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स्वाइन फ्लू को रोकने के आवश्यक उपाय किये जायें…..

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जाँच और दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था करें : श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वाइन फ्लू की समीक्षा
 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के आवश्यक उपाय करने के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया है। इस संबंध में उन्होंने जनता को जागरूक करने तथा जाँच और इलाज की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं। श्री चौहान आज यहाँ स्वाइन फ्लू से बचाव की तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि स्वाइन फ्लू की दवाईयाँ, उपकरण एवं अन्य जरूरी सामग्री की सभी जगह पर्याप्त व्यवस्था की जाये। हरेक जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड तैयार रहे, वेंटीलेटर की व्यवस्था रहे एवं टेमीफ्लू दवाई की पर्याप्त व्यवस्था हो। जाँच में देरी नहीं हो और त्वरित इलाज शुरू हो जाये। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों को भी ताकीद किया जाये कि स्वाइन फ्लू की आशंका होने पर पूरी गंभीरता से इलाज शुरू किया जाये और उसकी सूचना भी तत्काल दी जाये।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के लिये बाहर से आने वाले व्यक्तियों के संबंध में आवश्यक उपाय और सावधानियाँ बरती जाये। आम जनता को भी सावधानियाँ बरतने के लिये जागरूक किया जाये। उन्होंने नगरीय निकाय और ग्राम पंचायतों के माध्यम से आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिये। श्री चौहान ने डेंगू की जाँच और इलाज की व्यवस्था के भी निर्देश दिये।

इस मौके पर प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य श्रीमती गौरी सिंह ने बताया कि प्रदेश में 65 चिन्हित अस्पताल है, जहाँ स्वाइन फ्लू की स्क्रीनिंग और उपचार की व्यवस्था है। ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में जाँच की व्यवस्था है। इसकी दवा टेमीफ्लू पर्याप्त उपलब्ध है, जो चिकित्सक की सलाह पर ली जा सकती है। सभी जिला अस्पताल एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में इलाज की व्यवस्था है।

बैठक में प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन श्री मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस.के. मिश्रा, सचिव मुख्यमंत्री श्री विवेक अग्रवाल, आयुक्त लोक स्वास्थ्य श्रीमती पल्लवी जैन गोविल, सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री शिवशेखर शुक्ला, मुख्यमंत्री के अपर सचिव श्री बी. चंद्रशेखर, संचालक लोक स्वास्थ्य डॉ. के.के. ठस्सू सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

ऐसे होता है स्वाइन फ्लू

स्वाईन फ्लू की बीमारी इन्फ्लूएनजा ‘ए’ (एच1एन1) वायरस से होती है। यह वायरस मनुष्य में ड्रोपलेट इन्फेक्शन से फैलता है। वायरस सख्त एवं ठोस जगह पर 24 से 48 घंटे तक, कपड़ों एवं पेपरों पर 8 से 12 घंटो तक तथा हाथों पर 15 मिनिट जीवित रह सकता है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण और उपचार

संभावित स्वाईन फ्लू के रोगी को तीन श्रेणी ए,बी,सी में बाँटा गया है। “ए श्रेणी” में रोगियों को सामान्य सर्दी-जुकाम, हल्का बुखार, उल्टी दस्त एवं बदन दर्द होता है। ऐसे लक्षणों के अनुसार दवाईयाँ दें। रोगी को घर पर रहकर आराम करने एवं भीड़-भाड़ स्थानों पर न जाने की सलाह दें। 24 से 48 घंटों तक निगरानी में रखें। आराम न मिलने पर डॉक्टर की सलाह ली जाये। घर पर हाई रिस्क सदस्यों से दूरी बनायें रखें।

“बी श्रेणी” के रोगियों में उल्टी-दस्त, बदन दर्द के साथ ही तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ होती है। उपचार – टेमीफ्लू दी जाकर, मरीज को घर पर आराम करने की सलाह दी जाती है। भीड़ वाले स्थानों पर न जाने की सलाह दें। घर पर हाई रिस्क सदस्यों से दूरी बनायें रखें। 24 से 48 घंटो तक निगरानी में रख आराम न मिलने पर डॉक्टर की सलाह ली जाये।

“सी श्रेणी” के मरीजों में “ए” और ‘‘बी’’ श्रेणी के मरीजों के लक्षण के साथ साथ, सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द, खकार में खून आना, नाखून नीले पड़ना, आदि लक्षण होते हैं। बच्चों में चिड़-चिड़ापन और खाने-पीने से इन्कार करना। आदि लक्षण होते है। ऐसे रोगियो को अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर स्वाईन फ्लू का उपचार टेमीफ्लू व अन्य तकलीफ एवं बीमारी के हिसाब से उपचार दिया जाना होता है। जिन मरीजों का ऑक्सीजन सेचुरेशन 90 प्रतिशत से कम हो तो ऑक्सीजन थेरेपी एवं वेन्टीलेटर की आवश्यकता होती है। इन रोगियों की स्वाईन फ्लू की जाँच हेतु थ्रोट स्वाब लेकर लेबोरेटरी में भेजा जाता है। जो परिजन मरीज की देखभाल कर रहे हैं अथवा उनके सम्पर्क में आते हैं वे प्रोटेक्शन किट्स का उपयोग करें।

स्वाईल फ्लू से बचने के उपाय

सर्दी-खाँसी आने पर रूमाल/टीशू पेपर का उपयोग करे। टीशू पेपर उपयोग करने के बाद डस्टबीन में ही डाले, यदि रूमाल या टीशू पेपर नहीं हो तों बाह की कोनी में खाँसें। खाँसने वाले से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाये रखें। आँख, नाक, मुँह को छुने से पहले हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोंये। यथा संभव भीड़ वाले स्थानों जैसे सिनेमा हॉल, हाट बाजार जाने से बचें। संतुलित एवं पोष्टिक भोजन का सेवन करना। अधिक से अधिक से तरल पदाथों का सेवन करें। तनाव से बचें। विद्यार्थियों/बच्चों को बुखार, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ के लक्षण होने पर उन्हे स्कूल/कॉलेज/ आंगनवाड़ी न भेजे घर पर आराम करे। लक्षण पाये जाने पर तत्काल चिकित्क की सलाह उपरान्त उपचार लें।

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