अलसुबह जागने के लिये यहाँ आपको अलार्म सेट करने की जरूरत नहीं। रिसॉर्ट के काउण्टर पर मौजूद अटेंडेंट को भी बताना आवश्यक नहीं है। यहाँ आपको नींद से जगाने के लिये चिडि़यों का चहचहाना या अन्य पक्षियों का कलरव गान ही पर्याप्त है।
जी हाँ…..। मध्यप्रदेश के वॉटर टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स हनुवंतिया में बड़ी सुबह आप चिडि़यों के चहचहाने से ही जाग जायेंगे। नर्मदा पर बने इंदिरा सागर बाँध के बेक वॉटर से निर्मित जल-भंडार के किनारे बने रिसॉर्ट में रात रुकने पर अगली सुबह विभिन्न प्रजाति के रंग-बिरंगे पक्षी आपका स्वागत करते हैं। अब तो परिसर में बने चिल्ड्रन जोन में बतख भी घूमते नजर आते हैं। एक तरफ तेज हवाओं से उठती पानी की लहरों का आनंद और रिसॉर्ट की बालकनी पर या नजदीक के छोटे से गार्डन में पक्षियों का कलरव आपकी सुबह को वाकई यादगार बनाने के लिये काफी है। खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिये भी हनुवंतिया बेहद खास जगह है। यहाँ उनके लिये सुस्वादु भोजन और अन्य व्यंजन भी उपलब्ध हैं।
कौन कहता है कि ‘गौरैया’ विलुप्त हो रही है? हनुवंतिया में बहुतायत में गौरैया मौजूद हैं, अपने पूरे वजूद के साथ। गौरैया ही नहीं अन्य प्रजाति के रंग-बिरंगे पक्षी भी यहाँ नजर आते हैं। चिडि़यों के झुण्ड को आप अपने कैमरे में जरूर कैप्चर करना चाहेंगे। हालांकि यह मुश्किल काम है। हनुवंतिया जाने वाले सैलानियों के लिये एक और अच्छी खबर है। हनुवंतिया से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर स्थित बोरियामाल टापू पर अब आपको चीतल के झुण्ड स्वच्छंद विचरण करते नजर आएंगे। हाल ही में बोरियामाल टापू पर पेंच नेशनल पार्क से लाकर चीतलों को यहाँ के जंगल में छोड़ा गया है।
हनुवंतिया से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बोरियामाल टापू की यात्रा आपको स्पीड बोट, जलपरी, क्रूज आदि से तय करना होती है। बोरियामाल की जल-यात्रा के लिये हवाओं का सामान्य होना जरूरी है। यह यात्रा साहसिक और रोमांच से भरी होती है। बीच-बीच में छोटी-छोटी नाव या डोंगे पर मछली पकड़ते मछुआरे आपको नजर आएंगे। बोरियामाल टापू वन परिक्षेत्र चाँदगढ़, ईको विकास समिति और वन सुरक्षा समिति पामाखेड़ी के अंतर्गत शामिल हैं। यहाँ वन विभाग की वनजल चौकी स्थित है। इसमें शामिल टापुओं की संख्या 23 है। यहाँ आस-पास की अन्य वनजल चौकियों के अलावा भी सैलानियों की सुविधा के लिये वन क्षेत्र का गूगल मेप प्रदर्शित किया गया है। ऊर्जा विकास निगम द्वारा सोलर फोटो वोल्टेइक पॉवर प्लान्ट भी लगाया गया है।
पामाखेड़ी निवासी लालसिंह बताते हैं कि इस टापू पर टेमरू, पलास (खांकरा), सागौन, अंजन, धामन, लेडिया आदि के पेड़ बहुतायत से पाये जाते हैं। टेमरू के पेड़ के तने को देखकर लगता है कि किसी कुशल कारीगर ने अपने हाथ से इसे विभिन्न पीसेस में बहुत ही करीने से बाँटा है। लेकिन यह प्राकृतिक रूप से ऐसा ही पाया जाता है। इस टापू सहित आस-पास के सघन वन में तेंदुआ, भालू, हिरण, चिंकारा, नीलगाय, भेड़की और बंदर तथा जंगली सुअर मुख्य रूप से पाये जाते हैं। यदा-कदा टाइगर भी यहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। यहाँ पर नाइट कैम्पिंग, नेचुरल वॉक, साइकिलिंग, आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं। जल-महोत्सव के दौरान बोरियामाल टापू पर अन्य साहसिक और रोमांचक गतिविधियाँ भी होती हैं।
हनुवंतिया वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बन जाने से इस वीरान से क्षेत्र में भी गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। हनुवंतिया मास्टर प्लान घोषित होने से यहाँ उपलब्ध आस-पास की जमीनों के भाव में कई गुना वृद्धि हुई है। भोपाल, इंदौर और दूर-दूर से अनेक लोग आकर यहाँ जमीनों के भाव की तलाश करते हैं। हनुवंतिया निवासी नारायण पटेल और डाबरी के किसान बलिराम बताते हैं कि ‘इंदिरा सागर बाँध से आस-पास के 254 गाँवों पर विस्थापन हुआ है। डूब प्रभावित किसानों को समुचित मुआवजा मिला है और उन्हें उदवहन सिंचाई योजना का भी लाभ मिला है। क्षेत्र में सड़क और बिजली की स्थिति में सुधार हुआ है। लोगों को व्यवसाय मिला और इससे उनके जीवन में बदलाव आ रहा है।’
टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स हनुवंतिया में तकरीबन 40 लोग कार्यरत हैं। इनमें से ज्यादातर हनुवंतिया, पुरनी, डाबरी, बोरखेड़ाकलां आदि के रहने वाले हैं। इनमें से लोकपाल और राकेश ने बताया कि ‘उन्होंने स्पीड बोट, मोटर बोट, जलपरी के साथ ही क्रूज चलाने की ट्रेनिंग भी भोपाल से ली है, यहाँ हमारी मुलाकात देवेन्द्र, सुरेश यादव, रमेश, नैनसिंह, राजेश राठौर, विष्णु यादव और वैंकटेश्वर से हुई जो टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स पर संचालित विभिन्न गतिविधियों से जुड़े हैं’। सुरक्षा की दृष्टि से लाइफ जैकेट, लाइफ ब्वाइज और रेस्क्यू बोट यहाँ उपलब्ध रहती है। द्वितीय जल-महोत्सव के दौरान लगभग साढ़े पाँच लाख पर्यटक हनुवंतिया पहुँचे और अकेले फरवरी माह के दौरान 17 हजार से अधिक पर्यटक पहुँचे। कोटला निवासी योगेन्द्र तोमर टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स में दिसम्बर 2015 से कार्यरत हैं। वे बताते हैं कि ज्यादातर पर्यटक इंदौर, भोपाल और आस-पास के इलाके से यहाँ आते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के साथ ही गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि राज्यों से भी पर्यटक हनुवंतिया पहुँचते हैं।
मास्टर प्लान
हनुवंतिया में द्वितीय जल-महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर ‘हनुवंतिया विस्तार योजना’ के मास्टर प्लान का अनावरण किया गया। इसमें लगभग 308 हेक्टेयर का विस्तृत विकास प्लान तैयार किया गया है। इस क्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिये यह मास्टर प्लान 10 साल के लिये लागू होगा।
जल-महोत्सव
हनुवंतिया में द्वितीय जल-महोत्सव विविध रोमांचकारी और साहसिक गतिविधियों के साथ सफलता से संपन्न हुआ। लगभग साढ़े पाँच लाख सैलानियों ने एक माह के आयोजन में हिस्सा लिया। जल-महोत्सव का विशेष आकर्षण केरल की तर्ज पर हनुवंतिया में संचालित दो हाउस बोट रही।
इस साल जल-महोत्सव
हनुवंतिया में इस साल का जल-महोत्सव 15 अक्टूबर से प्रारंभ होगा जो 2 जनवरी 2018 तक चलेगा। जल-महोत्सव के दौरान दूर-दूर से आए पर्यटकों को हनुवंतिया वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स परिसर में विकसित सुविधाओं का लुत्फ लेने के साथ ही साहसिक और रोमांचकारी खेलों की विस्तृत श्रंखला, जिसमें जल, जमीन और आकाश के साहसिक खेल शामिल हैं, में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। खास तौर से वीकेंड, दीपावली के अवकाश, शीतकालीन अवकाश, वर्षांत एवं नव-वर्ष 2018 का स्वागत करने तथा अन्य अवकाश दिवसों में पर्यटकों की बड़ी तादाद में आवाजाही बनी रहने की संभावना है। यह सब इस बात का प्रतीक है कि जल-पर्यटन क्षेत्र में हनुवंतिया ने अपना एक विशिष्ट स्थान बना लिया है और इस मनोरम स्थल की प्रसिद्धि चहुँओर फैल रही है।