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राज्यपाल का राज्य में आश्रमों व गृहों के नियमित अनुश्रवण की आवश्यकता पर बल…

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राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा संचालित किए जा रहे विभिन्न आश्रमों व गृहों के नियमित अनुश्रवण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए गठित स्थानीय प्रबंधन समितियों की हर तीन माह में बैठक आयोजित होनी चाहिए ताकि यहां रह रहे बच्चों के कल्याण के लिए वे अपने महत्वपूर्ण सुझाव दे सकें।
राज्यपाल आज यहां राजभवन में आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य बाल कल्याण परिषद् की शासी निकाय की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह भी बैठक में उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि बच्चों की मनोदशा को बेहतर समझने के लिए स्थानीय समिति में एक मनोचिकित्सक भी होना चाहिए तथा परिषद् द्वारा संचालित प्रत्येक आश्रमों में परामर्श की विशेष सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये समितियां अपने सुझाव दर्ज करने के लिए एक रजिस्टर का रखरखाव भी सुनिश्चित बनाएं, जिसपर परिषद् की बैठक में चर्चा की जा सके ताकि आश्रमों में रह रहे बच्चों के कल्याण के लिए ठोस निर्णय लिए जा सकें।
आचार्य देवव्रत ने देश के कुछ संस्थानों में अप्रत्याशित घटनाओं के मद्देनजर प्रत्येक आश्रम में सी.सी.टी.वी कैमरे स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा कहा कि उनका सुचारू संचालन व निगरानी सुनिश्चित बनाई जानी चाहिए। उन्होंने आश्रमों में रहे रहे बच्चों के प्रति गंभीरता एवं मानवीयता बनाए रखने की अपील की तथा कहा कि ऐसे केंद्रों की देखरेख के लिए पात्र व प्रशिक्षित व्यक्ति तैनात किए जाने चाहिए, जो विवेकशीलता के साथ अपना कार्य कर सकें। उन्होंने कहा कि केंद्र में रह रहे बच्चों के साथ नियमित विचार-विमर्श से उनमें विश्वास और मानवतावादी विचारों को पैदा करने में सहायता मिलेगी।
राज्यपाल ने आश्रमों व गृहों के बेहतर रखरखाव के लिए प्रदेश सरकार और संबंधित अधिकारियों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह अक्सर इन केंद्रों में जाते हैं और वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था समाज में विश्वास पैदा करती हैं। समाज में बढ़ती नशे की प्रवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अधिकांश अपराध एवं दुर्घटनाएं नशे के कारण की होती हैं, जिनपर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने राज्य बाल कल्याण परिषद् की शासी निकाय की वार्षिक बैठक में उपायुक्तों की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की संवेदनशील बैठकों में उन्हें अपनी उपस्थिति सुनिश्चित बनानी चाहिए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार बेसहारा, विशेष सक्षमता वाले बच्चों तथा निराश्रित बच्चों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं कार्यान्वित कर रही है और इनमें से कुछ योजनाएं हि.प्र. बाल कल्याण परिषद के माध्यम से संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 308 बच्चों वाले बाल एवं बालिका आश्रम के संचालन के परिषद को अनुदान प्रदान कर रही है।
उन्होंने शिमला के समीप ढली में विशेष स्कूल के दिव्यांग बच्चों के लिए 805.48 लाख रुपये की लागत से निर्माणाधीन भवन के निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने परिषद को निर्माण कार्य तय समय सीमा के भीतर पूरा करने को कहा। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला के गरली में बालिका आश्रम भवन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है और इसका शीघ्र लोकार्पण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिषद द्वारा कामकाजी महिलाओं के 0-6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए राज्य में 42 शिशु सदन चलाए जा रहे और राज्य सरकार इनके उपयुक्त संचालन के लिए परिषद को सहायता अनुदान भी प्रदान कर रही है। उन्होंने सरकार द्वारा बेसहारा तथा निराश्रित बच्चों के कल्याण तथा उत्थान के लिए चलाई जा रही सभी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपयुक्त प्रयास करने के निर्देश दिए।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि बाल आश्रम जैसे संस्थान में कार्य कर रहे व्यक्ति अच्छी तरह से प्रशिक्षित होने चाहिए और उनमें मानवीय संवेदनाएं होनी चाहिए ताकि वे अपने कर्तव्यों का निवहर्ण अधिक जिम्मेवारी के साथ कर सके। उन्होंने अनुदान योजनाओं के तहत कार्यरत कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान प्रदान करने के लिए ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा.(कर्नल) धनीराम शाण्डिल ने कहा कि राज्य में बेसहारा, निराश्रित तथा दिव्यांग बच्चों को भोजन तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए 29 बाल-बालिका गृह, एक संप्रेक्षण गृह एवं विशेष गृह तथा तीन खुले आश्रम संचालित किए जा रहे हैं । इनमें से 10 गृह राज्य सरकार द्वारा तथा 19 बाल आश्रम व तीन खुले आश्रम गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि हि.प्र. बाल कल्याण परिषद द्वारा विशेष बच्चों के लिए 9 बाल-बालिका आश्रम एवं स्कूल तथा शिशु गृह संचालित किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इन गृहों में 1208 आश्रय ले रहे है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिव श्री आर.डी. धीमान ने विभाग की योजनाओं के बारे तथा विशेष बच्चों एवं अनाथ बच्चों के कल्याण के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी ।
हि.प्र. राज्य बाल कल्याण परिषद की महासचिव श्रीमती राजकुमारी सोनी ने भी बैठक में बहुमूल्य सुझाव दिए।
शिक्षा सचिव अभिषेक जैन, राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, बाल एवं महिला विकास विभाग के निदेशक मानसी सहाय ठाकुर, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक मामले विभाग के निदेशक सन्दीप भटनागर, विभिन्न जिलों के उपायुक्त, विभागाध्यक्ष, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, बाल कल्याण परिषद के सरकारी तथा गैर सरकारी सदस्य इस अवसर पर उपस्थित थे।

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