Home धर्म/ज्योतिष जरुर सुने करवा चौथ कथा, मिलेगा अखण्ड सौभाग्य का वरदान…

जरुर सुने करवा चौथ कथा, मिलेगा अखण्ड सौभाग्य का वरदान…

30
0
SHARE
सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। वैसे तो करवा चौथ सिर्फ हिन्दू धर्म की विवाहित महिलाएं मानती थी, पर अब समय के साथ-साथ व हिंदी फिल्मों में इसको प्रमुख रूप से फिल्माए जाने के बाद अन्य धर्मों की महिलाओं के साथ अविवाहित लड़कियों में भी इसका चलन बढ़ रहा है।

इस व्रत के लिए नियमावली है जिसमें प्रमुख है करवा चौथ की कथा। जानकार, ज्योतिषी व हिन्दू कर्म-कंडो की जानकारी रखने वाले बताते है कि इस व्रत में करवा चौथ की कथा का विशेष महत्त्व है बिना कथा सुने और सुनाए ये व्रत पूर्ण नही माना जाता है। जब महिलाएं ये कथा सज-धजकर सोलह श्रृंगार करके सुनती हैं तब व्रत पूरा माना जाता है ।

ये है करवाचौथ की कथा
पंडित दिलीप तिवारी के मुताबिक कई वर्षों पहले एक साहूकार और उनकी पत्नी सेठानी जिसके सात पुत्र व एक पुत्री थी। एक समय जब कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी तब सेठानी के साथ उनकी सात बहुएं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। सभी स्त्रियां भूंखी-प्यासी रहकर विधि अनुसार व्रत कर रही थी ।

रात के वक्त जब साहूकार के सातो पुत्र घर पहुंचे तो अपनी बहन से खाना खाने को बोला क्योंकि भूंख प्यास से उनकी बहन बहुत व्याकुल नजर आ रही थी। सभी भाई अपनी बहन को बहुत प्यार करते थे, तो वो सभी बहन से जिद्द करने लगे खाने की। जिस पर बहन बोली कि अभी चंद्रमा नही निकला है चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही वह भोजन करेगी।

भाइयों के अपनी बहन से अपार प्रेम के चलते वो उसको भूंखा प्यासा नही देख पा रहे थे। जिस पर भाइयों ने अपनी बहन के लिये एक योजना बनाई। एक भाई घर के पास स्थित एक पेड़ पर चढ़ गया और छलनी में दिया रख दिया। बाकी अन्य भाई खुशी से चिल्लाते हुए बहन के पास आये कि चांद निकल आया है जल्दी देखो। जिस पर उनकी बहन पूजा का सामान लेकर अपनी भाभियों को बुलाने लगी कि चांद निकल आया है। भाभियों ने उसे मना किया कि तुम्हारे भाइयों ने छलनी में दिया दिखा रहे है पर वह उनकी बात न मानी और अर्घ्य देकर पूजा की और व्रत तोड़ दिया। इतना करते ही गणेश भगवान उस पर नाराज हो गए और थोड़ी ही देर में उसकी ससुराल से सूचना आ गई कि उसके पति की मृत्यु हो गयी गई हैं ।इस पर वह रो रो कर विलाप करने लगी।

तब साहूकार की पुत्री को अपनी गलती का अहसास हुआ और वो विलाप कर भगवान गणेश से अपनी गलती का पश्चाताप करने लगी। तभी एक वृद्ध महिला वहां आयी और बोली की अपनी गलती के लिए  गणेश जी से क्षमा मांगो और फिर से विधि-विधान से चतुर्थी का व्रत शुरू करो। तब उसने वैसा ही किया।

साहूकार की पुत्री की श्रद्धा-भक्ति को देखकर भगवान गणेश जी उस पर खुश हुए और उसके पति को फिर से जीवित कर दिया और उसे सभी तरह से रोगों से मुक्त करने व धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया। कहते हैं तभी से इस कथा को करवा चौथ की रात पूजन के समय सुहागिने सुनती और सुनाती है और बिना इस कथा को सुने व्रत को पूरा नही माना जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here