Home राष्ट्रीय ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का मालिक हुआ गिरफ्तार….

ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का मालिक हुआ गिरफ्तार….

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BRD मेडिकल कॉलेज मामले में बच्चों की मौत के मामले में पुष्पा सेल्स के मालिक मनीष भंडारी को अरेस्ट कर लिया गया है। उसने शनिवार को कोर्ट में एप्लीकेशन लगाकर सरेंडर करने की इजाजत मांगी थी। बता दें कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 7 से 12 अगस्त के बीच 30 बच्चों समेत 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। अारोप था कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट और पुष्पा सेल्स के बीच पेमेंट काे लेकर विवाद था, जिसकी वजह से कंपनी ने हॉस्पिटल को ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी थी। आरोप यह भी है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से ही हुई। इस मामले में नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से आठ पहले ही अरेस्ट किए जा चुके हैं।

मनीष को रविवार सुबह गोरखपुर के देवरिया बायपास रोड से अरेस्ट किया गया। वह बिहार जाने की फिराक में था। शनिवार को जब मनीष के वकील ने कोर्ट में सरेंडर की एप्लीकेशन दी थी, तभी से उसे ट्रेस किया जा रहा था। फिलहाल उससे पूछताछ की जा रही है कि अब तक वो कहां-कहां रहा। रविवार को कोर्ट बंद होने की वजह से मनीष की पेशी सोमवार को होगी।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के मामले में चीफ सेक्रेटरी की अगुआई में 4 मेंबर वाली जांच टीम बनाई गई थी। उनकी रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल राजीव मिश्र, उनकी पत्‍‌नी और इंसेफलाइटिस वार्ड के इंचार्ज डॉ. कफील खान समेत 9 लोगों के खिलाफ केस मुकदमा दर्ज हुआ।
मनीष भंडारी, ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी पुष्पा सेल्स का मालिक
ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की जिम्मेदारी को पूरा नहीं किया। ये काम क्रिमिनल एक्ट की कैटेगरी में आता है। 3 अगस्त को जानकारी दिए जाने के बाद भी इन्होंने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी।
डॉ. राजीव मिश्र, सस्पेंड प्रिंसिपल, BRD मेडिकल कॉलेज
घूस के लालच में इन्होंने 2016-17 के ढाई करोड़ रुपए लैप्स करा दिए और अगस्त में बजट होने के बावजूद घूस के लिए पुष्पा सेल्स का पेमेंट रोका। ये भी आरोप है कि ऑक्सीजन की कमी होने के बावजूद वे 10 अगस्त को सीनियर अफसरों को सूचना दिए बगैर मेडिकल कॉलेज से चले गए, जो क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी की कैटेगरी में आता है।
डॉ. सतीश, एचओडी, एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट, BRD मेडिकल कॉलेज
ऑक्सीजन रुकने की जानकारी के बावजूद डॉ. सतीश डिपार्टमेंट और हेडऑफिस छोड़कर चले गए। उन्होंने बच्चों की जान बचाने की कोशिश नहीं की, जबकि उन्हें पता था कि ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत हो सकती है।
डॉ. कफील एमसीआई में रजिस्ट्रेशन न होने के बाद भी पत्नी के नर्सिंग होम में प्रैक्टिस करते रहे। मरीजों के इलाज में जो कोशिश इन्हें करनी चाहिए थी, वो नहीं की। सरकारी डॉक्टर होते हुए भी उन्होंने मीडिया के जरिए लोगों और जनता को धोखा देने की कोशिश की। सरकारी नियमों का गलत इस्तेमाल किया।
डॉ. पूर्णिमा शुक्ला, डॉ. राजीव मिश्र की पत्नी
पति राजीव मिश्र से करप्शन कराने में इनका अहम किरदार था। वे अकाउंटिंग डिपार्टमेंट के वर्कर्स को फोन करके कमीशन और गैर कानूनी तरीके से पैसे वसूलती थीं।
 गजानंद जायसवाल, चीफ फार्मासिस्ट, BRD मेडिकल कॉलेज
डॉ. पूर्णिमा शुक्ला से मिलकर कमीशन के लिए फर्मों का पेमेंट करते थे।
उदय प्रताप शर्मा, क्लेरिकल अकाउंटेंट,  संजय त्रिपाठी, असिस्टेंट क्लर्क सुधीर पांडेय, क्लर्क
एफआईआर में इन लोगों को घूस के लालच में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली कंपनी का पेमेंट रोकने का दोषी ठहराया गया है।
बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में 7 अगस्त से लेकर 12 अगस्त तक 30 बच्चों समेत 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी। आरोप है कि ये मौतें हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने की वजह से हुईं। कहा गया कि पुष्पा सेल्स नाम की कंपनी ने पेमेंट बकाया होने की वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई रोक दी थी। कंपनी ने कहा कि हमने 14 रिमांडर भेजे, लेकिन इसके बाद भी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कोई एक्शन नहीं लिया।
पुष्पा सेल्स का 250 करोड़ का टर्नओवर
इस कंपनी की बेस वैल्यू 21 करोड़ रुपए है और वर्ष 2010-11 में कंपनी का टर्नओवर 250 करोड़ रुपए रहा था। इतनी बड़ी कंपनी होने और वर्षों से काम करते रहने के बावजूद 63 लाख रुपए के लिए मनीष ने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी थी।
कंपनी ने 2014 में इस अस्पताल में सप्लाई शुरू की थी। पेमेंट का यह झगड़ा 23 नवंबर 2016 से शुरू हुआ।

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