चूंकि विभाग में उनके साथ कोई सहयोगी नहीं था, लिहाजा वे अकेले ही मोर्चे पर डटे रहे। बाद में प्रोफेसर आरसी ठाकुर डिपार्टमेंट में आए। इस समय न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में एक प्रोफेसर, दो अस्सिटेंट प्रोफेसर व अन्य स्टॉफ है तो उसकी नींव डॉ. केएस राणा ने ही रखी। डॉ. केएस राणा ने अपनी शुरूआती दौर की नौकरी चंबा और पांगी के दुर्गम इलाकों में की। उस दौरान गरीब मरीजों की सेवा करके उन्होंने खूब शोहरत बटोरी। बाद में वे आईजीएमसी अस्पताल के सीनियर एमएस रहे। उस दौरान अस्पताल की बेहतरी के कार्य आज भी याद किए जाते हैं।
आईजीएमसी अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के हैड प्रोफेसर आरसी ठाकुर और अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. जनकराज के अनुसार डॉ. केएस राणा अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। न्यूरो सर्जरी के क्षेत्र में हिमाचल को सिरमौर बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ. राणा ने लंबे समय तक बरेली के सुभारती मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कार्यभार भी संभाला था। आईजीएमसी अस्पताल के प्रिंसिपल और समस्त स्टॉफ ने उनकी स्मृति में मौन रखा और उनकी सेवाओं को याद किया।
हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ. जीवानंद चौहान ने भी उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। डॉ. चौहान ने कहा कि डॉ. केएस राणा जैसे अद्भुत सर्जन की क्षति अपूर्णीय है। आईजीएमसी अस्पताल के एमएस डॉ. रमेश चंद ने कहा कि डॉ. केएस राणा एक आदर्श न्यूरो सर्जन और आदर्श प्रशासक के तौर पर याद किए जाएंगे। डॉ. राणा का पार्थिव शरीर उनके पैतृक शहर हमीरपुर ले जाया जा रहा है। उनका अंतिम संस्कार हमीरपुर में किया जाएगा। ये त्रासदी ही कही जाएगी कि जिंदगी भर धूम्रपान और अन्य किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने वाले डॉ. राणा को फेफड़े के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझना पड़ा।