नामधारी संगत की ओर से साधे समारोह में करवाई गई इस शादी की सारी रस्में महिलाओं द्वारा पूरी की गई। मंडी शहर में ऐसा पहली बार हुआ है जब सार्वजनिक रूप से किसी शादी की रस्में ग्रंथियों के बजाय महिलाओं द्वारा की गई। शादी के मंडप में फेरों की रस्म और अन्य कारज महिलाओं ने करवाए। जिन्हें इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है।
अर्शप्रीत और अरिन अरोड़ा की यह शादी अपने आपमें सुरों की सरगम का अनूठा मिलन मानी जा रही है। इस आदर्श शादी के अवसर पर नामधारी संगत के सत्तगुरू दलीप सिंह ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने वर-वधु को आर्शीवाद देते हुए कहा कि रंगबिरंगे माहौल में हुई यह शादी मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि विनम्रता और सादगी सिख का गहना है। वहीं शादी ब्याह के मामलों में फिजूल खर्ची से परहेज करना चाहिए। अगर किसी शादी में एक लाख रूपए खर्च होने हैं तो उसे पचीस हजार में निपटाना चाहिए । जबकि शेष राशि या तो आने वाली बहू के लिए गहने आदि पर खर्च करनी चाहिए अथवा गरीबों के कल्याण पर खर्च होनी चाहिए।