सुप्रीम कोर्ट से समायोजन कैंसिल होने के बाद समायोजन रद्द हो जाने के बाद प्रदेश भर से 50 हजार शिक्षामित्र दिल्ली पहुंच गए हैं। इससे पहले एक लाख से ज्यादा शिक्षामित्रों ने लखनऊ में प्रदर्शन किया था। आर-पार की लड़ाई के मूड में आ चुके शिक्षामित्रों ने दिल्ली में पीएम मोदी से मिलने की तैयारी की है। माना जा रहा है पहले जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट करने के बाद शिक्षामित्रों का प्रतिनिधिमंडल पीएम से मुलाकात करने के लिए उनके ऑफिस जा सकता है। इसके लिए अभी उन्हें वक्त नहीं मिला है।चार दिन प्रोटेस्ट करने की मिली परमिशन. शिक्षामित्रों ने बताया, “यदि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी, तो वो अपना प्रोटेस्ट अनिश्चितकालीन अनशन में तब्दील करेंगे। अभी हम लोगों को धरने के लिए 4 दिन की अनुमति मिली है। धरने को सफल बनाने के लिए हमारे नेताओं ने जिलों से लेकर गांव तक में शिक्षामित्रों से मुलाकात कर दिल्ली जाने की अपील भी की है।
शिक्षामित्रों का पक्ष:आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा, “योगी सरकार यूपी में शिक्षामित्रों की आवाज को दबाने का काम कर रही है। प्रदेश भर में शिक्षामित्रों के नेताओं की गिरफ्तारियां की जा रही है। इससे शिक्षामित्रों में डर का माहौल है। इसलिए अब शिक्षामित्रों ने दिल्ली के जन्तर मंतर पर जाकर प्रोटेस्ट करने का फैसला किया है। जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करेंगी तब तक ये प्रोटेस्ट जारी रहेगा।”
ये है मामला
सुप्रीम कोर्ट से समायोजन कैंसिल होने के बाद यूपी के 1.32 लाख से अधिक शिक्षामित्र प्रोटेस्ट पर है। उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके अपर सचिव, शासन राज प्रताप सिंह से तीन बार मुलाक़ात कर अपनी मांगों के बारे में बताया था, लेकिन बातचीत फेल रही। योगी सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में शिक्षामित्रों का मानदेय दस हजार तय कर दिया, शिक्षामित्र अभी भी 39 हजार रूपये मानदेय की मांग पर अड़े हुए है।
अपनी मांगों को लेकर लखनऊ में विशाल धरना प्रदर्शन भी किया था। उनका आरोप है कि योगी सरकार शिक्षामित्रों के हितों की अनदेखी कर रही है। यूपी में उनकी नहीं सुनी जा रही है। इसलिए उन्हें मजबूरन दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाकर प्रोटेस्ट करना पड़ रहा है। सोमवार को 50 हजार शिक्षामित्र ट्रेन, बसों और गाड़ियों से दिल्ली पहुंच गये है।