Home Editor Cliq गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

78
0
SHARE

हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में जो क्रांति का उदय हुआ है उसमें शिक्षकों का विशेष योगदान है। गुरु-शिष्य परंपरा तो हमारी संस्कृति की पहचान है। हमारे देश में शिक्षक अर्थात गुरु को तो भगवान से भी बढ कर बताया गया है।

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः, अर्थात गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं; ऐसे गुरु का मैं नमन करता हूँ।

आज हम डिजिटल इंडिया में प्रवेश कर चुके हैं, जिसका असर हमारी शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ा है। घर बैठे सात समुंदर पार के शिक्षक भी हमारे शैक्षणिक विकास में सहयोग दे रहे हैं। किन्तु आधुनिकता और नई तकनिकी के इस दौर में हमारे शिक्षकों की भूमिका क्या है इस पर विचार करना आज की प्रासंगिता है क्योंकि आज जहाँ एक तरफ हमारे साक्षरता की दर बढ़ रही हैं वहीँ दूसरी तरफ समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है।

आज देश में बढती अराजकता के लिये कहीं न कहीं हमारी शैक्षणिक व्यवस्था भी जिम्मेदार है। बाल्यपन वो नीव है जहाँ उसमें आध्यात्मिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का बीज भी रोपित किया जाता है, जिससे बचपन से ही बच्चे सामाजिक मूल्यों को समझ सकें। परंतु हमारे देश की ये कड़वी सच्चाई है कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की अुनपस्थिती तथा बुनियादी शैक्षणिक ढांचे में बहुत कमी है। आज उच्च गुणंवत्ता वाली शिक्षा के लिये अधिक फीस देनी पड़ती है, जो सामान्य वर्ग के लिये एक सपना होती है। लिहाज़ा एक बहुत बड़ा बच्चों का वर्ग उचित शिक्षा के अभाव में रास्ता भटक जाता है। कई जगहों पर तो नकल से पास कराने में शिक्षक इस तरह सहयोग करते हैंं कि, बच्चों के मन में उनके प्रति सम्मान न रहकर एक व्यवसायी की तस्वीर घर कर जाती है।
आज शिक्षा, सेवाभाव के दायरे से निकलकर आर्थिक दृष्टी से लाभ कमाने की ओर अग्रसर है। जबकी शिक्षकों की जिम्मेदारी तो इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उनको बच्चों के सामने ऐसा आदर्श बनकर प्रस्तुत होना होता है, जिसका अनुसरण करके छात्र/छात्राओं का शैक्षणिक विकास ही नही अपितु नैतिक विकास भी सार्थकता की ओर पल्लवित हो।

शिक्षक दिवस पर हम समस्त शिक्षकों का श्रद्धापूर्वक अभिन्नदन और वंदन करते हैं और ये कामना करते हैं कि, शिक्षकों के सम्मान हेतु समर्पित शिक्षक दिवस महज़ एक पर्व बनकर न रह जाये बल्की शिक्षकों के आत्मचिंतन एवं आत्ममंथन का भी पर्व हो जिसकी छाया में भारत का स्वर्णिम भविष्य निखर कर दुनिया में जगमगाये और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे शिक्षकों के समर्पण से भारत शिक्षा के हर क्षेत्र में जगद् गुरु बनकर पूरे विश्व का कल्याण करे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here