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मध्य प्रदेश में नगरों की विकास व्यवस्था…

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प्रदेश सरकार नगरों के सुनियोजित विकास और उनमें बुनियादी नागरिक सुविधाओं की उपलब्धता के लिये तेजी से काम कर रही है। नगरीय क्षेत्रों में अधोसरंचना विकास के लिये मुख्यमंत्री अधोसरंचना विकास कार्यक्रम लागू किया गया है। भारत सरकार ने प्रदेश के 7 शहरों को स्मार्ट सिटी योजना के लिये चुना है। अमृत योजना में चयनित 33 शहर भी सँवर रहे हैं। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना और शहरी स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन के परिणाम दिखने लगे हैं। शहरी गरीबों के समावेशी विकास के लिये एक दर्जन से ज्यादा कल्याण योजनाओं पर अमल किया जा रहा है। नगरीय निकायों की सेवाओं में सुधार के लिये ई-नगर पालिका और शहरी सुधार कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। शहरी लोक परिवहन भी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सुनियोजित कार्य हो रहा है।

पेयजल एवं सीवरेज व्यवस्था

मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्पनी द्वारा बाह्य वित्तीय संस्थाओं यथा वर्ल्ड बैंक से रुपये 1000 करोड़, एडीबी से रुपये 4920 करोड़ एवं केएफडब्ल्यू से रुपये 500 करोड़ की सहायता से नगरीय निकायों में मानक अनुसार पेयजल तथा सीवरेज व्यवस्था की जा रही है। कम्पनी द्वारा 31 शहरों के लिये 1121.50 करोड़ राशि के 13 पेयजल पैकेज एवं 218.45 करोड़ रुपये की सीवरेज परियोजना सहित करीब 1400 करोड़ के कार्य अवार्ड किये गये हैं।

अमृत योजना

योजना में प्रदेश के एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले 33 शहर एवं पर्यटन स्थल ओंकारेश्वर इस प्रकार कुल 34 शहर चुने गये हैं। इन शहरों का जल प्रदाय, सीवरेज, स्टार्म वाटर ड्रेन, शहरी परिवहन एवं हरित क्षेत्र विकास आदि का सर्विस लेवल इम्प्रूमेंट प्लान तैयार किया गया है। प्लान के आधार पर वार्षिक कार्य योजना तैयार कर, केन्द्र से स्वीकृति ली गई है। शहरी विकास मंत्रालय ने पाँच वर्षों की करीब 6201 करोड़ की कार्ययोजना राशि स्वीकृत कर दी है। अब 14 शहरों में करीब 1624 करोड़ की सीवरेज, 17 शहरों में 1200 करोड़ की पेयजल तथा 8 शहरों में 9 करोड़ के हरित क्षेत्र एवं पार्क विकास कार्य प्रारम्भ किये जा चुके हैं। अमृत योजना से इन 34 शहर में हर घर में पीने का पानी और सीवरेज कनेक्शन उपलब्ध करवाया जा सकेगा।

नर्मदा नदी शुद्धिकरण

नर्मदा नदी के शुद्धिकरण के लिये नदी तट बसे 14 नगरों की सीवर नेटवर्क एवं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की 1298 करोड़ से ज्यादा कार्य-योजना तैयार की जा रही है। इनके अलावा नर्मदा को प्रभावित करने वाले 04 निकायों, नरसिंहपुर, बड़वानी, सनावद एवं सेंधवा निकाय में सीवरेज योजना के कार्य के.एफ.डब्ल्यू. की वित्तीय सहायता से किया जाना प्रस्तावित है। छिन्दवाड़ा सीवरेज योजना पर कार्य शुरू हो गया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना

वर्ष 2022 तक सबके लिये आवास की प्रधानमंत्री योजना (शहरी) में प्रदेश ने अच्छी प्रगति की है। प्रथम चरण में 5 लाख आवास का वर्ष 2018 एवं वर्ष 2022 तक 10 लाख आवासीय इकाई निर्माण का लक्ष्य है। योजना में सभी 378 नगरीय निकाय को शामिल किया गया है। अभी तक 283 नगरों की 360 परियोजनाओं में 3 लाख 26 हजार से ज्यादा आवास स्वीकृत कर निर्माण प्रारम्भ कर दिया गया है। इस पर 20 हजार 571 करोड़ से ज्यादा राशि व्यय होगी।

योजना में ई.डब्ल्यू.एस./एल.आई.जी. हितग्राहियों को 6.5 प्रतिशत ब्याज अनुदान पर 6 लाख, एम.आई.जी.-1 हितग्राहियों को 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान पर 9 लाख एवं एम.आई.जी.-2 हितग्राहियों को 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान पर 12 लाख तक का ऋण बैंक एवं वित्तीय संस्थाओं से दिलाया जा रहा है।

योजना में स्वयं आवास निर्माण के लिये ढाई लाख की राशि प्रति हितग्राही दी जा रही है। मलिन बस्ती के हितग्राहियों के लिये आवास निर्माण की लागत 6 से 8 लाख रुपये तक आ रही है। इसमें 3 लाख का अनुदान केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है। हितग्राही से अधिकतम राशि 2 लाख तक ही ली जानी है। पाँच लाख से अधिक, जो अतिरिक्त लागत आ रही है, की पूर्ति राज्य सरकार द्वारा नि:शुल्क दी जाने वाली भूमि के वाणिज्यिक उपयोग अथवा एलआईजी एवं एमआईजी आवासों की बिक्री से मिलने वाली राशि से की जायेगी।

शहरी स्वच्छ भारत मिशन

इस मिशन की दिशा में राज्य के प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। केन्द्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वच्छता के मानदण्डों के आधार पर राज्य के 34 शहर में किये गये सर्वेक्षण में राष्ट्रीय स्तर पर इंदौर नगर निगम ने प्रथम एवं भोपाल नगर निगम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। देश की स्वच्छता रैंकिंग में प्रथम 100 में प्रदेश के 22 शहर ने स्थान बनाया है।

नगरीय क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त करने के अभियान में साढ़े चार लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालय बन चुके हैं। सभी नगरीय निकाय अपने निकाय क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। इनमें से 246 निकायों को क्वालिटी काउन्सिल आफ इंडिया द्वारा खुले में शौच से मुक्त शहर प्रमाणित भी किया जा चुका है। बाजार, हाट, बस स्टेण्ड आदि सार्वजनिक स्थलों पर भी शौचालय बनाये गये हैं। पिछले वर्ष विभिन्न निकायों में 16 हजार से ज्यादा सीट शौचालयों का निर्माण किया गया है। जन सामान्य के स्वच्छता व्यवहार में परिवर्तन के लिये सभी नगरीय निकायों में क्षमतावर्धन एवं सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण कार्यवाही भी की गयी है। छात्र-छात्राओं, रहवासी संघों, व्यापारिक संस्थानों आदि को जोड़कर स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाया गया है।

पीपीपी आधारित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

जन-निजी भागीदारी से क्षेत्रीय आधार पर एकीकृत नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कार्ययोजना पर अमल हो रहा है। यह कार्य सभी नगरीय निकायों के 26 कलस्टर बनाकर किया जाना है। इस दिशा में कचरे से विघुत उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिये विशेष प्रयास किये गये हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा में जन-निजी भागीदारी के अनुबंध किये जा चुके हैं। आगामी वर्षों में नगरीय कचरे से 71 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जायेगा। कलस्टर बनाकर कचरे से जैविक खाद बनाने की नगर निगम कटनी एवं सागर की योजनाएँ क्रियान्वयन के अंतिम चरण में है। राज्य के अन्य 20 कलस्टर में कचरे से जैविक खाद उत्पादन ईकाइयाँ पीपीपी मोड में स्थापित की जायेगी।

स्मार्ट सिटी

भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना और सागर का चयन किया है। इन शहरों में क्षेत्र आधारित विकास एवं पेन सिटी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। भोपाल, इंदौर तथा जबलपुर में मुख्यत: स्मार्ट स्ट्रीट लाईट पोल, पब्लिक बाईक शेयरिंग, स्मार्ट रोड, धरोहर संरक्षण एवं पुनर्निर्माण आदि का क्रियान्वयन प्रारंभ हो गया है। अन्य परियोजनाएँ प्रक्रिया में है। परियोजना में प्रदेश में आगामी पाँच वर्षों में 20 हजार करोड़ से अधिक का निवेश किया जायेगा।

मुख्यमंत्री शहरी अधोसरंचना विकास

नगरीय निकायों में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रथम चरण में मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना में 1428 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये हैं। योजना से नगरीय निकायों में 1500 कि.मी. डिवाईडर 280 कि.मी. नाला/ नाली एवं 150 कि.मी. विद्युतीकरण, 125 कि.मी. डिवाईडर, 280 कि.मी. फुटपाथ और 07 सामुदायिक भवन का निर्माण हो चुका है। शेष कार्य दिसम्बर तक पूर्ण हो जायेंगे। द्वितीय चरण में 1800 करोड़ की राशि स्वीकृत कर 378 नगरीय निकाय को 1107 करोड़ रुपये दे दिये गये हैं।

समावेशी विकास

प्रदेश के 70 शहर में शहरी गरीबों को आजीविका उपलब्ध कराने की भारत सरकार की ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ योजना कियान्वित की जा रही है। योजना प्रारंभ से इस वर्ष मार्च तक 88 हजार से ज्यादा हितग्राहियों को प्रशिक्षित कर 43 हजार का नियोजन किया गया है। साथ ही 8920 स्व-सहायता समूह गठित कर 3889 समूहों को आवर्ती निधि दी गई है।

जिला मुख्यालयों के नगरीय क्षेत्र में अप्रैल 2017 से व्यवसाय एवं श्रम कार्यों के लिये ग्रामीण क्षेत्रों से आये गरीबों तथा व्यवसायिक कार्यों में संलग्न गरीब परिवारों को स्वच्छ, सस्ता, पौष्टिक भोजन 5 रुपये प्रति व्यक्ति उपलब्ध कराने के लिये ‘दीनदयाल अंत्योदय रसोई’ शुरू की गई है। रोजाना औसतन तीस हजार व्यक्ति योजना का लाभ ले रहे हैं।

हाथ ठेला एवं सायकिल रिक्शा चालक, शहरी घरेलू कामकाजी महिला, मुख्यमंत्री (पथ पर विक्रय करने वाले) शहरी गरीबों तथा केश शिल्पी कल्याण योजनाओं से हितग्राहियों को प्रसूति, छात्रवृत्ति, विवाह, चिकित्‍सा, बीमा और मृत्यु पर अनुग्रह सहायता दी जा रही है। योजना प्रारंभ से इस वर्ष मार्च तक करीब 55 हजार साइकिल रिक्शा चालकों एवं हाथठेला चालकों को करीब 53 करोड़, 30 हजार से ज्यादा पथ पर विक्रय करने वालों को 44 करोड़ 41 लाख एवं करीब 10 हजार केश शिल्पियों को करीब 43 करोड़ की वित्तीय सहायता बैंकों से दिलायी गई है। शहरी घरेलू कामकाजी 52 हजार से ज्यादा महिलाओं के कौशल प्रशिक्षण पर करीब 21 करोड़ की राशि खर्च की गई है।

मुख्यमंत्री आर्थिक कल्‍याण योजना में इस वर्ष मार्च तक करीब 23 हजार हितग्राही को 50 करोड 60 लाख से ज्यादा तथा मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में करीब 24 हजार हितग्राहियों को 251 करोड़ 54 लाख का ऋण सुलभ कराया गया है। शहरी गरीबों के शारीरिक श्रम को न्यूनतम कर उच्च आय अर्जित करने के युक्तियुक्त अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से इस वर्ष अप्रैल से मुख्यमंत्री मानव श्रम रहित ई-रिक्शा एवं ई-लोडर योजना शुरू कर 64 हितग्राही को एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा का ऋण सुलभ कराया गया है।

ई-गवर्नेस एवं शहरी सुधार

नगरीय निकायों में सुधार के लिये ‘शहरी सुधार कार्यक्रम’ लागू किया गया है। कार्यक्रम में इस वर्ष अप्रैल से सभी नगरीय निकायों में एकीकृत ई-गवर्नेस को लागू करने की ई-नगर पालिका एक अभिनव पहल है। पहल का मुख्य उद्देश्य तकनीकी रूप से सुदृढ़, प्रभावी एवं पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा नागरिकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना है। साथ ही कैशलेस इकानॉमी तथा आधार सक्षम डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहित करना है। सम्पत्ति कर, जल उपभोक्ता प्रभार, फायर एनओसी, जन शिकायतों का निराकरण, पे-रोल, होर्डिंग लायसेन्स, जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र, विवाह पंजीयन, व्यावसायिक पंजीयन, उपभोक्ता शुल्क, स्वीमिंग पुल, सेप्टिक टैंक की सफाई एवं अन्य नागरिक सेवाओं को कम्प्यूटरीकृत कर नागरिकों को मोबाईल एप एवं इंटरनेट कार्य से संबंधित आवेदन एवं ऑनलाईन भुगतान की सुविधा दी गयी है।

निकायों की आंतरिक व्यवस्था को भी पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत किया गया है। सभी प्रकार के भुगतान डिजिटल हस्ताक्षर द्वारा अनुमोदित किये जाते हैं। नेटबैंकिंग से भुगतान की सुविधा है। सभी निकायों को नागरिक से ऑनलाईन भुगतान प्राप्त करने हेतु Payment Gateway से जोड़ा गया है। इस वर्ष अप्रैल से अब तक करीब 74 हजार प्रकरणों में 1615 करोड़ रूपये के भुगतान विभिन्न वेन्डरों को ऑनलाईन किये जा चुके हैं।

सभी 14 नगर निगम में ऑटोमेटेड बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम से नागरिकों को भवन निर्माण अनुज्ञा समय पर पारदर्शी प्रक्रिया से उपलब्ध हो रही है। शेष 364 निकायों में सिस्टम को लागू करने की कार्यवाही प्रचलन में है। अब तक सिस्टम से 60 हजार से अधिक भवन अनुज्ञा स्वीकृत की गई है।

शहरी लोक परिवहन

राज्य सरकार द्वारा भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास, मुरैना, सतना, सागर, रतलाम, रीवा, कटनी, सिंगरौली, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, खण्डवा, भिण्ड, गुना, शिवपुरी एवं विदिशा में यात्रियों को सस्ती सुलभ, सुरक्षित एवं सुचारू रूप से हब एण्ड स्पोक मॉडल कलस्टर आधारित बस परिवहन सेवा उपलब्ध कराने का कार्य प्रारंभ किया गया है। इन शहरों में परिवहन कम्पनियों (एसपीवी) का गठन हो चुका है। वर्तमान में इस कलस्टर के अंतर्गत देवास और गुना शहरों में सफल बस आपरेटरों के साथ अनुबंध किया जा चुका है। द्वितीय चरण में देवास, इंदौर, भिण्ड, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सिंगरौली से निविदा प्राप्त हुई है। अन्य प्रचलित परिवहन साधनों को मार्ग युक्तियुक्तकरण से व्यवस्थित किया जा रहा है। बसों को बेहतर कनेक्टिविटी के लिए परिवहन नेट

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