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Birthday Special: यश चोपड़ा ….

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यश चोपड़ा ने सालों पहले राजेश खन्ना के साथ फिल्म ‘इत्तेफ़ाक़’ बनाई थी. 1969 में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने फिल्म जगत के उस वक़्त सभी स्थापित नियमों को ताक पर रख दिया था. इस फिल्म में ना गाने थे और ना ही कोई इंटरवल. फिल्म एक रात की कहानी थी और उस ज़माने में प्रचलित प्रेम कहानियों के दौर में एक मर्डर मिस्ट्री थी.

कहने की जरुरत नहीं है कि फिल्म को लोगों ने बेहद सराहा और तीस दिनों के अंदर बनी इस फिल्म ने यश चोपड़ा के करियर को एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया. लेकिन यहां इत्तेफ़ाक़ फिल्म के बदले अगर हम यश चोपड़ा के फिल्मों की बात करें तो एक बात पूरी तरह से सामने निकल कर बाहर आती है और वो ये है की यश चोपड़ा की फिल्मों की इमारत में इत्तेफ़ाक़ का बहुत बडा योगदान रहा है.

दीवार में हुई अमिताभ की एंट्री: यह इत्तेफ़ाक़ ही था कि यश चोपड़ा पहले अपनी फिल्म ‘दीवार’ में सबसे पहले राजेश खन्ना को लेने वाले थे. उसके पीछे की कहानी यह थी जब अपने भाई बी आर चोपड़ा के साये से निकल कर यश चोपड़ा ने जब यश राज फ़िल्म्स की स्थापना की तब राजेश खन्ना ने उनके बैनर की पहली फिल्म दाग में काम करके उनके ऊपर उपकार किया था. यश चोपड़ा उसी उपकार के चलते राजेश खन्ना को अपनी फिल्म में लेना चाहते थे. लेकिन सलीम जावेद ने उनको यकीन दिलाया किया कि अमिताभ बच्चन उस किरदार में बेहतर ढंग से फिट बैठेंगे. यह फिल्म आज तक यश चोपड़ा के शानदार निर्देशन और अमिताभ बच्चन के यादगार अभिनय के लिए याद की जाती है और फिल्मी टेक्स्ट बुक्स में अपनी जगह बना चुकी है.

शाहरुख को दिया ‘डर’ में ब्रेक: फिल्म ‘डर’ में जो किरदार शाहरुख खान ने निभाया था उस रोल के लिए सही अभिनेता ढूंढने की कवायद ने उनकी रातों की नींद उड़ा दी थी. सलमान खान सरीखे सितारों ने उस रोल को ना कर दिया था. जब एक दिन वो इस बात का दुखड़ा ऋषि कपूर के सामने रो रहे थे तब ऋषि कपूर ने उनको सलाह दी की इंडस्ट्री में एक नया लड़का शाहरुख खान आया हुआ है और उससे वो एक बार मिल लें. ऋषि कपूर इसके पहले फिल्म दीवाना में शाहरुख खान के साथ काम कर चुके थे और उनका काम उनको बेहद पसंद आया था. कहने की यहां भी जरुरत नहीं कि यश चोपड़ा के साथ-साथ शाहरुख खान की किस्मत भी पूरी तरह से बदल गई.

वक्त की कामयाबी की कहानी: इत्तेफ़ाक़ का एक और किस्सा यश चोपड़ा के साथ फिल्म वक़्त की शूटिंग के पहले हुआ था. फिल्म की शूटिंग के पहले वो कहीं यात्रा कर रहे थे और सफर के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर फ़िल्मकारर बिमल रॉय से हो गई. समय गुजारने के लिए यश चोपड़ा ने सोचा की क्यों ना अपनी अगली फिल्म की कहानी बिमल दा को सुनाई जाए. कहानी सुनाने के बाद उन्होंने यह भी बताया कि तीन भाइयों के रोल के लिए उन्होंने राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर को तय किया है. इसके बाद बिमल दा ने उनको यही कहा की उनकी फिल्म की कास्टिंग पूरी गलत है और इसको अगर वो बदल दे तो बेहतर होगा. उनकी दलील ये थी की वक़्त एक लास्ट एंड फाउंड ड्रामा है और इन तीन सगे भाइयों को कोई भी पहचान लेगा फिल्म में. यश चोपड़ा ने बिमल दा के मशवरे को पूरा सम्मान दिया और उसके बाद फिल्म में एंट्री हुई राजकुमार और सुनील दत्त की. यहां भी बताने की जरुरत नहीं है कि ‘वक़्त’ कामयाबी के शिखर तक पहुंचने में कामयाब रही.

सिलसिला में रेखा-जया की जोड़ी बैठाई: लेकिन उनकी करियर की सबसे विवादास्पद फिल्म ‘सिलसिला’ भी इत्तेफ़ाक़ का ही एक जीता जागता नमूना था. इस फिल्म के कुछ दिनों पहले यश चोपड़ा अपने पसंदीदा कंपोजर खय्याम से मिलने गए थे इस फिल्म के संगीत के लिए लेकिन कुछ कारणवश उनको फिल्म पसंद नहीं आई और उन्होंने फिल्म में संगीत देने से मन कर दिया. दोनों के बीच मन मुटाव का आलम यह था की आगे चलकर यश चोपड़ा ने अपनी किसी भी फिल्म के लिया खय्याम को याद नहीं किया.

उनके बदले आए शिव हरी और उनकी पारी यश चोपड़ा के साथ शानदार रही. इसी फिल्म से जावेद अख्तर ने भी फिल्मों में गीत लिखने की अपनी पारी शुरूआत की और उस फिल्म में वो आए थे दिग्गज साहिर लुधियानवी के बदले. लेकिन अगर वो फिल्म आज भी याद की जाती है तो अपने स्टार कास्ट की वजह से. किसी फिल्म में अमिताभ बच्चन, रेखा और जया बच्चन के एक साथ होना अपने आप में एक कास्टिंग कूप ही कहा जायेगा. लेकिन फिल्म में जया और रेखा आईं थी इत्तेफ़ाक़ की ही वजह से. 2012 में अपनी फिल्म ‘जब तक है जान के’ प्रोमोशन के दौरान जो उन्होंने शाहरुख खान को इंटरव्यू दिया था उसमें उन्होंने इस बात का खुलासा किया था कि फिल्म में पहले परवीन बॉबी और स्मिता पाटिल को साइन किया गया था. स्मिता पाटिल, जया बच्चन का रोल निभाने वाले थी और परवीन बॉबी रेखा का रोल. उसी वक़्त अमिताभ बच्चन फिल्म कालिया की शूटिंग के लिए कश्मीर में थे. जब यश चोपड़ा उनको साइन करने के लिए कश्मीर पहुंचे तो पूरी स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद उन्होंने यश चोपड़ा से पूछा की क्या वो फिल्म की कास्टिंग को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट है? तब मौका मिलते ही यश चोपड़ा ने अपने दिल की बात अमिताभ बच्चन के सामने निकाल कर रख दी. उन्होंने कह दिया की अपनी इस फिल्म में वो जया बच्चन और रेखा को लेना चाहते हैं.

एक लम्बी चुप्पी के बाद अमिताभ बच्चन ने उनको कहा कि अगर ऐसी बात है तो बम्बई जाकर दोनों से मिल लेते हैं. विमान के पूरे सफर में दोनों के बीच किसी तरह का वार्तालाप नहीं हुआ. यश चोपड़ा ने आगे ये भी बताया कि जब फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तब उन्होंने दोनों रेखा और जया से अलग अलग बात की और इस बात की गुज़ारिश की की वो सेट पर किसी तरह की परेशानी पैदा ना करें. और इस तरह से सिलसिला बन पाई.

यश चोपड़ा उन गिने चुने फ़िल्मकारों में शामिल हैं जिन्होंने दर्शकों को अपनी फिल्मों में सभी तरह के रंग दिए. अगर कभी कभी, सिलसिला, दाग, लम्हे और चांदनी में प्यार के शेड्स उन्होंने दिखाए तो दीवार,त्रिशूल में उन्होंने बताया कि बदले की भावना क्या चीज़ होती है. इत्तेफ़ाक़ से अगर उन्होंने दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया तो दिल तो पागल है से बता दिया कि उम्र होने के बावजूद वो मौजूदा पीढ़ी की पसंद पढ़ने की ताकत रखते थे. धूल का फूल, वक़्त और कानून का अंदाज़ बिल्कुल जुदा था. ऐसे बिरले फ़िल्मकार सदियों में एक आते हैं.

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