर का रोड-मेप तैयार कर लिया गया है एवं ग्राम स्तर का रोड-मेप तैयार किया जा रहा है। राज्य सरकार किसानों की आय पाँच वर्ष में दोगुनी करने के लिये कटिबद्ध है।

वर्ष 2004-05 में प्रदेश का कुल कृषि उत्पादन मात्र 2 करोड़ 14 लाख मी.टन था जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 5 करोड़ 44 लाख मी. टन हो गया है। प्रमाणित जैविक कृषि के क्षेत्र में प्रदेश देश में अग्रणी है। प्रमाणित जैविक कृषि क्षेत्र को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख हेक्टेयर करने की दिशा में राज्य सरकार अग्रसर है।

प्रदेश देश में बीज प्रमाणीकरण में अग्रणी है। देश में प्रत्येक सात प्रमाणित बीज में से एक प्रदेश में होता है। अब तक प्रदेश में निजी क्षेत्र में लगभग 1800 कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की गई है। इससे किसानों को सस्ती दर पर आधुनिकतम कृषि यंत्र किराए पर सुलभ हो रहे हैं।

खरीफ 2015 का राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का 201 लाख से अधिक कृषकों को आज तक के इतिहास में सबसे ज्यादा राशि 4661 करोड़ का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 50 लाख किसानों को जोड़ा जा चुका है। खरीफ 2016 की 1880 करोड़ की बीमा दावा राशि का कृषकों के खातों में समायोजन एक माह में होने जा रहा है। प्रदेश की स्वयं की किसान हितैषी बीमा योजना बनाने की कार्यवाही प्रचलित है।

सभी विकासखण्डों में मृदा स्वास्थ्य परीक्षण तथा सभी संभाग में अर्थात दस उर्वरक और बीज परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना का कार्य जारी है। अब तक प्रदेश के 85 लाख 50 हजार किसानों को नि:शुल्क स्वाइन हेल्थ कार्ड वितरित किये गये हैं। कार्ड की सिफारिशों के अनुसार संतुलित उर्वरक उपयोग करने से पैदावार में बढ़ोत्तरी एवं लागत में कमी होगी। कृषि उत्पादक संगठनों/ फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनियों से जुड़े लगभग तीन लाख किसानों को भण्डारण, विपणन, मूल्य संवर्द्धन, खाद्य प्र-संस्करणों से जोड़ा जा रहा है।

1000 करोड़ के मूल्य स्थिरीकरण कोष का गठन

मध्यप्रदेश में किसानों को बाजार हस्तक्षेप दर के अनुसार उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के मकसद से 1000 करोड़ रुपये का मध्यप्रदेश मूल्य स्थिरीकरण कोष का गठन किया गया है। राज्य शासन ने कोष के लिये कार्यकारिणी समिति का गठन किया है। कोष का गठन जिन उद्देश्यों के लिये किया गया है, उनमें जिन जिंसों का केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया जाता है, उन जिंसों के मध्यप्रदेश कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग द्वारा अनुशंसित एवं राज्य सरकार द्वारा घोषित बाजार हस्तक्षेप दर (मार्केट इंटरवेंशन रेट) पर किये गये उपार्जन में हानि की स्थिति में उपार्जन संस्था को इस कोष से राशि दी जायेगी। केन्द्र सरकार के प्राइस स्टेबलाइजेशन फण्ड से वित्त हानि के लिये प्राप्त राशि को इस कोष में जमा किया जायेगा। इस कार्य में लाभांश प्राप्त होने पर भी कोष में लाभांश की राशि जमा की जायेगी। कोष में उपलब्ध राशि पर ब्याज की राशि प्राप्त होने पर उसे भी कोष में जमा करवाया जायेगा। कोष का संधारण राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा किया जायेगा। कोष में 500 करोड़ रुपये मण्डी बोर्ड की राज्य विपणन विकास निधि से तथा शेष राशि राज्य शासन के बजट प्रावधान किये जाने के बाद कोष में जमा करवायी जायेगी। कृषि केबिनेट इस कोष की साधारण सभा होगी और उसके द्वारा कोष की नीति का निर्धारण किया जायेगा। कोष की कार्यकारिणी समिति द्वारा साधारण सभा (कृषि केबिनेट) के निर्णय के अनुसार कोष के संचालन का कार्य किया जायेगा। 

मध्यप्रदेश कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग गठित

प्रदेश में कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन की बेहतर सुविधाओं संबंधी अनुशंसा करने के लिये ‘मध्यप्रदेश कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग’ का गठन किया गया है। यह आयोग खरीफ, रबी तथा ग्रीष्मकालीन फसलों की लागत की गणना कर राज्य शासन को अनुशंसा करेगा। राज्य सरकार द्वारा बाजार हस्तक्षेप योजना में अपेक्षा किये जाने पर चयनित जिन्स की बाजार हस्तक्षेप दर के लिये राज्य शासन को सुझाव भी देगा। कृषि विपणन क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिये सुझाव देने के साथ शासन के निर्देशानुसार समय-समय पर विभिन्न फसलों के लिये अध्ययन करेगा। आयोग शासन को आवश्यकतानुसार कृषि मूल्य संबंधी एवं अन्य उत्पादन संबंधी समस्याओं पर सलाह भी देगा। इसके अलावा आयोग राज्य शासन द्वारा सौंपे गये अन्य कार्य भी करेगा। आयोग खरीफ, रबी एवं ग्रीष्मकालीन फसलों की अवधि से पहले प्रतिवर्ष राज्य शासन को तीन प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।

मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना

राज्य सरकार द्वारा खरीफ 2017 से ‘मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना’ शुरू की जा रही है। योजना में दलहनी, तिलहनी एवं उद्यानिकी फसलों का किसानों को उचित मूल्य प्रदान करने के लिए ‘समर्थन मूल्य या बाजार हस्तक्षेप दर’ तथा किसान द्वारा अधिसूचित कृषि उपज, मंडी समिति के प्रांगण में बेचे जाने पर राज्य शासन द्वारा निहित प्रक्रिया अपनाकर घोषित मॉडल विक्रय दर की अंतर राशि किसान को प्रतिपूर्ति के रूप में दी जाना तय किया गया है।

कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर्स योजना

ग्रामीण युवाओं के लिए कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर्स की योजना जल्दी ही प्रारंभ की जा रही है। इसमें युवा को 25 लाख तक के कस्टम प्रोसेसिंग केन्द्र पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। केन्द्रों पर किसान अपने कृषि-उद्यानिकी उत्पाद लाकर उनकी क्लीनिंग, ग्रेडिंग, पैकिंग, मूल्य संर्वद्धन किराए पर करा सकेंगे। दो वर्षों में ऐसे एक हजार कस्टम प्रोसेसिंग केन्द्रों को प्रारंभ किए जाने का लक्ष्य है।

सिंचाई सुविधा का विस्तार

प्रदेश में जल संसाधन विभाग द्वारा विगत पाँच वर्ष में सिंचाई क्षमता 23 लाख 23 हजार से बढ़ाकर 30 लाख हेक्टेयर की गई है। पिछले वर्ष स्वीकृत 159 सिंचाई परियोजनाओं से करीब सवा दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित होगी। जिन क्षेत्रों में पारम्परिक माध्यमों से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना संभव नहीं था वहाँ भी पर ड्राप मोर क्राप कार्यक्रम से 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलबध कराने के उद्देश्य से 30 सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की स्वीकृति दी जा चुकी है।

इस वर्ष सिंध द्वितीय चरण, भानपुरा नहर एवं बरियारपुर, 8 मध्यम एवं 105 लघु सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण कर सिंचाई क्षमता में पौने दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र की बढ़ोत्तरी का लक्ष्य है।

नर्मदा घाटी की सिंचाई योजनाएँ

नर्मदा घाटी में 14 माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजनाओं का कार्य चरणबद्ध रूप से प्रारम्भ कर दिया गया है। इससे नहर सिंचाई से वंचित 3 लाख 59 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त रकबा सिंचित हो सकेगा। अब नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक के बाद दूसरे चरण में नर्मदा-मालवा-गम्भीर लिंक का कार्य पूरा होने को है। इससे उज्जैन-इन्दौर जिलों में पचास हजार हेक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र निर्मित होगा। नर्मदा-कालीसिंध और नर्मदा-पार्वती लिंक का कार्य भी हाथ में लिया जायेगा। बड़ी नर्मदा सिंचाई योजनाओं से गत वर्ष सिंचित साढ़े 5 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को बढ़ाकर इस वर्ष 6 लाख हेक्टेयर किया जायेगा।

कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली

राज्य सरकार के प्रयासों से प्रदेश बिजली के क्षेत्र में आत्म-निर्भर हो गया है। प्रदेश की उपलब्ध क्षमता बढ़कर 17 हजार 766 मेगावॉट हो गयी है। गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घंटे तथा कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली दी जा रही है। गत रबी मौसम में 11 हजार 423 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति की गयी, जो प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है। इस वर्ष रबी में 12 हजार मेगावॉट से अधिक मांग की आपूर्ति की तैयारी की गयी है।

अजा – अजजा कृषकों को 5 एच.पी. पंप पर मुफ्त बिजली

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के एक हेक्टेयर तक भूमि वाले 5 हार्सपावर तक के स्थायी कृषि पंप उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली दी जा रही है। अन्य श्रेणी के कृषि उपभोक्ताओं को भी फ्लेट रेट पर मात्र 1400 रुपये प्रति हार्सपावर वार्षिक दर से बिजली दी जा रही है। गत वर्ष कृषकों को और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के गरीबी रेखा के घरेलू उपभोक्ताओं को 25 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली देने के एवज में 8271 करोड़ रुपये की सबसिडी दी गई। इस वर्ष 8736 करोड़ की सबसिड़ी का प्रावधान है।

मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना में अस्थायी कनेक्शनों को स्थायी में बदलने के साथ नये स्थायी कनेक्शन भी प्राथमिकता के आधार पर दिए जा रहे हैं। इस पहल का ही परिणाम है कि स्थायी कृषि पंप कनेक्शन बढ़कर लगभग 24 लाख हो गये हैं।

मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना

‘मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना” प्रारंभ की गई है। योजना में केन्द्र और राज्य शासन द्वारा 85 से 90 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जायेगा। किसानों को सिर्फ दस से पन्द्रह प्रतिशत राशि देनी होगी। सोलर पम्प से किसानों को फायदा होने के साथ सरकार पर बिजली बिल के अनुदान के वित्तीय भार में कमी आयेगी।

25 हजार करोड़ के फसल ऋण वितरण का लक्ष्य

प्रदेश में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है। वर्ष 2003-04 में कृषकों को 1274 करोड़ का फसल ऋण वितरित किया गया था, जो वर्ष 2016-17 में रुपये 11 हजार 941 करोड़ हो गया है। इस वर्ष कृषकों को 25 हजार करोड़ के फसल ऋण के वितरण का लक्ष्य है। राज्य शासन द्वारा 2334 करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान सहकारी बैंकों को दिया जा चुका है।

मुख्यमंत्री कृषक सहकारी ऋण सहायता योजना में 177 करोड़ रुपये का अनुदान इस वर्ष प्राथमिक सहकारी साख समितियों को उपलब्ध कराया गया है। योजना से लगभग 16 लाख किसान लाभान्वित होंगे। प्रदेश में दिसम्बर, 2016 तक 77 लाख से ज्यादा किसान क्रेडिट-कार्ड जारी किये गये हैं। इनमें सहकारी बैंकों की भागीदारी 69 प्रतिशत रही है। सहकारी बैंकों से प्रतिवर्ष 5 लाख किसान क्रेडिट-कार्ड वितरण का लक्ष्य है।

समर्थन मूल्य पर गेहूँ, मक्का, धान का उपार्जन

समर्थन मूल्य पर गेहूँ, धान एवं मक्का आदि खाद्यान्न का उपार्जन किया जा रहा है। खरीफ 2016-17 में 918 खरीदी केन्द्रों में 2 लाख 88 हजार किसानों से रुपये 2883 करोड़ से ज्यादा मूल्य का धान उपार्जित किया गया। इसी तरह 248 खरीदी केन्द्रों में 28 हजार किसानों से रुपये 321 करोड़ से ज्यादा मूल्य की मक्का उपार्जित की गई है। रबी वर्ष 2017-18 में 2989 खरीदी केन्द्रों से 7 लाख 39 हजार कृषकों का रुपये 10 हजार 928 करोड़ से ज्यादा मूल्य का गेहूँ उपार्जित किया गया है।

कृषकों को बैंकिंग से जोड़ने का प्रयास

अपेक्स एवं जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों की शाखाओं में कोर-बैंकिंग सेवाएँ प्रारंभ करने के साथ एनईएफटी, एसएमएस एवं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है। एटीएम सुविधा की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। प्राथमिकी कृषि सहकारी साख समितियों के सदस्य कृषकों को बैंकिंग से जोड़ने हेतु जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों की शाखाओं में 18 लाख के डिजिटल मेम्बर रजिस्टर तैयार कराये गये हैं। इन खातों पर रूपे केसीसी कार्ड जारी किये जाकर कृषक, नगद ऋण एटीएम से तथा वस्तु ऋण पैक्स स्तर पर माइक्रो एटीएम से प्राप्त कर सकेंगे।

बाजार हस्तक्षेप से 8 रुपये प्रति किलो प्याज की खरीदी

प्रदेश में पिछले वर्ष प्याज का अत्यधिक उत्पादन होने तथा प्याज की घटती कीमत को देखते हुए शासन द्वारा बाजार हस्तक्षेप का निर्णय लेते हुए 4 हजार 482 किसानों से रु. 62 करोड़ 42 लाख कीमत की 10 लाख 40 हजार से ज्यादा क्विंटल प्याज खरीदी गई। इस वर्ष भी रुपये 800 प्रति क्विंटल की दर से किसानों से 701 करोड़ रुपये कीमत की 8 लाख 76 हजार से ज्यादा क्विंटल प्याज की खरीदी गई।

समर्थन मूल्य पर 10 जून से खरीदी प्रारंभ कर अभी तक लगभग रुपये 1700 करोड़ की साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन दलहन फसलें भी क्रय की गई हैं। इस हस्तक्षेप से प्रचलित मण्डी दरों के मुकाबले लगभग 1002 करोड़ की अतिरिक्ति आय किसानों को संभव हो सकी। मध्यप्रदेश कृषि उपल मंडी अधिनियम 2012 में संशोधन कर केला को छोड़कर सभी फलों को मंडी प्रांगण से बाहर फल-सब्जी के विक्रय को विनियमन से मुक्त किया गया है। इससे किसानों को सीधे फल-सब्जी खुले बाजार में बेचने का विकल्प मिला है।

खरीफ 2017 में 6 लाख 85 हजार मी. टन का रिकार्ड अग्रिम भण्डारण कर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। किसानों द्वारा उठायी गयी रासायनिक खादों पर ब्याज की छूट भी दी गई।

उद्यानिकी फसलों का क्लस्टर में विस्तार

प्रदेश में उद्यानिकी के विकास की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के फलस्वरूप क्षेत्र विस्तार, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है। उद्यानिकी फसल क्षेत्रफल बढ़कर 15 लाख हेक्टेयर हो गया है। आज प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन 262 लाख मी. टन तक पहुँच गया है। उद्यानिकी फसलों का क्लस्टर में विस्तार कराया जा रहा है। उत्पादन एवं उत्पादकता की वृद्धि को बनाये रखने के लिये उत्पादकों को गुणवत्ता युक्त पौध रोपण सामग्री प्राप्त होने पर विशेष ध्यान दिया जाकर आगामी पाँच वर्षों में 100 उद्यानिकी नर्सरियों का उन्नयन किया जायेगा। इन रोपणियों के उन्नयन से कृषकों को उन्नत पौध सामग्री उचित दर पर आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। फसलोत्तर प्रबंधन के दिशा में विशेष प्रयास किये जाकर नश्वर उत्पादों के भण्डारण के लिये दो वर्षों में 5 लाख मी. टन शीत भण्डारण एवं 5 लाख मी. टन प्याज भण्डारण क्षमता में वृद्धि की जा रही है। उद्यानिकी में यंत्रीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे कम समय में कृषि कार्य पूर्ण हो सकेगा एवं उत्पादन लागत को नियंत्रित किया जा सकेगा।

कृषि एवं उद्यानिकी फसलों के प्र-संस्करण के लिये नयी नीति बनाकर लघु एवं मध्यम प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में तेजी से विकसित हो रहे खाद्य प्र-संस्करण उद्योग से नवीन रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हैं। पिछले वर्ष में करीब 13 हजार कृषकों और इस वर्ष 18 हजार कृषकों को उन्नत तकनीकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

दुग्ध उत्पादन 13.45 मिलियन टन हुआ

प्रदेश का दुग्ध उत्पादन पिछले वर्ष 10.69 प्रतिशत वृद्धि के साथ बढ़कर 13.45 मिलियन टन हो गया है। गोकुल महोत्सव के जरिये 97 हजार से ज्यादा पशु चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर करीब 33 लाख पशुपालकों और दो करोड़ पशुओं का पंजीकरण, 33 लाख पशुओं का उपचार, एक लाख से ज्यादा पशुओं का टीकाकरण तथा 5 लाख पशुओं के बांझपन का उपचार किया गया। पहली बार एफएमडी कन्ट्रोल प्रोग्राम क्रियान्वित कर प्रदेश के दो करोड़ से ज्यादा गौ-वंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं का टीकाकरण किया गया। करीब 66 लाख भेड़-बकरियों का पीपीआर और रीवा संभाग के चार जिलों में ढाई लाख पशुओं का ब्रुसेला टीकाकरण किया गया।

प्रदेश में पहली बार उपभोक्ताओं को उनकी माँग के आधार पर घर पर ही दूध एवं दुग्ध पदार्थ उपलब्ध करवाने के लिये मोबाईल एप बनाया गया है। नवीन मिल्क रूट का गठन एवं युक्तियुक्तकरण के उद्देश्य से 730 नवीन दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया और 2344 ग्रामों में दुग्ध संकलन केन्द्र प्रारम्भ किये गये हैं। दुग्ध उत्पादकों को उनके दूध का उचित मूल्य दिलाने के लिये 620 रुपये प्रति किलो फेट निर्धारित किया गया। यह अभी तक की सर्वाधिक दुग्ध क्रय दर है।

उपलब्ध जलक्षेत्र के 98 प्रतिशत में मछली पालन

प्रदेश के सिंचाई जलाशयों एवं ग्रामीण तालाबों के कुल उपलब्ध जलक्षेत्र का 98 प्रतिशत मछली पालन अन्तर्गत लाया जा चुका है। पिछले वित्त वर्ष में एक लाख चौरासी हजार नौ सौ तैंतीस मछुआरों का दुर्घटना बीमा कराया गया, जो अभी तक का सर्वाधिक दुर्घटना बीमा है। इस वर्ष एक लाख छयासी हजार चार सौ सत्रह मछुआरों को बीमा योजना का लाभ देने का लक्ष्य है।

राज्य सरकार द्वारा किसानों की तरह मछुआरों को भी शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण सुविधा उपलब्ध कराने फिशरमेन क्रेडिट कार्ड बनाये जा रहे हैं। अभी तक कुल 58 हजार 550 मछुआ क्रेडिट कार्ड बनाये जा चुके हैं। बड़े शहरों में 8 थोक एवं छोटे कस्बों में 170 फुटकर मत्स्य बाजारों का निर्माण किया जा चुका है। प्रदेश में पंगेशियस एवं गिफ्ट तिलापिया जैसी आधुनिक पद्धति से मत्स्य-पालन शुरू किया गया है।

राजस्व प्रकरणों का निराकरण

प्रदेश भर में किसानों के सीमांकन, अविवादित नामांतरण, अविवादित बँटवारा प्रकरणों के निराकरण और ऋण पुस्तिका प्रदाय करने का अभियान चलाया जा रहा है। इससे किसानों को अपनी कृषि भूमि के इस संबंध मे होने वाली परेशानी से निजात मिल सकेगी।

378 नगरीय क्षेत्रों में बनेंगे किसान बाजार

प्रदेश के 378 नगरीय निकाय क्षेत्रों में किसान बाजार बनाये जायेंगे। जहाँ पर किसान सीधे अपनी उपज बेच सकेगा। स्मामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में आय के साधन बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराई जा रही हैं। खेती से जनसंख्या का बोझ कम करना राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। किसान परिवारों के युवा खेती के अलावा कृषि आधारित उद्योग लगायें इसके लिये मुख्यमंत्री युवा कृषक उद्यमी योजनाबनाई जा रही है। जिसमें उन्हें दस लाख रुपये से लेकर दो करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इसमें 15 प्रतिशत अनुदान और पाँच वर्ष तक पाँच प्रतिशत ब्याज अनुदान की व्यवस्था रहेगी। किसानों के खेतों में सिंचाई के लिये अब माइक्रो इरीगेशन पर भी जोर दिया जा रहा है।

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