राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज प्रातः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के छात्रावासों का आज अकस्मात निरीक्षण किया तथा छात्रावासों की दयनीय स्थिति तथा वहां फैली अव्यवस्था पर चिन्ता जाहिर की और विश्वविद्यालय प्रशासन को लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के टैगोर छात्रावास, डॉ. वाई.एस. परमार छात्रावास तथा शहीद भगत सिंह जनजातीय छात्रावास में हर मंजिल पर जाकर कमरों, शौचालयों और डाइनिंग हॉल, रसोई इत्यादि जगहों पर जाकर सफाई एवं रखरखाव का जायजा लिया और छात्रों से बात की। राज्यपाल ने वहां स्वच्छता की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति प्रो. राजेन्द्र चौहान तथा प्रशासन के अन्य अधिकारियों को मौके पर तलब किया और विश्वविद्यालय में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा।
उन्होंने विश्वविद्यालय में सफाई की स्थिति पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि हॉस्टल की स्थिति सफाई के मामले में बहुत ही खराब है और बच्चों के रहने के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि बिजली की खुली तारें कभी भी किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकती है और विश्वविद्यायल की व्यवस्थाओं से प्रतीत होता है कि जिम्मेवार अधिकारी वहां आते ही नहीं है।
उन्होंने कुलपति को कहा कि मात्र ऐस्टीमेट देने से व्यवस्था नहीं बनती है बल्कि उन्हें स्वयं गम्भीरता से लेना चाहिए। विद्यार्थियों द्वारा बार-बार शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई न होना उचित नहीं है। उन्होंने कार्यकारी कुलपति को व्यवस्था देख रहे अधिकारियों के खिलाफ तुरन्त कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
राज्यपाल ने कहा कि अधिकारियों को केवल खानापूर्ति नहीं करनी होगी बल्कि उन्हें अपने कार्यालय से बाहर निकलना होगा तभी विश्वविद्यालय तथा छात्रावासों की स्थिति में सुधार सम्भव है। उन्होंने कार्यकारी कुलपति को 6 अक्तूबर तक समस्त व्यवस्थाओं को दरूस्त करने के निर्देश और कहा कि इसके बाद वह कभी भी निरीक्षण पर आ सकते हैं। आचार्य देवव्रत ने कहा कि विश्वविद्यालय को ‘ए-ग्रेड’ का दर्जा मिला है इसके बावजूद छात्रावासों में बुनियादी सुविधाएं स्तरीय नहीं है जिन्हें तुरन्त सुधारे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिन व्यवस्थाओं के लिए धन की आवश्यकता भी नहीं है वहां भी रखरखाव का बड़ा अभाव है।