बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में 64 मरीजों की मौतों के बाद रविवार को योगी आदित्यनाथ यहां दौरा करने पहुंचे। उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और यूपी के मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर आशुतोष टंडन भी रहे। इस घटना पर केंद्र ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हरसंभव मदद की बात कही है। घटना की जांच जरूरी है। इस बीच कांग्रेस ने कहा कि बच्चों की मौत नहीं हुई, उनकी हत्या की गई है। ये सरकार हत्यारी है। 90 लाख से ज्यादा बच्चों के वैक्सीनेशन किए गए…
– योगी ने कहा, “दो तीन दिनों से समाचार चल रहे हैं। पीएम चिंतित हैं। कल पीएम ने फोन किया था। यूपी के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मदद देने का भरोसा दिलाया था। पीएम ने स्वास्थ्य कल्याण के लिए जेपी नड्ढा का भेजा है।” – “मैंने अफसरों को यहां भेजा था। कलेक्टर से भी रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और आशुतोष टंडन को भेजा था। भारत सरकार के चिकित्सा सचिव भी यहां मौजूद थे। दिल्ली से स्पेशलिस्ट्स की टीम यहां भेजी है।” – “इंसेफ्लाइटिस की लड़ाई के लिए हमने कई कार्यक्रम चलाए हैं। प्रदेश के 38 जिलों में 90 लाख से ज्यादा बच्चों वैक्सीनेशन किया गया है। मैंने 4 बार बीआरडी कॉलेज में विजिट किया है। 9 जुलाई को भी मैं आया था।”
– योगी ने कहा, “7 जिलों के डीएम से बातकर पूछा था कि इंसेफ्लाइटिस के खिलाफ क्या किया जाना चाहिए। मैंने 1996-97 से इस लड़ाई को देखा है।” प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान योगी भावुक हो गए।
– “मेरे से ज्यादा भावनाएं किसकी हैं? उनकी पीड़ा को मुझसे ज्यादा कौन समझेगा? पत्रकारों को वीडियोग्राफर के साथ वार्ड में जाने की इजाजत दी है। स्वाइन फ्लू भी बढ़ रहा है। डेंगू, चिकनगुनिया भी है।”
– “मैंने पूछा है कि इनके खिलाफ क्या तैयारियां हैं? हर हॉस्पिटल में नोडल अफसर नियुक्त किया जाएगा। ऑक्सीजन सप्लाई के मुद्दे की भी जानकारी मांगी है। कमेटी जांच कर रही है। हम सख्त कार्रवाई करेंगे। लापरवाहों को बख्शा नहीं जाएगा।”
– “गोरखपुर में हुआ ये हत्याकांड शर्मनाक है। इसलिए शर्मनाक है कि घटना के 48 घंटे पहले मुख्यमंत्री हॉस्पिटल आए थे। यहां के अफसरों-डॉक्टरों के साथ चाय पी रहे थे।”
– “योगी कह रहे हैं कि जांच गठित की गई है। मैं पूछना चाहता हूं कि ये किस बात की जांच की जा रही है। सरकार तो अपने फैसले में पहले ही कह चुकी है कि ये मौतें ऑक्सीजन की वजह से नहीं हुईं।”
– “मैं योगी के चुनाव क्षेत्र गोरखपुर गया। वे यहीं से कई बार सांसद रहे। अब वे मुख्यमंत्री हैं। लगता ही नहीं कि ये उनका क्षेत्र है।”
– उन्होंने माना कि हॉस्पिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अगस्त से अलग-अलग बीमारियों की वजह से 60 बच्चों की मौत हुई। – सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि गोरखपुर में जो हुआ वह गलत है। मैं खुद दो बार बीआरडी कॉलेज गया था। इस पर नरेंद्र मोदी भी चिंतित हैं। मैं मीडिया से कहना चाहता हूं कि तथ्यों को सही तरह से रखा जाए। आप सही आंकड़े देंगे तो ये मानवता की बड़ी सेवा होगी।
– अनुप्रिया पटेल ने कहा, “बहुत सारी बातें हम सही स्वरूप में नहीं समझ रहे हैं, उन्हें सीएम ने आपके सामने रखा। पिछले कई साल में बीआरडी में मौतों का क्या आंकड़ा है, ये हम बताएंगे। जो भी दोषी है, उसके ऊपर कठोरता के साथ कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की गलती पाई गई, उन्हें सस्पेंड किया गया है। यूपी सरकार अपनी रिपोर्ट केंद्र को भेजेगी। मैं भी पीएम को अपनी रिपोर्ट भेजूंगी।”
A. यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने शनिवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “10 तारीख से अब तक 30 बच्चों की मौत हुई है।”
A. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, “2015 में अगस्त महीने में 668 मौतें हुई, जिसका एवरेज 22 लोग प्रतिदिन है। 2016 के अगस्त महीने में 587 मौतें हुईं, इसका एवरेज 19 प्रतिदिन है। सालभर में भी 17-18 मौतें हर दिन होती हैं। मेडिकल कॉलेज में लोग लास्ट स्टेज में आते हैं। यही कारण है कि किसी भी मेडिकल कॉलेज में डेथ का ये ट्रेंड दिखेगा।”
A.बच्चों की मौतों का मामला सामने आने के बाद बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को यूपी सरकार ने सस्पेंड कर दिया है।
A. यूपी सरकार ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को शनिवार को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि मैंने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए सस्पेंशन से पहले ही इस्तीफा सौंप दिया था।
A.योगी आदित्यनाथ ने कहा, “इस मामले में अब जवाब मांगने की गुंजाइश नहीं है। क्या हुआ, कैसे हुआ.. इसकी जांच की जा रही है। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।”
A.यूपी सरकार ने कहा है कि बच्चों भी मौत ऑक्सीजन सप्लाई में कमी के चलते नहीं हुई। यूपी हेल्थ मिनिस्टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, “मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई बंद हुई थी, लेकिन इसकी वजह से बच्चों की मौत नहीं हुई है। मौतों की अलग-अलग वजह हैं।”
– गोरखपुर के कलेक्टर ने कहा, “डॉक्टरों का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई, क्योंकि उनके पास वैकल्पिक व्यवस्था थी।”
A. 7 बच्चों की मौत इन्सेफलाइटिस से हुई। इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है। हकीकत में यह वायरल इन्फेक्शन है। गोरखपुर और आसपास के इलाकों में यह समस्या लंबे समय से है। इसका असर बच्चों पर ज्यादा होता है। 25 बच्चों की मौत दूसरी बीमारियों की वजह से होने का भी दावा किया जा रहा है।
A. समझौते के अनुसार काॅलेज 10 लाख रुपए ही उधार कर सकता है। बिल देने के 15 दिन में पेमेंट जरूरी है। पुष्पा सेल्स के 63 लाख रुपए से ज्यादा का बकाया है। कंपनी 6 महीने से पैसे मांग रही थी। कंपनी के अधिकारी दीपांकर शर्मा ने चिट्ठी लिख 40 लाख रुपए तुरंत मांगे। नहीं मिले तो 4 अगस्त को सप्लाई बंद कर दी। मौतें होने पर एडमिनिस्ट्रेशन ने 22 लाख रुपए देने की प्रॉसेस शुरू की। इस पर कंपनी सप्लाई देने को तैयार हो गई। हालांकि, सरकार का कहना है कि प्रिंसिपल 7 अगस्त को और डीलर 11 अगस्त को पेमेंट मिलने की बात कह रहा है। देरी कहां और कैसे हुई, इसकी जांच कराई जा रही है।
A. सरकार का दावा है कि मेडिकल कॉलेज में मौतों की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं बीमारी है, लेकिन इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार शाम से ही ऑक्सीजन की कमी थी। बैकअप नहीं था। गुरुवार शाम 7.30 बजे 52 सिलेंडर लगाकर सप्लाई शुरू की गई। रात 1.30 बजे फैजाबाद से 50 सिलेंडर पहुंचे। शुक्रवार सुबह 8.30 बजे फिर जरूरत पड़ी। दोपहर 1.30 बजे गोरखपुर के मोदी फार्मा से 22 सिलेंडर लाए गए। 4.30 बजे 36 सिलेंडर मंगवाए। फैजाबाद की एक फर्म से 100 सिलेंडर मंगवाए। शुक्रवार सुबह बच्चों को एम्बु बैग से ऑक्सीजन दी जा रही थी। आर्म्ड फोर्स से भी 10 ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए गए। अस्पताल की रिपोर्ट में मौतों का ब्यौरा दिया गया है।
A.हॉस्पिटल को ऑक्सीजन सिलेंडर पुष्पा सेल्स नाम की कंपनी सप्लाई करती है। इसके डीलर मनीष भंडारी ने DainikBhaskar.com से कहा, “मेडिकल कॉलेज पर हमारा 69 लाख रुपए बकाया है। आज (शुक्रवार) 22 लाख का पेमेंट मिला। कल (शनिवार को) 40 लाख और मिलेगा। राजस्थान से एक ट्रक लिक्विड ऑक्सीजन भेजा गया है। ये आज रात (शुक्रवार को) पहुंच जाएगा। मामले में कॉलेज प्रिंसिपल राजीव मिश्रा दोषी हैं। उन्होंने पेमेंट रोक रखा था।”
– “6 महीने से पेमेंट नहीं मिला था। लड़के जाते थे तो दिनभर खड़े रहते थे, लेकिन प्रिंसिपल उनसे नहीं मिलते थे। 3 साल पहले कॉन्ट्रैक्ट हुआ था, लेकिन कभी पेमेंट नहीं रुका। इस बार 6 महीने से पेमेंट रुका हुआ है।”
– पुष्पा गैस एजेंसी की एचआर मीनू वालिया ने एएनआई को बताया कि मौतें ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई हैं। कोई भी सप्लाई को रोक नहीं सकता है। हम इससे होने वाले नुकसान को जानते हैं।
A. 9 अगस्त को योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर का दौरा किया था। वे इस अस्पताल भी आए, लेकिन उन्होंने वही देखा जो प्रशासन ने दिखाया।
A. गोरखपुर में इन्सेफलाइटिस का पहला मामला 1977 में सामने आया था। यह दो तरह का है। पहला जापानी इन्सेफलाइटिस या जापानी बुखार, जो मच्छरों से फैलता है। जापानी बुखार की वैक्सीन बना ली गई है। इसकी वजह से इलाज हो पा रहा है।
– दूसरा है गंदे पानी से होने वाला इन्सेफलाइटिस (जेईएस)। इसकी वैक्सीन की खोज नहीं हो सकी है। इसका असर जुलाई से शुरू होता है और नवंबर के आसपास कम हो जाता है। इसमें बुखार आता है। मेंटल या फिजिकल डिसएबिलिटी का भी खतरा रहता है।
– इन्सेफलाइटिस से निपटने के अभियान के प्रमुख डॉ. आरएन. सिंह ने बताया, “गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हर साल 2000 से लेकर 2200 इन्सेफलाइटिस के मरीज आते हैं। इसमें 450 से 500 मरीजों की मौत हो जाती है। अब तक इस बीमारी से यूपी के गोरखपुर समेत 12 जिलों में एक लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। साल 20