2010 में शुरू हुआ था काम
बताते चलें कि इस सुरंग का 28 जून 2010 को जब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिलान्यास किया था। इसका बजट 1,500 करोड़ रुपए था और लक्ष्य 2015 रखा गया था। यह सुरंग श्रीनगर, कारगिल व लेह राजमार्ग के लिए वैकल्पिक संपर्क की दिशा में एक कदम है। सुरंग के छोर जुड़ते ही लाहौल-स्पीति के बुजुर्गों की उम्मीद जिंदा हो उठी है। रोहतांग सुरंग द्वारा कुल्लू अब लाहौल से जुड़ गया है।
बताते चलें कि इस सुरंग का 28 जून 2010 को जब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिलान्यास किया था। इसका बजट 1,500 करोड़ रुपए था और लक्ष्य 2015 रखा गया था। यह सुरंग श्रीनगर, कारगिल व लेह राजमार्ग के लिए वैकल्पिक संपर्क की दिशा में एक कदम है। सुरंग के छोर जुड़ते ही लाहौल-स्पीति के बुजुर्गों की उम्मीद जिंदा हो उठी है। रोहतांग सुरंग द्वारा कुल्लू अब लाहौल से जुड़ गया है।
बीआरओ की मानें तो रक्षा मंत्री 24 अक्टूबर को विधिवत रूप से सुरंग के दोनों छोर जुड़ने की घोषणा करेंगी। हालांकि बीआरओ के अधिकारियों ने दोनों छोर जुड़ने की पुष्टि नहीं की है। लेकिन रोहतांग सुरंग के कर्मियों ने दोनों छोर मिलने की बात कही है। बुधवार शाम 6 बजकर 38 मिनट पर रोहतांग
सुरंग के दोनों छोर जोड़ दिए गए हैं।बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना के चीफ इंजीनियर कर्नल निलेश चन्द्र राणा ने लोगों से आग्रह किया कि वे जल्दबाजी में भावुक न हों। उन्होंने कहा कि बीआरओ अपना काम कर रहा है तथा शीघ्र ही विधिवत घोषणा कर दी जाएगी।
सुरंग के दोनों छोर जोड़ दिए गए हैं।बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना के चीफ इंजीनियर कर्नल निलेश चन्द्र राणा ने लोगों से आग्रह किया कि वे जल्दबाजी में भावुक न हों। उन्होंने कहा कि बीआरओ अपना काम कर रहा है तथा शीघ्र ही विधिवत घोषणा कर दी जाएगी।
रोहतांग सुरंग बनते ही न केवल लेह-लद्दाख की सीमा पर बैठे देश के प्रहरियों तक पहुंचना आसान हो जाएगा बल्कि लाहौल की दूरी भी 48 किलोमीटर कम हो जाएगी।