विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले हिमाचल सरकार सात सौ करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष में चौथी बार कर्ज लेगी।
सूत्रों की मानें तो कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में वृद्धि पर होने वाले खर्च के लिए सरकार कर्ज ले रही है। सरकार ने 15 वर्ष अवधि वाले अपने सात सौ करोड़ के स्टॉक को बेचने का निर्णय लिया है।
वित्त विभाग ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश पर लगभग 52 हजार करोड़ का कर्ज है जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में कर्ज दो हजार करोड़ पहुंच गया है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में स्टॉक को भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से बेचा जाएगा। मुंबई में 26 सितंबर को नीलामी प्रक्रिया होगी, जिसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र से अनुमति ले ली है। सरकार का अनुमान है कि सात सौ करोड़ के स्टॉक पर इतना ही पैसा बाजार से मिल जाएगा जिसकी अदायगी सितंबर 2027 के बाद करनी होगी। वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार के वार्षिक बजट प्लान का अधिकांश हिस्सा कर्मचारी वेतन और पेंशन में जाता है।
ऐसे में विकास कार्यों के लिए सरकार को केंद्र पोषित योजनाओं या फिर कर्ज पर ही निर्भर होना पड़ता है। इस वित्तीय वर्ष में सरकार लगभग दो हजार करोड़ से अधिक का ऋण ले चुकी है। प्रदेश सरकार के कई निगम और बोर्ड घाटे में चल रहे हैं, जिससे नॉन प्लान पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। सरकार ने नॉन प्लान के खर्च को कम रखने के लिए जो अनुबंध पर नियुक्तियां देने की नीति बनाई थी, उसमें भी बदलाव किया गया है। नियमित कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से सरकार पर आने वाले दिनों में आर्थिक बोझ और बढ़ेगा। इसके अलावा कर्मचारियों को चार फीसदी अंतरिम राहत और चार फीसदी डीए भुगतान अगले माह से करना है।