आज देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्मदिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी है। रामनाथ कोविंद कानपुर देहात के रहने वाले हैं। उनके जन्मदिन पर पढ़ें उनके संघर्ष की कहानी। आज रामनाथ अपना जन्मदिन मनाने के लिए शिरडी जा रहे हैं।उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता है। वह मूल रूप से कानपुर देहात की डेरापुर तहसील स्थित परौंख गांव से ताल्लुक रखते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक घास-फूस की झोपड़ी में उनका परिवार रहता था।
कोविंद के साथ कक्षा 8 तक पढ़े सहपाठी जसवंत बताते हैं कि जब उनकी उम्र 5-6 वर्ष की थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी। मां का साया छिनने के बाद उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया। गांव में अभी भी उनका दो कमरे का घर है, जिसे कोविंद ने बारातशाला को दान में दे दिया था। उनके सहपाठी के मुताबिक कोविंद 13 साल की उम्र में 13 किमी चलकर कानपुर पढ़ने जाते थे।
कोविंद के बचपन के साथी सुरजन सिंह ने बताया कि रामनाथ के पिता मैकूलाल वैद्य थे। उन्होंने गांव में कपड़े की दुकान भी खोल रखी थी। कभी-कभी कोविंद भी उपचार की पद्धति सीखने के लिए दवाखाने में बैठते थे। साथ में कपड़े की दुकान में भी पिता का हाथ बंटाते थे।
वर्ष 1996 से 2008 तक कोविंद के जनसंपर्क अधिकारी रहे अशोक द्विवेदी ने बताया था कि बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाले कोविंद अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस बुलंदी तक पहुंचे हैं। कोविंद की पसंद-नापसंद के बारे में उन्होंने बताया कि वह अंतर्मुखी स्वभाव के हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं। उन्हें सादा भोजन पसंद है और मिठाई से परहेज करते हैं।