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दिल्ली के एक एनजीओ ने ऊना प्रशासन के साथ मिलकर12 मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया…

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ऊना : दिल्ली के एनजीओ ने ऊना प्रशासन के साथ मिलकर 12 मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया है। इन मजदूरों में तीन नाबालिग और नौ बालिग हैं। त्रिपुरा और असम राज्यों के रहने वाले ये मजूदर तीन होटलों और एक पोल्ट्री फार्म में काम कर रहे थे। अब एनजीओ प्रशासन की मदद से इन मजदूरों को दिल्ली ले जाने के बाद उनके परिजनों तक पहुंचाएगा।

बालिग मजदूरों में त्रिपुरा के राहुल चकमा, अमरदीप चकमा, धांकिया, ¨मटू चकमा व असम के संतोष माजी, एंथनी मुंडा, सिमतुश मुंडा, चंदन गवाला, जोसलीन मुंडा शामिल हैं और तीन नाबालिग हैं।

दिल्ली के एनजीओ नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बोंडेड लेबर के पास शिकायत आई थी कि ऊना में बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही है। एनजीओ संयोजक निर्मल गुराना ने बताया कि ये मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली आए थे, जहां से उन्हें एक ठेकेदार ऊना ले आया और अच्छे वेतन का झांसा देकर होटलों और पोल्ट्री फार्म में काम पर लगा दिया। कई महीने काम करने के बावजूद इन मजदूरों को वेतन नहीं दिया गया, उल्टा इन्हें डराया-धमकाया जाता था।

संस्था ने ऊना प्रशासन के साथ मिलकर अभियान चलाया और इन मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया। छुड़ाए गए मजदूरों की हालत ठीक नहीं है। अब इन्हें दिल्ली ले जाकर इनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। प्रशासन व संबंधित विभागों से होटलों व पोल्ट्री फार्म संचालकों पर कार्रवाई को कहा गया है। तीन होटलों व पोल्ट्री फार्म में यह मजदूर बंधुआ मजदूरी कर रहे थे। प्रशासन ने नियमानुसार होटलों और पोल्ट्री फार्म के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

 

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