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हिमाचल की सियासत में गरमागरमी, CM वीरभद्र ने कहा “ना चुनाव लडूँगा ना लड़वाउंगा “….

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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस दो धड़ों में बंटती नजर आ रही है. कांग्रेस के कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह को लेकर सोनिया गांधी को नाराजगी भरा खत लिखा है. वीरभद्र के समर्थन में 27 विधायक भी उतर आए हैं और उन्होंने सोनिया को चिट्ठी भेजी है.

सोनिया को भेजा विधायकों ने खत

कांग्रेस के 27 विधायकों ने वीरभद्र सिंह के समर्थन में सोनिया गांधी को बाकायदा खत लिखा है. इस खत में विधायकों ने यह कहा है कि वह आने वाला विधानसभा चुनाव वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में ही लड़ेंगे.

बैठक में वीरभद्र के नेतृत्व को लेकर विधायकों ने अपना समर्थन जताया. बैठक में कहा गया कि वीरभद्र जैसा कोई भी विशाल व्यक्तित्व और कद वाला नेता हिमाचल प्रदेश में नहीं है. ऐसे में उनके बगैर हिमाचल प्रदेश में जीत हासिल करना असंभव होगा. विधायकों ने कहा कि पार्टी आलाकमान को हस्तक्षेप करते हुए वीरभद्र सिंह को आने वाले चुनाव में पार्टी की कमान सौंप देनी चाहिए.

इससे पहले 24 अगस्त को वीरभद्र सिंह सोनिया गांधी को इस संबंध में पत्र लिखा था. ठीक उसके एक दिन बाद 27 विधायकों ने विधायक दल की बैठक की.गौरतलब है कि इस खत पर हस्ताक्षर करने वालो में कांग्रेस की सीनियर नेता आशा कुमारी विद्या स्टोक्स और बाली भी है.

वीरभद्र ने चिट्ठी में ये लिखा

24 तारीख को वीरभद्र सिंह ने सोनिया गांधी को लिखी भावनात्मक चिट्ठी में कहा है कि पंडित नेहरू के दौर से वह कांग्रेस के साथ रहे हैं. पिछले 60 सालों से उन्होंने कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के साथ  काम किया है. मगर हिमाचल में प्रदेश अध्यक्ष की गतिविधियों से वह बेहद हताश हैं. उनका दावा है कि प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह ने हिमाचल में पार्टी के संगठन को खत्म करने का काम किया है. ऐसे में उनको हटाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने चुनाव न लड़ने और न लड़वाने की भी धमकी दी है.

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 55 वर्ष की लंबी राजनीतिक पारी खेल कर छह मर्तबा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने के बाद यह एलान भले ही किया हो कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन वह यह भी साफ तौर पर  कहते हैं कि उन्होंने राजनीति से कोई संन्यास नहीं लिया है। प्रदेश में विधानसभा चुनावों से ठीक चंद रोज पहले जिस तरह वीरभद्र ने संगठन की संरचना व कारगुजारी पर प्रश्न खड़े करते हुए जिम्मेदारी से अपने हाथ खींचे हैं, वह कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व तय करने के मामले में अहम मोड़ है

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