डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के बाद स्वयंभू राधे मां पर एफआईआर दर्ज करने की मांग संबंधी अदालत की अवमानना याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कपूरथला के एसएसपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मामले पर 13 नवंबर के लिए सुनवाई तय की गई है। फगवाड़ा के रहने वाले सुरेंद्र मित्तल ने याचिका दायर कर कहा कि राधे मां से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं कि वह उनके खिलाफ न बोलें। सुरेंद्र का कहना है कि उसने इस मामले में पुलिस से भी शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
राधे मां की तरफ से उन्हें धमकियां मिलने लगी वे चुप रहें। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने कपूरथला पुलिस को फटकार लगाई। कोर्ट में पुलिस को यह भी बताना होगा कि इस मामले में कोई आपराधिक मामला बनता है या नहीं और अगर आपराधिक मामले जैसा कुछ है तो अभी तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई।
राधे मां की कहानी भारत-पाक सीमा पर बने पंजाब के छोटे से गांव दोरंगला से शुरू होती है। राधे मां का असली नाम सुखविंदर है और राधे मां की शादी 18 साल की उम्र में मुकेरिया के मनमोहन सिंह से हुई थी। शादी के बाद राधे मां के पति कतर की राजधानी दोहा में नौकरी के लिए चले गए। बदहाली की हालत में सुखविंदर ने लोगों के कपड़े सिलकर गुजारा किया। 21 साल की उम्र में वे महंत रामाधीन परमहंस के शरण में जा पहुंचीं। परमहंस ने सुखविंदर को छह महीने तक दीक्षा दी और इसके साथ ही उन्हें नाम दिया राधे मां।