भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी महाभारत काल से जुड़ी है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। इसके साथ ही व्रत भी रखा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक अनंत चतुर्दशी व्रत करने से जीवन में परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन पूजा में एक अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस अनंत सूत्र को महिलाएं बाएं हाथ में और पुरुष दाहिने में बांधते हैं।
ऐसे करें अनंत की पूजा:
अनंत चतुर्दशी व्रत कलश स्थापना करके उस पर कमल के समान बर्तन में कुश रखना चाहिए। भगवान विष्णु के साथ ही कुमकुम, केसर, हल्दी से रंगे कच्चे डोरे को रखकर उसकी गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करना चाहिए। इसके बाद अनंत भगवान का ध्यान कर शुद्ध अनंत धागा को अपनी भुजा पर बांधनी चाहिए। इससे जीवन में आने वाले सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
अनंत सूत्र बांधते समय जपें मंत्र:
अनंन्त सागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव
अनंत रूपे विनियोजितात्माह्यनन्त रूपायनमोनमस्ते।
महाभारत से शुरू हुआ:
महाभारत में जब पाण्डव अपना सारा राज-पाट हारकर वनवास में जी रहे थे। उस समय उन्होंने श्रीकृष्ण से अपने कष्टों को कम करने के लिए किसी व्रत का सुझाव मांगा। जिस पर भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डवों को अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। ऐसे में युधिष्ठिर ने अपने सभी भाइयों एवं द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत किया था। जिनसे उनके कष्ट कम हुए थे।