Home मध्य प्रदेश फौजी चाचा चीन और पाक के साथ युद्ध के सुनाते हैं किस्से….

फौजी चाचा चीन और पाक के साथ युद्ध के सुनाते हैं किस्से….

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फौजी चाचा के नाम से मशहूर 84 साल के कम्मू खां ऐसे एकमात्र सैनिक हैं, जो तीन लड़ाइयों का हिस्सा रह चुके हैं। हालांकि वे इंजीनियरिंग कोर में बतौर फिटर कार्यरत थे, लेकिन सेना के साथ उन्हें भी मोर्चे पर जाना होता था। 19 साल के सेवाकाल में उनको 9 मैडल मिले।
-1953 में सेना में शामिल होने के बाद उन्होंने 1962 के चीन युद्ध, पाकिस्तान के साथ 1965 व बांग्लादेश की 1971 की लड़ाई में हिस्सा लिया।
-फौजी चाचा की याददाश्त आज भी कमाल की है और युद्धकाल की कई घटनाओं को वे पूरी डिटेल के साथ सुनाते हैं।
-1962 की चीन के साथ हुई जंग की याद करते हुए वे बताते हैं कि उस समय वे सिक्किम में तैनात थे।
-उनका काम जंग के दौरान इस्तेमाल होने वाली मशीनरी को सही रखना था। साथ ही बारूदी सुरंगों को लगाना व उन्हें हटाने का काम भी उनकी यूनिट का ही था।
-वे कहते हैं कि उन्होंने उस जंग के दौरान एक चीनी जासूस को पकड़ा था, तब उसने देश में उसके जैसे 6-7 जासूसों के होने की बात भी स्वीकारी।
-1965 की जंग के दौरान वे पुणे स्थित कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग में रहे।
-वे उस जंग में सीधे तौर पर शामिल नहीं हुए, लेकिन उनकी यूनिट शामिल हुई थी।
हमारी सेना ने ढाका में महिलाओं को पाक सेना से छुड़ाया
-1971 की बांग्लादेश जंग में वे कई मोर्चों पर रहे। वेे अपनी यूनिट के साथ बांग्लादेश की राजधानी ढाका तक पहुंचे।
-वे बताते हैं कि वहां करीब 10 हजार महिलाओं को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फौज के चंगुल से मुक्त कराया था। सभी महिलाओं को पूरा सम्मान दिया गया।
-हमारी फौज ने कभी गंदा काम नहीं किया। इन युद्धों के अलावा नागा विद्रोहियों के साथ सेना के संघर्षों में भी वे शामिल रहे। 19 सितंबर 1972 को वे रिटायर हो गए।

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