नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा है कि स्वच्छता लोगों की आदत नहीं संस्कार बने। इसके लिए समेकित प्रयास करना आवश्यक है। स्वच्छता राज्य शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। श्रीमती माया सिंह ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2018’ की एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर प्रमुख सचिव नगरीय विकास श्री मलय श्रीवास्तव, सचिव नगरीय विकास श्री विवेक अग्रवाल, भारत सरकार के संयुक्त सचिव, आवास एवं नगरीय विकास श्री वी.के. जिंदल, मिशन संचालक डॉ. मंजू शर्मा, नगरीय निकायों के आयुक्त, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, महापौर, अध्यक्ष तथा अधिकारी मौजूद थे।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 के अंक |
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मुख्य घटक/उप घटक |
कुल प्रश्न |
अंक |
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1 |
सेवा स्तर प्रगति (35%) |
48 |
1400 |
उप घटक |
कचरा संग्रहण एंव परविहन |
13 |
420 |
कचरा निष्पादन व प्रसंस्करण |
08 |
350 |
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स्वच्छता व खुले में शौच से मुक्ति |
11 |
420 |
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आई.ई.सी. वव्यवहार परिवर्तन |
07 |
70 |
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क्षमता वृद्धि |
04 |
70 |
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नवाचार परियोजना |
05 |
70 |
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2 |
प्रत्यक्ष अवलोकन (30%) |
18 |
1200 |
3 |
नागरिक प्रतिक्रया (30%) |
09 |
1400 |
महायोग |
75 |
4000 |
श्रीमती माया सिंह ने स्वच्छता के क्षेत्र में नगरीय निकायों में सघन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 में मध्यप्रदेश अव्वल स्थान पर रहा है। अब जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। श्रीमती सिंह ने बताया कि प्रदेश में एक वर्ष के सीमित अंतराल में 378 नगरीय निकायों में से 285 खुले में शौच से मुक्त हो गये हैं। शेष नगरीय निकाय प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर 2017 तक सभी नगरीय निकाय खुले से शौच मुक्त होगें।
श्रीमती सिंह ने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में कई चुनौतियाँ है। देश के सभी 4041 नगरीय निकाय के बीच यह प्रतिस्पर्धा होगी। इस बार इसमें प्रदेश के सभी 378 नगरीय निकाय शामिल होगें।
मंत्री श्रीमती सिंह ने कहा कि आज जनता में सफाई की स्वीकारिता को बढ़ाना तथा नागरिकों के बीच स्वच्छता के प्रति व्यवहार परिवर्तन लाना आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि निकाय अपने काम के साथ क्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच कर स्वच्छता का संदेश पहुँचायें ताकि मध्यप्रदेश देश में मिसाल बने।
प्रमुख सचिव श्री मलय श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी स्पर्धा में प्रथम आना मुशिकल है परन्तु उस स्तर को बनाए रखना और भी कठिन और चुनौतियों भरा होता है। उन्होंने नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों से स्वच्छता के प्रति जागरूकता के लिए निकायों के पास के स्कूल-कॉलेजों में साफ-सफाई, शौचालय तथा पानी की संपूर्ण व्यवस्था करने की बात कही। इससे स्कूली बच्चों में सफाई के प्रति जागरूकता आएंगी और वे इस अभियान के प्रेरक साबित होगें।
सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने कहा कि स्वच्छता में नागरिकों की सहभागिता के लिए सभी स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संस्थाओं, व्यापारी संघों के बीच ‘मेरा शहर स्वच्छ शहर’ मुहिम चला कर साफ सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। सफाई नहीं होने पर दंडात्मक कार्यवाही भी करें। उन्होंने कहा कि नगरों के लिए सेपटेज मेनेजमेंट, वेस्ट वाटर मेनेजमेंट तथा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट तथा हर शहर को प्लास्टिक मुक्त करने का कार्य प्रगति पर है। कोशिश करें की हर शहर ‘बिन फ्री’ हो जायें। संयुक्त सचिव श्री वी.के. जिंदल ने कहा कि सफाई अभियान को जन आन्दोलन का स्वरूप देना आवश्यक है। इसके लिए जवाबदेही तय करना आवश्यक है।
इस अवसर पर नगर निगम इंदौर तथा भोपाल द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 में किए गए प्रयासों का प्रस्तुतीकरण दिया गया। नगर निगम जबलपुर द्वारा फीकल स्लज मैनेजमेंट के बारे में जानकारी दी गई। स्वच्छ सर्वेक्षण-2018 के प्रावधानों, पर्यवेक्षण की भूमिका तथा सिटीजन फीडबैक की कार्य-योजना का भी प्रस्तुतीकरण किया गया।