अक्सररेव पार्टियों से पुलिस खाली हाथ लौटती रही है। इसके चलते पुलिस के लिए ये रेव पार्टियां रहस्य बनी हुई थी।मणिकर्ण के जंगलों में दशकों से होने वाली रेव पार्टियों के रहस्य से पर्दा उठने लगा है। इन रेव पार्टियों में नशे के चाहवान ड्रग्ज को किसी तरीके से इस्तेमाल करते थे इस पर रहस्य बना हुआ था। पुलिस ने इस रहस्य से अब पदा उठा लिया है। दशकों से जंगलों में रेव पार्टियां आयोजित करने का सिलिसला जारी है। इनमें देश विदेश से आने वाले सैलानी खूब ड्रग्ज का इस्तेमाल करते हैं। पुलिस इन पार्टियों में इस्तेमाल होने वाले ड्रग्ज का यह पता नहीं लगा पा रही थी कि ये सैलानी ड्रग्ज को किस रूप में लेते हैं। जब भी पुलिस इन पार्टियों में रेड करती तो उन्हें चंद पार्टियों में ही नशे की खेप मिल पाई है।
रेव पार्टी के आयोजकों ने नशे के चाहवानों को ड्रग्ज उपलब्ध करवाने का तरीका बदल दिया है। रेव पार्टी आयोजक पानी में मिलाकर ड्रग्ज उपलब्ध करवाते थे। पुलिस को मौके पर शराब आदि के अलावा किसी तरह का ड्रग्ज पदार्थ नहीं मिल पाता था। मणिकर्ण घाटी के बसोल, रसोल, पुलगा और तुलगा, तोष सहित कई ऐसे स्थान हैं जहां जंगलों में रेव पार्टियों का आयोजन होता है। रेव पार्टी आयोजित करने वालों ने ड्रग्ज के चाहवानों को नशा परोसने का तरीका बदल दिया है। इस बात की पुष्टि पुलिस छानबीन में हुई है कि रेव पार्टियों में पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए आयोजक पार्टी में शामिल होने वाले सैलानियों को पानी में मिलाकर ड्रग्ज उपलब्ध करवाते थे। शालिनीअग्निहोत्री, एसपी कुल्लू