प्रदेश केविधायकों को हर महीने करीब ढाई लाख रुपए वेतन मिलता है। इसके बावजूद उन्हें शिमला में अपना घर बनाने के लिए लीज पर सरकारी जमीन चाहिए। इसके लिए विधायकों ने सोसायटी का गठन कर प्रपोजल सरकार को भेज दिया है। इसमें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के चुनावी हलके में जाठियादेवी क्षेत्र में एक हेक्टेयर जमीन मांगी गई है। राज्य सरकार के लीज नियम 2013 में सरकारी जमीन को रिहायशी काॅलोनियों के लिए लीज पर देने का प्रावधान नहीं है। जहां निजी भूमि मौजूद हो, वहां पर तो इसे दिया ही नहीं जा सकता है।
कैबिनेट में इस प्रस्ताव को लाने का दबाव बनाया जा रहा है। इन्हें सर्कल रेट के 18 फीसदी रेट पर लीज पर भूमि देने की तैयारी है। इससे पहले भी 1992-93 में विधायकों को पंथाघाटी आैर हीरा नगर में लीज पर भूमि दी जा चुकी है। आईएएस एसोसिएशन की काॅलोनी को भी भूमि लीज पर दी जा चुकी है। इस मामले में हिमाचल के विधायकों की सोसायटी के अध्यक्ष आैर विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी ने कहा कि रिहायशी काॅलोनी बनाने के लिए सरकार से लीज पर जमीन मांगी है।
इसे अभी तक कैबिनेट से मंजूरी नहीं मिली है। {नियमों में प्रावधान होने के बावजूद मामले को कैबिनेट में ले जाने की तैयारी क्या है लीज नियम 2013 में प्रावधान… हिमाचलके लीज नियम 2013 के सेक्शन 3 (3.3) में रियाइशी मकान बनाने के लिए किसी सोसायटी को भूमि देने का प्रावधान नहीं है। यदि प्राकृतिक आपदा में किसकी का घर टूट या बह जाता है, उन्हें ही जमीन देने का प्रावधान है। इसके बावजूद राजस्व विभाग से विधायकों ने लीज पर भूमि देने का प्रस्ताव तैयार करवा दिया है। इसके साथ ही विधायक सीएम के हलके शिमला ग्रामीण में जहां जमीन मांग रहे हैं वहां पर निजी भूमि उपलब्ध भी है। नियमों के तहत निजी भूमि होते हुए सरकारी भूमि दी जाती है तो वह लीज नियमों के िखलाफ है।
हिमाचलमें पहले भी दो बार नियमों को तोड़कर विधायकों को लीज पर घर बनाने के लिए जमीन दी गई है। इसमें 1992-93 में एक हेक्टेयर जमीन पंथाघाटी आैर इतनी ही जमीन हीरा नगर में दी गई है। इन दौरान विधायकों ने लीज पर जमीन सरकारी रेट पर ली। इसके बाद इसे एक रुपए सालाना लीज पर कैबिनेट से मंजूर करवा लिया। प्रदेशके विधायकों का वेतन 1 लाख 45 हजार प्रति माह है। इन्हें निर्वाचन हलके भत्ते के रूप में 60 से 90 हजार रुपए प्रति माह मिलता है। विस आने का रोजाना भत्ता 1500 से 1800 रुपए दिया जाता है। कर्मचारियों को रखने के लिए 30 हजार रुपए का प्रावधान है। विधायकों को हर महीने 2 लाख 30 हजार के लगभग कुल वेतन मिलता है।