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सरकार को आदेश दिया है कि गैमन इंडिया को टीटी नगर में आवंटित 15 एकड़ जमीन को एक माह में फ्री होल्ड किया जाए…

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भोपाल.हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि गैमन इंडिया को टीटी नगर में आवंटित 15 एकड़ जमीन को एक माह में फ्री होल्ड किया जाए। उच्च न्यायालय में दायर याचिका में गैमन ने कहा था कि कलेक्टर भोपाल जून 2012 में ही जमीन को फ्री होल्ड करने का आदेश दे चुके थे। इसके बाद गैमन ने 6.5 करोड़ रुपए जमा भी करा दिए। लेकिन अब तक इस संबंध में अनुबंध नहीं किया गया है।
गैमन की याचिका पर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की एकलपीठ ने सोमवार को इस संबंध में राज्य शासन, राजस्व विभाग और कलेक्टर भोपाल को आदेश दिए हैं। गैमन के अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता के अनुसार राज्य शासन ने वर्ष 2009 में टीटी नगर स्थित 15 एकड़ भूमि कमर्शियल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) को विकसित करने हेतु आवंटित की गई थी, जिसका भू उपयोग पूर्व में ही कॉमर्शियल कर दिया गया था। गैमन द्वारा इस भूमि पर हाइराईज आवासीय परिसर और कमर्शियल काम्पलेक्स सृष्टि विकसित किया जा रहा है।
जमीन फ्री होल्ड होने का फायदा यहां दुकान और फ्लैट के आवंटियों को मिलेगा। उन्हें सब लीज होल्डर की बजाय मालिकाना हक के अधिकार मिलेंगे। इससे वे बैंक के लोन और क्रेडिट लिमिट फैसिलिटी आदि आसानी से ले सकेंगे।
28 सितंबर को गैमन के आवंटियों ने प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में याचिका लगा रखी है। इस मामले में अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी। आवंटियों का कहना है कि तीन साल में आवंटन का वादा किया गया था और 2013-14 तक ज्यादातर भुगतान ले लिया गया। उसके बावजूद अभी तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है। दावा है कि रेरा के प्रावधान उन पर लागू नहीं होते।
राज्य शासन ने वर्ष 2011 में ‘आवंटित शासकीय भूमियों को फ्री होल्ड कराने हेतु नियम 2011’ अधिसूचित किए थे। इसके तहत शासकीय लीज पर आवंटित कमर्शियल और आवासीय भूमि को एक मुश्त प्रीमियम देकर फ्री होल्ड कराने की व्यवस्था निर्धारित की गई। गैमन ने इन नियमों के अंतर्गत शासन को आवेदन किया और कलेक्टर ने जून 2012 में गैमन को आवंटित भूमि को 6.5 करोड़ रुपए राशि भुगतान के एवज में भूमि फ्री होल्ड अधिकार करने के आदेश कर दिए थे। इसके बाद कलेक्टर ने स्वयं यह आदेश पुनर्विलोकन में लेकर अगस्त 2015 में निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ पूर्व में गैमन की अपील पर कमिश्नर भोपाल ने 2012 में पारित आदेश को बहाल कर दिया। लेकिन राजस्व विभाग और कलेक्टर भोपाल ने भूमि को फ्री होल्ड करने संबंधी अनुबंध निष्पादित नहीं किए। जिसके खिलाफ गैमन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

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