बीएसपी प्रमुख मायावती अपनी सियासी ताकत की आजमाइश के लिए आज से रैली की शुरुआत कर रही हैं. राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मायावती आज पहली महारैली को मेरठ में संबोधित करेंगी. बीएसपी की इस रैली में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के कार्यकर्ता शामिल होंगे. बीएसपी की महारैली मेरठ के सुभारती मेडिकल कॉलेज के सामने वाले मैदान में है.
बीएसपी मेरठ के महारैली में भीड़ जुटाकर विरोधी दलों को अपनी ताकत का एहसास कराने के साथ-साथ खिसकते जानाधार की बात करने वालों को भी वो मुंहतोड़ जवाब देना चाहती हैं.
मेरठ की महारैली में माना जा रहा है कि बीएसपी सुप्रीमो के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी होंगे. बीएसपी नेता हाजी याकूब कैरशी ने कहा कि बहनजी इस महारैली में दलित उत्पीड़न के मुद्दे को उठाएंगी. कुरैशी ने कहा यूपी में योगी सरकार के आने के बाद राज्य में दलितों के साथ लगातार उत्पीड़न हो रहा है.
40 विधानसभा के लोग होंगे एकजुट मेरठ लोकसभा के प्रभारी हाजी याकूब कुरैशी ने बताया कि 40 विधानसभा के पार्टी कार्यकर्ता मेरठ की रैली में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में लोग उन्हें सुनने के लिए बेताब हैं. ऐसे में काफी तादाद में भीड़ जुटने का अनुमान है.
रैली को सफल बनाने का मूलमंत्र मेरठ की महारैली में हर विधानसभा से करीब 10 हजार से 15 लोगों के आने का अनुमान है. मेरठ के सरधना से प्रत्याशी रहे हाफिज इमरान याकूब ने कहा कि मेरठ की रैली एक ऐतिहासिक रैली होगी और करीब 5 लाख लोगों की भीड़ जुटेगी.
इस्तीफे के बाद माया की पहली रैली दरअसल पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई दलित और राजपूत के बीच हिंसा हुई थी. मायावती इस मुद्दे पर राज्यसभा में बोलना चाहती थीं, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया था. मायावती को ये बात इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने राज्यसभा के सदस्य पद से ही इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने रैलियों के जरिए दलित उत्पीड़न की बात उठाना चाहती हैं. मायावती ने यूपी के सभी मंडलों में हर महीने की 18 तारीख को रैली करने का ऐलान किया था. इसी कड़ी में सोमवार को पहली रैली मेरठ में हो रही है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही बीएसपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. मायावती दलित में जाटव समाज से आती हैं और जाटव समाज की बड़ी आबादी पश्चिमी यूपी में है. पश्चिमी यूपी में दलितों के साथ-साथ मुस्लिमों की भी बड़ी आबादी है. खासकर जिन तीन मंडलों के लोग शामिल हो रही हैं, इनमें मुस्लिमों की करीब 30 से 40 फीसदी आबादी है. ऐसे में मायावती ने अपनी ताकत की आजमाइश के लिए अपने गढ़ को ही चुना है, जहां वो दलित मुस्लिम को एकजुट करके मुंहतोड़ जवाब देना चाहती हैं. मायावती इस बात को बाखूबी जानती हैं कि पहली रैली उनके दोस्त और दुश्मन दोनों की नजर है. ऐसे में उनकी पहली रैली बाकी की रैली के माहौल को बनाने की भूमिका अदा करेंगी. इसीलिए वह किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसीलिए उन्होंने अपने गढ़ से हुंकार भरने का फैसला किया है, ताकि बाकी होने वाली रैलियां भी सफल हो सकें.