प्रद्युम्न्न चला गया। उसे किस बात की सजा मिली नहीं पता। अपने माँ बाप का प्यारा बेटा जाने किसकी गलती का शिकार हुआ। जिस बच्चे ने इस दुनिया के घिनोने सच को समझने की क्षमता ही हासिल नहीं थी की उसको इस दुनिया इस इस बेरहमी से विदा करदिया गया। बीते शुक्रवार को रयान इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय के अंदर कक्षा दूसरी के ७ साल के प्रद्युम्न ठाकुर की गला काटकर हत्या कर दी गई थी / इस कांड के सिलसिले में बस कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया गया / एक स्कूल में एक बच्चे का गला बेरहमी से रेता गया क्या वहां पर किसी को उस बच्चे की चीख नहीं सुनाई पड़ी ,क्या उस बच्चे के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश हुई होगी तो क्या उस बच्चे ने चीखा नहीं होगा / अपराधी कंडक्टर अशोक कुमार बिना डरे बड़ी सहजता से अपना गुनाह कुबूल कर चैनलों पर रटे रटाये वाक्यों का बार बार प्रयोग कर रहा था / क्या है इस की सच्चाई ?यह सब एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती है / आजकल शिक्षण संस्थानों की ऐसी ख़बरें लगातार सुनने में आ रही है /घटना बहुत ही दुखद है ,ऐसी खबर पड़ने के बाद हम सब का दिल बैठ गया होगा। मेरी तरह शायद आपको भी तकलीफ हुई होगी, रोये होंगे ,ऐसा लगा होगा की वह दरिंदा अगर मिल जाये तो उसके टुकड़े करदे पर कानून तो अपना काम करेगा ना ? या फिर कोई रसूक छूट जायेगा। ऐसी स्थिति क्यों है वह भी हमारी शिक्षण संस्थाओं में ?अब क्या उपाय किया जाय ?इसके लिए कौन से नियम कानून बनाये जाये शैक्षणिक संस्थाओं के लिए जो सख्ती से फॉलो हो /क्या सुरक्षा गॉर्ड की तैनाती हर बच्चे के लिए करे ,सी सी टी वी की व्यवस्था तो थी पर उसका क्या की अगर वह महीनो से बंद पड़ा हो ? प्रद्युम्न्न के पिता ने अपने बेटे की मौत पर सी बी आई की जाँच की मांग की है। बदहवास माँ का कहना है की उनका बच्चा तो बस से स्कूल जाता ही नहीं था फिर कंडक्टर कैसे जनता था।प्रद्युम्न की मां ने चेतावनी दी है कि यदि असली गुनहगार नहीं पकड़े गए तो वह आत्मदाह कर लेंगी। स्कूल के २० फ़ीट की दूरी पर ही शराब का ठेका था । क्या सरकार ने इस बात पर कोई एक्शन लिया की स्कूल के इतने नज़दीक यह ठेका कैसे है ? हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा, “ये घिनौना अपराध है। अगर रिपोर्ट्स में फैक्ट क्लियर नहीं हुए तो हम किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।” इस मामले में स्कूल की प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया. सिक्युरिटी एजेंसी पर भी कार्रवाई की गई है.स्कूल मैनेजमेंट कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है। अब तो स्कूल भी सुरक्षित नहीं है क्या बच्चों को स्कूल भेजना बंद करदे , घर पर ही पढ़ने की व्यवस्था हो ,क्या कोई ठोस कानून इन मासूमो के लिए बनेगा? क्या ऐसी विकृत मानसिकता का शिकार छोटे बच्चे होते रहेंगे? क्या माँ बाप को मासूमो की मौत का इन्साफ जैसा वह चाहते है मिल पायेगा ? यह कई सवाल है जिसका जवाब शायद मिले या शायद न मिले।ऐसी घटना और स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है सरकार ,युवा, गरीबी ,बेरोज़गारी,नशे की लत या फिर जाति ? ऐसी आ रही लगातार घटनाओं के बाद बच्चों को स्कूल या कोचिंग भेजें या उसका पढ़ाना ही छुड़वा दे। अब तो गुरुकुल और गुरु दोनों पर भरोसा करना मुश्किल होगया है। मासूमों की मौत पर सरकारें राजनीती करना छोड़ कर सख्त कानून बना कर लागू करने की तैयारी करे और ऐसी सज़ा दी जाये की ऐसे अपराधियों की रूह काँप जाये।