करवा चौथ के दिन सौभाग्यशाली महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। यह त्योहार पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सज संवरकर चंद्रमा की पूजा करती हैं। करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है। करवा चौथ 8 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि इस दिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके ही पूजा में शामिल होना चाहिए। इनमें मेंहदी, चूड़िया, मांग टीका के अलावा और भी चीजों को सोलह श्रृंगार में शामिल किया है। आइए आपको बताते हैं सोलह श्रृंगार में किन-किन श्रृंगार को शामिल किया गया है। आगे की स्लाइड में पढ़ें:
सिंदूर: माथे पर सिंदूर पति की लंबी उम्र की निशानी माना जाता है।
मंगलसूत्र: ये भी सुहागन होने का सूचक है।
मांग टीका: मांग टीका वैसे तो आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।
बिंदिया: माथे पर लगी बिंदिया भी सुहागन के सोलह श्रृंगार में शामिल है।
काजल: काजल काली नजरों से बचाने के लिए लगाया जाता है।
नथनी: नाक में पहनी जाने वाली नथनी भी सोलह श्रृंगार में शामिल है।
कर्णफूल : ईयर रिंग भी सोलह श्रृंगार में गिने जाते हैं।
मेंहदी : करवा चौथ पर हाथों में मेहंदी जरूर लगानी चाहिए।
कंगन या चूड़ी: हाथों में लाल और हरी चूड़ियां भी सोलह श्रृंगार में शामिल हैं।
लाल रंग के वस्त्र भी 16वां सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार में गिने जाते हैं।
बिछिया : दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियो में सुहागन स्त्रियां बिछिया पहनती हैं।
पायल : घर की लक्ष्मी के लिए पायल को बेहद शुभ माना जाता है.
कमरबंद या तगड़ी : सुहागन के सोलह श्रृंगार में शामिल है।
अंगूठी : अंगूठी को भी सुहाग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
बाजूबंद : बाजूबंद वैसे तो आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।
गजरा : फूलों का महकता गजरा भी सोलह श्रृंगार में शामिल है।