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सुरेश प्रभु ने रेल हादसों की ली नैतिक जिम्मेदारी, PM मोदी ने इंतजार करने को कहा है….

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उत्तर प्रदेश में पिछले पांच दिनों के भीतर हुए दो ट्रेन हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभ ने इस्तीफे की पेशकश की है. हालांकि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ और प्रधानमंत्री ने उनसे इंतजार करने को कहा है. उन्होंने बुधवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.

सुरेश प्रभु ने क्या कहा?

प्रभु ने ट्वीट कर कहा- तीन साल से भी कम वक्त के दौरान मैंने मंत्री रहते हुए खून पसीने से रेलवे की बेहतरी के लिए काम किया. हाल में हुए हादसों से मैं काफी आहत हूं. पैसेंजरों की जान जाने, उनके घायल होने से मैं दुखी हूं. इससे मुझे बहुत पीड़ा है. पीएम के न्यू इंडिया विजन के तहत पीएम को ऐसे रेलवे की जरूरत है जो सक्षम हो और आधुनिक हो. मैं वादा कर सकता हूं कि हम उसी राह पर हैं, रेलवे आगे बढ़ रहा है. पीएम मोदी के नेतृत्व में सभी सेक्टर में दशकों पुराने सिस्टम और सुधारों से पार पाने की कोशिश की. मैंने पीएम मोदी से मुलाकात की. इन हादसों की मैं नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं. पीएम ने मुझे इंतजार करने को कहा.

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने भी दिया इस्तीफा

इससे पहले रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने भी इस हादसों की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. दरअसल बार-बार हो रहे हादसों के कारण भारतीय रेल विभाग निशाने पर था, जिसके बाद मित्तल का इस्तीफा सामने आया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मित्तल पिछले कुछ दिनों से स्वाइन फ्लू से बीमार होने के कारण छुट्टी पर थे. हालांकि इसके बावजूद वे बुधवार को रेल भवन पहुंचे और जरूरी फाइलें निपटाने के बाद रेलमंत्री सुरेश प्रभु को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

9 बड़े एक्सीडेंट रेल हादसे, जो रेलमंत्री सुरेश प्रभु के इस्तीफे की वजह बने
एनीकल डिरेलमेंट
13 फरवरी 2015 को शाम सात बजे बेंगलुरु-एर्नाकुलम इंटरसिटी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। दो कोच में बैठे 10 लोगों की मौत हुई। 154 जख्मी हुए।
जनता एक्सप्रेस डिरेलमेंट
देहरादून-वाराणसी एक्सप्रेस 20 मार्च 2015 को राय बरेली में डिरेल हुई। 58 लोगों की मौत हुई जबकि 150 घायल हुए। वजह टेक्नीकल फैल्योर थी।
 कौशाम्बी डिरेलमेंट
25 मई 2015 को राउरकेला-जम्मू तवी मुरी एक्सप्रेस यूपी के कौशाम्बी में डिरेल हुई। पांच लोगों की मौत और 50 घायल हुए।
 कामायनी-जनता एक्सप्रेस डिरेलमेंट
मध्य प्रदेश के हरदा में 4 अगस्त 2015 को कामायनी और जनता एक्सप्रेस डिरेल हुईं। खास बात ये थी कि दोनों ही ट्रेनें एक के बाद एक और एक ही स्पॉट पर डिरेल हुईं। 31 लोगों की मौत हुई जबकि करीब 100 लोग घायल हुए।
 दुरंतो एक्सप्रेस डिरेलमेंट
सिकंदराबाद-लोकमान्य तिलक दुरंतो एक्सप्रेस कर्नाटक के कलबुर्गी में डिरेल हुई। 2 लोगों की मौत जबकि 7 घायल हुए।
कालका-शिमला डिरेलमेंट
नैरो गेज ट्रेन शिवालिक क्वीन 12 सितंबर 2015 को डिरेल हुई। इसमें 36 ब्रिटिश टूरिस्ट्स भी थे। 2 की मौत जबकि 15 घायल हुए।
इंदौर-पटना एक्सप्रेस डिरेलमेंट
20 नवंबर 2016 को यह हादसा हुआ। इंदौर-पटना एक्सप्रेस कानपुर में हादसे का शिकार बनी। 150 पैसेंजर्स की मौत हुई। जबकि इतने ही घायल हुए।
हीराखंड एक्सप्रेस डिरेलमेंट
जगदलपुर से भुवनेश्वर जाने वाली हीराखंड एक्सप्रेस विजयानगर में डिरेल हुई। 41 लोग मारे गए जबकि 84 घायल हुए।

उत्कल एक्सप्रेस मुजफ्फरनगर 

उत्कल एक्सप्रेस मुजफ्फरनगर के खतौली के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई जबकि तकरीबन 150 लोग जख्मी हो गए. इस हादसे में रेल अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई थी. रेलमंत्री ने इस मामले में रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई की.

23 अगस्त 2017

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में बुधवार देर रात कैफियत एक्सप्रेस के 10 डिब्बे पटरी से उतर गए. आजमगढ़ से दिल्ली आ रही इस ट्रेन के हादसे के शिकार होने के कारण कम से कम 74 लोग घायल हो गए. यूपी में पिछले पांच दिनों के अंदर यह दूसरी बड़ी ट्रेन दुर्घटना है.

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