बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में लड़कियों को अब मनमाफिक कपड़े पहनने की आजादी होगी, लड़कियों के शराब पीने पर यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई पाबंदी नहीं होगी, हॉस्टल के मेस में अब नॉन वेज खाने को लेकर कोई मनाही नहीं होगी.
यह सब हुआ है चीफ प्रॉक्टर रोयाना सिंह के आदेश से बीएचयू के 101 साल के इतिहास में पहली बार कोई महिला इस पद पर बहाल की गई हैं. आते ही उन्होंने सबसे पहले लड़कियों को छूट देने वाले फैसले लेने शुरू कर दिए हैं. नए प्रॉक्टर रोयाना के मुताबिक सभी लड़कियों की उम्र 18 साल से ज्यादा है, तो ऐसे में हम उन पर ड्रिंक न करने की रोक क्यों लगाएं?
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से महिला चीफ प्रॉक्टर ने बताया कि, ‘आप अपना दिन सुबह छह बजे से शुरू करते हैं और रात साढ़े दस बजे खत्म और पूरे दिन आप अपनी पसंद और सुविधा अनुसार कपड़े नहीं पहन पा रही हैं तो ये शर्मनाक है. लड़कियों के कपड़े पर रोक लगाना खुद पर प्रतिबंध लगाने जैसा होगा.’ अगर कोई लड़की अपनी सुविधानुसार कपड़े पहनती है तो किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए?
सुरक्षा और अनुशासन प्राथमिकता होगी
रोयाना सिंह कहती हैं, ‘लड़कें जब ‘छोटे कपड़ों’ के शब्द का इस्तेमाल करते हैं, तब उन्हें अजीब महसूस होता है.’ वह इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में एनाटॉमी की प्रफेसर भी हैं. रोयाना 80 के दशक में फ्रांस के शहर रोयन में नौ साल तक रह चुकी हैं.
वहीं एक सवाल पर रोयाना ने कहा, ‘जहां तक मैं जानती हूं कि मेरे मेडिकल हॉस्टल में वेजिटेरियन डाइट तभी मिलती थी जब ज्यादा संख्या में लड़कियां इसकी मांग रखती हैं और वहीं दूसरी लड़कियां विशेष दिनों में ही नॉनवेज खाती हैं.’
उन्होंने बताया कि सुरक्षा और अनुशासन उनकी प्राथमिकता होगी. इसके लिए कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. लाइट की उचित व्यवस्था की जाएगी. छात्रों के एक-एक उचित मांग को पूरा किया जाएगा.