Home प्रादेशिक वीरभद्र सिंह होंगे हिमाचल कांग्रेस का चुनावी चेहरा…

वीरभद्र सिंह होंगे हिमाचल कांग्रेस का चुनावी चेहरा…

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शुक्रवार को दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के राज्य प्रभारी सुशील कुमार शिंदे और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बीच हुई मुलाकात के दौरान नेतृत्व को लेकर सहमति हुई है। बताया जा रहा है कि चुनाव में टिकट वितरण और प्रचार को लेकर वीरभद्र सिंह की राय अहम रहेगी। टीम को लीड करने की जिम्मेदारी भी वीरभद्र सिंह ही निभाएंगे। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी संगठन के मुखिया होने के नाते सक्रिय भूमिका में रहेंगे।

पार्टी के राज्य प्रभारी सुशील कुमार शिंदे ने इस बारे में गुरूवार को सोलन में संकेत दिए थे। उन्होंने सोलन में कहा था कि वीरभद्र सिंह चूंकि कद्दावर नेता हैं और छठी बार सीएम बने हैं, लिहाजा वे ही इस चुनाव में भी फ्रंट फुट पर रहकर नेतृत्व करेंगे। शिंदे के इस बयान के बाद शुक्रवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी साफ कहा कि वीरभद्र सिंह ही नेतृत्व करेंगे। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में पौने पांच साल से कांग्रेस की सरकार है और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री के तौर पर सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। जाहिर है, ऐसे में वे चुनाव में भी नेतृत्व करेंगे।

राहुल गांधी के साथ हुई बैठक में विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह को ही पार्टी का चेहरा बनाने का फैसला लिया गया है। साथ ही पीसीसी चीफ सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी संगठन में अपना मौजूदा किरदार निभाते रहेंगे। नेतृत्व के मसले के अलावा राहुल गांधी व वीरभद्र सिंह की मुलाकात में मिशन रिपीट पर भी चर्चा हुई। पार्टी प्रभारी सुशील कुमार शिंदे ने भी राहुल गांधी के समक्ष अपनी आब्जर्वेशन रखी। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ व कद्दावर नेता हैं।

इस बात पर सहमति बनी कि बेशक वीरभद्र सिंह 84 साल के हो गए हों, मगर कांग्रेस उनके कद व राजनीतिक वजूद को देखते हुए किसी भी कीमत पर उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकती। वीरभद्र सिंह को पार्टी का चेहरा बनाने पर सहमति बनने से साफ है कि चुनाव को लेकर लिए जाने वाले तमाम फैसलों फिर चाहे टिकट आबंटन का हो, अथवा प्रचार का, हर बात में वीरभद्र सिंह की सहमति ली जाएगी। हाईकमान ने पीसीसी चीफ सुखविंद्र सिंह सुक्खू व वीरभद्र सिंह के बीच खींचतान पर बीच का रास्ता निकाला है।

वीरभद्र सिंह को भी मनाया गया है कि चुनावी साल में अध्यक्ष बदलने से कार्यकर्ताओं व जनता में सही संदेश नहीं जाएगा। वीरभद्र सिंह भी इस बात पर राजी हुए हैं कि चुनाव में उनकी राय सबसे ऊपर रखी जाए। चाहे मसला टिकट वितरण का हो या फिर प्रचार की तरीकों का। फिलहाल, ऐन चुनाव से पहले हाईकमान ने वीरभद्र सिंह व सुखविंद्र सिंह के बीच जारी विवाद को थाम लिया है।

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