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यह परियोजना नए भारत के निर्माण में सवा सौ करोड़ भारत वासियों के लिए प्रेरणा का काम करेगी….

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नर्मदा नदी पर महत्वाकांक्षी परियोजना सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन करने के बाद एक रैली में कहा कि देशवासी यदि कुछ ठान लें तो कोई भी चुनौती उनके लिए चुनौती नहीं रहती. पीएम मोदी ने कहा कि यह परियोजना नए भारत के निर्माण में सवा सौ करोड़ भारत वासियों के लिए प्रेरणा का काम करेगी. उन्होंने कहा कि इस बांध परियोजना से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के करोड़ों किसानों का भाग्य बदलेगा. पीएम मोदी ने कहा कि नर्मदा का पानी पारस है, जिस प्रकार पारस लोहे को स्पर्श कर सोना बना देता है, उसी प्रकार इस बांध का पानी जिस सूखी जमीन पर जाएगा, वह जमीन सोना उगलने लगेगी.

इस परियोजना में हुई देरी के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इसे राजनीति से नहीं जोड़ रहे हैं, वरना उनके पास उन सभी लोगों का कच्चा चिट्ठा है, जिन्होंने इस परियोजना में बाधाएं उत्पन्न की, आरोप लगाए और साजिश रची. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब-जब नर्मदा नदी का सम्मान करने वाली सरकारे आईं तब-तब इस परियोजना के कार्य में काफी गति आई और बाकी समय इस परियोजना का काम तेजी से नहीं बढ़ा. उन्होंने कहा कि जिस वर्ल्ड बैंक बैंक ने गुजरात को नर्मदा बांध के लिए धन देने से इनकार किया था, उसी विश्व बैंक ने 2001 में गुजरात के कच्छ में हुए हर एक कार्यों के लिए राज्य को ग्रीन अवॉर्ड से पुरस्कृत किया.

पीएम मोदी ने कहा कि इस परियोजना के लिए वह दो लोगों के आभारी हैं- सरदार वल्लभ भाई पटेल और बाबा साहेब अंबेडकर. उन्होंने कहा, ‘भारत के लौह पुरुष की आत्मा आज जहां कहीं भी होगी, वह हम पर ढेर सारे आशीर्वाद बरसा रही होगी.’ उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने एक दिव्य दृष्टि की तरह इस गुजरात क्षेत्र में सिंचाई और जल संकट को देखते हुए नर्मदा पर बांध की परिकल्पना की थी. पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने मंत्री परिषद में रहते हुए देश के विकास के लिए तमाम योजनाओं की परिकल्पना की थी. उन्होंने कहा कि अगर ये दोनों महापुरुष अधिक समय तक जीवित रहते तो देश को उनकी प्रतिभा का और भी लाभ मिलता.

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की दो भुजाएं हैं. पश्चिमी और पूर्वी भारत. जिस प्रकार नर्मदा बांध से पश्चिमी भारत की सिंचाई एवं पेय जल समस्या को दूर करने में एक बड़ी मदद मिलेगी, उसी प्रकार वह चाहते हैं कि पूर्वी भारत की बिजली की समस्या को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास हों.

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