पेट्रोल और डीजल की कीमतें साल 2014 के बाद सबसे ऊंची स्तर पर पहुंच गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तीन साल पहले के मुकाबले आधी रह गई हैं. लेकिन इसका फायदा आम जनता को नहीं मिल पा रहा है. पेट्रोल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय दिया गया उनका एक भाषण याद आ रहा है. उस समय उन्होंने 1 फरवरी को एक रैली में अपने अंदाज में कहा ‘क्या डीजल पेट्रोल के दाम कम हुए हैं कि नहीं…क्या आपकी जेब में पैसा बचने लगा है की नहीं…अब विरोध कहते हैं कि मोदी नसीबवाला है…तो अगर मोदी का नसीब जनता के काम आता है तो इससे बढ़िया नसीब की क्या बात हो सकती है…आपको नसीब वाला चाहिए या बदनसीब?
दरअसल इससे पहले नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बड़ा मुद्दा बनाया था और यूपीए सरकार को इस पर जमकर घेरा था. इसके बाद जब पीएम मोदी ने 26 मई को पीएम पद की शपथ ली तो दिल्ली में पेट्रोल 71.41 रुपये प्रति लीटर डीजल 56.71 रुपये प्रति लीटर था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत गिरने लगीं जिससे पेट्रोल और डीजल के दाम भी घट गए. जिस दिन पीएम मोदी ने यह भाषण दिया था उस समय दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 58.91 रुपये और डीजल 48.26 रुपए प्रति लीटर थी.
बात करें आज की तो मोदी सरकार के आने के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 53 फीसदी तक कम हो गए हैं, लेकिन पेट्रोल डीजल के दाम घटने की बजाय बेतहाशा बढ़ गए हैं. मुंबई में तो पेट्रोल के दाम बुधवार को करीब 80 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया. इसके पीछे असली वजह यह है कि तीन सालों के दौरान सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कई गुना बढ़ा दी है. मोटे अनुमान के अनुसार पेट्रोल पर ड्यूटी 10 रुपये लीटर से बढ़कर करीब 22 रुपये हो गई है.
जुलाई से पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. इस समय पेट्रोल की दर तीन साल के अपने उच्च स्तर पर है. पेट्रोल कीमतों में प्रतिदिन मामूली संशोधन होता है. दिल्ली में 16 जून को पेट्रोल का दाम 65.48 रुपये लीटर था, जो 2 जुलाई को घटकर 63.06 रुपये लीटर पर आ गया था. हालांकि उसके बाद से सिर्फ गिनती के दिन छोड़कर प्रतिदिन पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इन मौकों पर पेट्रोल का दाम 2 से 9 पैसे लीटर घटा था.