गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई ट्रायल कोर्ट ने नवम्बर 2013 में आरुषि के पिता डा० राजेश तलवार और माँ डा० नूपुर तलवार को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसी सजा के खिलाफ तलवार दंपत्ति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्र की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान तलवार दंपत्ति के वकीलों ने जहाँ सीधे तौर पर हत्या का कोई सबूत और गवाह नहीं होने की वजह से ट्रायल कोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा को रदद किये जाने की अपील की, वहीं सीबीआई ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर उम्र कैद की सजा को बरकरार रखने की दलील पेश की।
उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के बाद से ही तलवार दंपत्ति गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। दोनों की जमानत अर्जी ट्रायल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक खारिज हो चुकी है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट दो बार नूपुर तलवार को कुछ हफ़्तों की पैरोल दे चुका है।
गौरतलब है कि नोएडा के जलवायु विहार में रहने वाले डा० राजेश और नूपुर तलवार की चौदह साल की बेटी आरुषि तलवार का क़त्ल सोलह मई साल 2008 को घर में ही कर दिया गया था। अगले दिन घर के नौकर हेमराज की लाश भी अपार्टमेंट की छत पर पाई गई। वारदात के वक्त घर का दरवाजा अंदर से बंद था और किसी के अंदर दाखिल होने के कोई निशान नहीं मिले थे। तलवार दंपत्ति इस दौरान घर में ही थे।
इस डबल मर्डर केस की जांच पहले यूपी पुलिस ने की। बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में कोई सबूत और गवाह न होने की वजह से ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। हालांकि ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए तलवार दंपत्ति को तलब कर लिया था और मुक़दमे का ट्रायल करने का फैसला किया था।
सीबीआई की ट्रायल कोर्ट ने नवम्बर 2013 में इस मामले में तलवार दंपत्ति को दोषी करार देते हुए दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। तलवार दंपत्ति ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर कल फैसला आना है।