सराकर आर्थिक नीतियों और मंदी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. दिग्गज बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी सरकार पर खराब नीतियों का आरोप लगा चुके हैं. अब केंद्र में यहयोगी शिवसेना ने भी सरकार पर सवाल उठाए हैं. शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में जमकर हमला बोला है.
शिवसेना की ओर से सामना में लिखा गया, ”गुजरात के विकास का क्या हुआ? इस सवाल पर गुजरात के लोग कह रहे हैं कि विकास पागल हो गया है. सिर्फ गुजरात ही क्यों पूरे देश में विकास पागल हो गया है. ऐसी तस्वीर बीजेपी के बड़े नेता सामने ला रहे हैं.” शिवसेना ने सामना में लिखा है, ”राहुल गांधी ने भी कहा है कि विकास को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गई इसलिए विकास पागल हो गया है. अर्थव्यवस्था के बड़े जानकार मनमोहन सिंह और चिदंबरम जैसे लोगों ने जब ऐसा कहने की कोशिश की तो उन्हें ही पागल करार देने की कोशिश की गई लेकिन अब बीजेपी के ही पूर्व वित्त मंत्री ऐसा कह रहे हैं. अब यशवंत सिन्हा बेईमान या राष्ट्रद्रोही ठहराए जा सकते हैं.”
शिवसेना में आगे लिखा है, ”इन दिनों कई मामलों में सरकारी योजनाओं की धज्जियां उड़ रही हैं फिर भी विज्ञापनबाजी का डोज देकर सफलता का ढोल बजाया जा रहा है. यशवंत सिन्हा गलत हैं तो सिद्ध करो कि उनके आरोप झूठे हैं. जो यशवंत सिन्हा कह रहे हैं वो जब हमने कहा था तो हम देशद्रोही ठहराए गए थे. अब यशवंत सिन्हा देशद्रोही ठहराए जाएंगे.”
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए थे. अंग्रेजी अखबार में यशवंत सिन्हा ने ‘मुझे बोलना ही पड़ेगा’ शीर्षक लेख लिखा था. इस लेख में यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए. सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर तीखा तंज भी कसते हुए कहा कि मोदी ने तो करीब से गरीबी देखी है लेकिन लगता है कि जेटली पूरे देश को बेहद करीब से गरीबी दिखा देंगे.
लेख में उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था गर्त की ओर जा रही है. बीजेपी में कई लोग ये बात जानते हैं लेकिन डर की वजह से कुछ कहेंगे नहीं. नोटबंदी और जीएसटी की आलोचना कर सिन्हा ने निशाना तो जेटली पर साधा पर उनका इशारा प्रधानमंत्री की तरफ भी रहा.
वहीं मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपने फेसबुक पेज पर सरकार को खरी खोटी सुनाई थी. राज ठाकरे ने लिखा था, ”नोटबंदी बड़ी भूल साबित हुई, लोगों की नौकरियां चली गई और महंगाई बढ़ गई लेकिन सरकार पर कोई सवाल नहीं उठा पाया. प्रधानमंत्री कहते हैं कि वो जनता के नौकर हैं और जनता राजा है. अगर ऐसा है तो क्या राजा को सरकार की नाकामी पर सवाल उठाने का हक नहीं है.”